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चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 13 निदेशकों को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नोटिस - अमित चंद्राकर

चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की जमीन पर लोन का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है. इस केस में हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज के 13 निदेशकों को नोटिस जारी किया है.

Chandulal Chandrakar Medical College
चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज न्यूज
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Published : Aug 11, 2021, 4:46 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 8:59 PM IST

बिलासपुर: चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की जमीन गिरवी रख कर लोन लेने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. इस केस में हाईकोर्ट ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 13 निदेशकों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस मसले पर इंडियन बैंक से भी जवाब मांगा है. अब केस की सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.

चंदूलाल चंद्राकर के पोते ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पर लगाए गंभीर आरोप

दुर्ग निवासी अमित चंद्राकर जो खुद को चंदूलाल चंद्राकर के परपोते बताते हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका के जरिए उन्होंने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पर जमीन को गिरवी रखकर लोन लेने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अस्पताल की जमीन को लोन के लिए गिरवी रखा गया है.

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

अमित चंद्राकर ने अपने याचिका में कहा है कि साल 1997 में मंगल प्रसाद चंद्राकर ने उनके चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर दुर्ग के जीई रोड स्थित जमीन पर अस्पताल निर्माण करने की योजना बनाई. इसके लिए सरकारी जमीन साडा से अनुमति लेकर लीज पर ली गई. इसी पर चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल खोला गया. अस्पताल के चलने पर अस्पताल के बोर्ड आफ डायरेक्टर ने मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए इंडियन बैंक से लोन लेने के लिए अस्पताल की जमीन को बंधक रखा. बैंक से मिली लोन राशि से दुर्ग के कचांदुर में मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई. अस्पताल की जिस जमीन को लोन के लिए बंधक रखा गया है वह सरकारी है. इसको लीज पर देते समय कई नियमों के साथ ही यह भी शर्त रखी गई थी कि ली गई जमीन को न तो बेचा जा सकता है, न बंधक रखा जा सकता है, न ही हस्तांतरित किया जा सकता है. ऐसे में इसे बंधक और गिरवी रखकर लोन लेने पर अमित चंद्राकर ने सवाल उठाए हैं.

अमित चंद्रकार ने हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका

अमित चंद्राकर ने याचिका के जरिए कई गंभीर प्रश्न खड़े किए है. उन्होंने कहा है कि बैंक को भी लोन देने से पहले इस जमीन के बारे में नगर निगम या साडा से जानकारी लेनी चाहिए थी. जो उसने नहीं ली. अत: लिया गया लोन और उसके बदले में सरकारी जमीन को बंधक और गिरवी रखना गलत है. जब यह लोन की रकम चुकाई नहीं गई तो अब इंडियन बैंक उसे नीलामी करने पर तुला हुआ है. अमित चंद्राकर ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके दादा चंदूलाल चंद्राकर ने मेमोरियल हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के लिए दशकों पहले लीज पर ली थी,लेकिन बिना नगर निगम के अनुमति के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने हॉस्पिटल की जमीन को मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए गिरवी रख इंडियन बैंक से करोड़ों रुपए का लोन सैंक्शन करा लिया. याचिकाकर्ता ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पर अवैध दस्तावेज प्रस्तुत कर लोन लेने का आरोप लगाया है अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि लोन के पैसों का बाद में बंदरबांट कर लिया गया.इसी वजह से कॉलेज घाटे में चला गया और पैसा ना चुकाने की वजह से बैंक ने कॉलेज को नीलाम करने की घोषणा कर दी. अब कॉलेज के बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. सरकार चंदूलाल चंद्राकर के मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल दोनों के अधिग्रहण की बात कह रही है. याचिकाकर्ता अमित चंद्राकर ने सरकार द्वारा कॉलेज के अधिग्रहण और बैंक की ओर से नीलामी को चुनौती दी है. उन्होंने इसकी नीलामी पर सवाल खड़े किए हैं. जिसके बाद कोर्ट ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 13 निदेशकों को नोटिस जारी किया है. इस केस में कोर्ट ने इंडियन बैंक से भी जवाब मांगा है. अब पूरे मामले की सुनवाई 3 हफ्ते बाद फिर होगी.

