कोरबा: छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों के लिए हजारों परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है. खदानों के लिए जंगल-जमीन से हमेशा करीब रहने वाले आदिवासी लोगों की हजारों हेक्टेयर जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहण की जा चुकी है. जिस कारण राज्य के कई हरे-भरे घने जंगल भी बर्बाद हो चुके हैं.
कोयला खदानों के कारण आने वाली यह समस्या अब कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के गांवों के सामने खड़ी है. यहां प्रस्तावित गिदमुड़ी-पतुरियाडांड कोयला खदान के लिए लंबे समय से प्रक्रिया चल रही है. हालांकि इस खदान को शुरू करने का इलाके के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं, लेकिन बिना उनकी सहमति के ही खदान के लिए सर्वे काम हो रहा है.
1495 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित
यह खदान हसदेव अरण्य क्षेत्र में शामिल 20 कोयला खदानों में से एक है. हाल ही में इस खदान क्षेत्र को लेमरू हाथी रिजर्व (Lemru Elephant Reserve) के लिए प्रस्तावित इलाके से बाहर रखा गया है. जिसके तहत कुल 1495 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रस्तावित खदान क्षेत्र में समाहित है. कोयला खनन क्षेत्र में मिनीमाता बांगो बांध जल ग्रहण क्षेत्र का अंश भी शामिल है. गिदमुड़ी-पतुरियाडांड के साथ ही मदनपुर और उचलेंचा गांव भी खदान के दायरे में आएंगे.
CSPDCL का अडानी के साथ MDO
गिदमुड़ी-पतुरियाडांड कोल ब्लॉक को विकसित एवं खनन प्रक्रिया के लिए भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक निविदा आमंत्रित की थी. जिसके अंतर्गत माइन डेवलपर कम ऑपरेटर (MDO) के रूप में मेसर्स अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड और सैनिक माइनिंग एंड एलाइड सर्विसेज लिमिटेड अहमदाबाद का चयन किया गया था. अब इनके द्वारा निर्मित संयुक्त संस्था मेसर्स गिदमुड़ी-पतुरियाडांड कोलरीज प्राइवेट लिमिटेड और छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के मध्य कोल माइनिंग सर्विसेज एग्रीमेंट हुआ है. यह 2 मई 2019 को किया गया. जिसके अनुसार एमडीओ द्वारा कोयला खनन के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड की ओर से खनन संबंधित अनुमति प्राप्त कर खनन कार्य प्रारंभ किया जाना है.गिदमुड़ी-पतुरियाडांड कोल खदान को लेकर राज्य की विधानसभा में भी मुद्दा उठा है. यह मुद्दा जोगी कांग्रेस नेता धर्मजीत सिंह ने उठाया था.
848 रुपए प्रति टन की दर से पहुंचाया जाएगा कोयला
सीएसपीडीसीएल द्वारा अडानी के साथ किए गए एमडीओ के आधार पर अडानी द्वारा 848 रुपए प्रति टन के दर से कोयला खनन कर कोल हैंडलिंग प्लांट तक पहुंचाया जाएगा. जबकि कोल हैंडलिंग प्लांट से विद्युत संयंत्र तक कोयला पहुंचाने का कार्य छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाएगा. फिलहाल वन भूमि के साथ ही पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आवेदन विभाग के समक्ष पेश किया गया है. फिलहाल यह स्वीकृति मिली नहीं है, जोकि विभिन्न विभागों द्वारा दी जानी है.
अन्य प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट और एनवायरमेंट मैनेजमेंट प्लान सहित आवेदन पर्यावरण विभाग को पेश किया जा चुका है. स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात यह खनन शुरू होगा.
छत्तीसगढ़ में 16 एमडीयू
कमर्शियल माइनिंग के अस्तित्व में आने के बाद निजी कंपनियां खनन क्षेत्र में आ गई हैं. खुली बोली में भाग लेकर वह सरकारों के साथ हुआ एंब्रोस साइन कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में वर्तमान में इस तरह के 16 MDU हो किए जा चुके हैं.
जल्द शुरू होगा खदान का काम
भविष्य में यहां कोयला खनन के लिए प्रक्रिया शुरू होगी. जल्द ही केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा औपचारिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद यहां निजी खनन कंपनियां कोयले का उत्पादन शुरू करेगी. हालांकि इस खदान का पर्यावरणविद और एक्टिविस्ट लंबे समय से विरोध करते आ रहे हैं और यह एक बहस का विषय बना हुआ है. इस खदान को अनुमति को लेकर राज्य के पर्यावरणविद का मत है कि कोयले की मांग में वृद्धि नहीं हुई है, बावजूद इसके कोयले के उत्पादन के लिए आदिवासियों और सैकड़ों हेक्टेयर जंगलों को उजाड़ा जा रहा है.
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वहीं, गिदमुड़ी-पतुरियाडांड कोल खदान से कोयला छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी (CSPGCL) की भैयाथान ताप विद्युत परियोजना के लिए भेजा जाना पहले तय हुआ था, लेकिन कंपनी अब समाप्त हो गई है. जिसके बाद अब यहां से कोयला प्रेमनगर ताप विद्युत परियोजना के लिए प्रस्तावित हुआ है, लेकिन यह कंपनी अभी अस्तित्व में नहीं आई है.
ग्रामीणों का विरोध
पतुरियाडांड के ग्रामीण अपनी जमीन-जंगल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ग्रामीणों ने हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति का निर्माण किया है और पतुरियाडांड के सरपंच उमेश्वर आर्मो इसके संयोजक हैं. उमेश्वर आर्मो ने ईटीवी भारत से कहा कि हम कोल बोरिंग एक्ट 1957 के तहत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की जमीनों के अधिग्रहण का लंबे समय से विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पेसा कानून लागू हो चुका है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है. ग्राम सभा का विशेष महत्व होता है. सारी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है, लेकिन अब तक ग्राम सभा का आयोजन नहीं हुआ है. हमारी लड़ाई जल, जंगल और जमीन की है. किसी भी कीमत पर हम खदान खोलने का विरोध करेंगे.
प्रक्रिया जारी
पोड़ी उपरोड़ा एसडीएम संजय मरकाम ने बताया कि गिदमुड़ी-पतुरियाडांड कोल ब्लॉक के लिए ग्राम सभाओं का आयोजन नहीं किया गया है. लेकिन इसके बिना ही सर्वे आदि की प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश हैं. नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है.