बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिना पावर रेड और रेस्टोरेंट सील करने के मामले में भिलाई नगर निगम जोन कमिश्नर पर 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह मुआवजा जोन कमिश्नर के व्यक्तिगत खाते से अदा करने का निर्देश तो दिया, साथ ही सरकारी तंत्र को कानून की सीमा में रहकर काम करने की हिदायत भी कोर्ट ने दी. chhattisgarh high court ordered bhilai municipal corporation zone commissioner
क्या है पूरा मामला: भिलाई के एक रेस्टोरेंट को नगर निगम जोन कमिश्नर के अधिकार के बिना सील करने, रेड डालने और सामान जब्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जोन कमिश्नर को 2 माह के अंदर याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये का मुआवजा अपने व्यक्तिगत खाते से अदा करने का निर्देश दिया है. इस मामले में कोर्ट ने जोन कमिश्नर को हिदायत भी दी कि अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम ना करें. इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सरकारी तंत्र को कानून की सीमा में रहकर काम करना चाहिए. कानून के बाहर जाकर किसी को भी काम करने का अधिकार नहीं है.
ग्रामीणों की फरियाद सुनने रात में खुला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
बिना नोटिस के रेस्टोरेंट को किया सील: भिलाई के ई एस वीना और उनके बेटे अरुण कमर्शियल कंपलेक्स भिलाई नेहरू नगर में रेस्टोरेंट्स चलाते हैं. भिलाई नगर निगम के जोन कमिश्नर सुनील अग्रहरि ने पिछले 1 फरवरी 2021 को बिना किसी अधिकार या आधार के यहां छापामार कार्रवाई की. बर्तन भाड़े सहित रेस्टोरेंट को सील कर दिया. इनमें हुक्का पाइप आदि सामान भी था. पीड़ित याचिकाकर्ताओं ने पहले एसपी, कलेक्टर को आवेदन दिया. 27 मार्च 21 तक रेस्टोरेंट सील रहा. इसमें से कुछ सामान 28 मार्च को वापस किया गया. इस कार्रवाई को एडवोकेट सुमित सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
मामले में पीड़ित याचिकाकर्ताओं ने कहा कि "नगर निगम एक्ट 1956 के अनुसार कमिश्नर को बिना नोटिस के छापा सील और जब्त करने का अधिकार नहीं है." मामले में 27 जून को सुनवाई हुई थी. महाधिवक्ता ने शासन की ओर से बहस की थी. जस्टिस पी सैम कोशी ने याचिका स्वीकार की. मामले में अंतिम सुनवाई के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने यह माना कि संविधान के आर्टिकल 27 और 19 (1) का हनन हुआ है. जस्टिस कोशी ने जोन कमिश्नर को निर्देशित किया है कि अधिकार का दुरुपयोग किया गया है, सरकारी तंत्र को कानून की सीमा में रहकर काम करना चाहिए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने 2 माह के भीतर याचिकाकर्ताओं को 50 हजार रुपये का मुआवजा अदा करने का आदेश प्रतिवादी जोन कमिश्नर को दिया है. यह राशि अधिकारी अपने व्यक्तिगत खाते से देगा.