बिलासपुर: चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की जमीन गिरवी रख कर लोन लेने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. इस केस में हाईकोर्ट ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 13 निदेशकों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस मसले पर इंडियन बैंक से भी जवाब मांगा है. अब केस की सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.

चंदूलाल चंद्राकर के पोते ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पर लगाए गंभीर आरोप

दुर्ग निवासी अमित चंद्राकर जो खुद को चंदूलाल चंद्राकर के परपोते बताते हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका के जरिए उन्होंने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पर जमीन को गिरवी रखकर लोन लेने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अस्पताल की जमीन को लोन के लिए गिरवी रखा गया है.

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

अमित चंद्राकर ने अपने याचिका में कहा है कि साल 1997 में मंगल प्रसाद चंद्राकर ने उनके चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर दुर्ग के जीई रोड स्थित जमीन पर अस्पताल निर्माण करने की योजना बनाई. इसके लिए सरकारी जमीन साडा से अनुमति लेकर लीज पर ली गई. इसी पर चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल खोला गया. अस्पताल के चलने पर अस्पताल के बोर्ड आफ डायरेक्टर ने मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए इंडियन बैंक से लोन लेने के लिए अस्पताल की जमीन को बंधक रखा. बैंक से मिली लोन राशि से दुर्ग के कचांदुर में मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई. अस्पताल की जिस जमीन को लोन के लिए बंधक रखा गया है वह सरकारी है. इसको लीज पर देते समय कई नियमों के साथ ही यह भी शर्त रखी गई थी कि ली गई जमीन को न तो बेचा जा सकता है, न बंधक रखा जा सकता है, न ही हस्तांतरित किया जा सकता है. ऐसे में इसे बंधक और गिरवी रखकर लोन लेने पर अमित चंद्राकर ने सवाल उठाए हैं.

अमित चंद्रकार ने हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका

अमित चंद्राकर ने याचिका के जरिए कई गंभीर प्रश्न खड़े किए है. उन्होंने कहा है कि बैंक को भी लोन देने से पहले इस जमीन के बारे में नगर निगम या साडा से जानकारी लेनी चाहिए थी. जो उसने नहीं ली. अत: लिया गया लोन और उसके बदले में सरकारी जमीन को बंधक और गिरवी रखना गलत है. जब यह लोन की रकम चुकाई नहीं गई तो अब इंडियन बैंक उसे नीलामी करने पर तुला हुआ है. अमित चंद्राकर ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके दादा चंदूलाल चंद्राकर ने मेमोरियल हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के लिए दशकों पहले लीज पर ली थी,लेकिन बिना नगर निगम के अनुमति के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने हॉस्पिटल की जमीन को मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए गिरवी रख इंडियन बैंक से करोड़ों रुपए का लोन सैंक्शन करा लिया. याचिकाकर्ता ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पर अवैध दस्तावेज प्रस्तुत कर लोन लेने का आरोप लगाया है अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि लोन के पैसों का बाद में बंदरबांट कर लिया गया.इसी वजह से कॉलेज घाटे में चला गया और पैसा ना चुकाने की वजह से बैंक ने कॉलेज को नीलाम करने की घोषणा कर दी. अब कॉलेज के बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. सरकार चंदूलाल चंद्राकर के मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल दोनों के अधिग्रहण की बात कह रही है. याचिकाकर्ता अमित चंद्राकर ने सरकार द्वारा कॉलेज के अधिग्रहण और बैंक की ओर से नीलामी को चुनौती दी है. उन्होंने इसकी नीलामी पर सवाल खड़े किए हैं. जिसके बाद कोर्ट ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 13 निदेशकों को नोटिस जारी किया है. इस केस में कोर्ट ने इंडियन बैंक से भी जवाब मांगा है. अब पूरे मामले की सुनवाई 3 हफ्ते बाद फिर होगी.

Last Updated : Aug 11, 2021, 8:59 PM IST

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