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करोड़ों खर्च के बाद भी बिलासपुर में तालाबों का खस्ताहाल

बिलासपुर नगर निगम ने तालाबों के संरक्षण (conservation of ponds) के लिए सरोवर धरोहर योजना (Sarovar Dharohar Scheme) के तहत शहर के पांच तालाबों का जीर्णोद्धार (Restoration of five ponds) किया था. लेकिन देखरेख के अभाव में इन तालाबों का कुछ ही दिनों में खस्ताहाल हो गया.

Deterioration of ponds in Bilaspur
बिलासपुर में तालाबों का खस्ताहाल
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Published : Oct 7, 2021, 10:59 PM IST

बिलासपुरः नगर निगम (Municipal council) ने तालाबों के संरक्षण के लिए सरोवर धरोहर योजना के तहत शहर के पांच तालाबों का जीर्णोद्धार करते हुए उनका सौंदर्यीकरण किया था. इस योजना में नगर निगम ने पांचों तालाबों में लगभग 50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की राशि लगाई थी लेकिन अब तालाबों का सौंदर्यीकरण (beautification of ponds) बर्बाद तो हो ही गया है. तालाब में पानी में जलकुंभी के साथ ही गंदगी ने डेरा जमा लिया है.

करोड़ों खर्च के बाद भी बिलासपुर में तालाबों का खस्ताहाल

राज्य की पूर्वर्ती भाजपा सरकार ने सरोवर धरोहर योजना के तहत शहर के तालाबों का 2007 में सौंदर्यीकरण करवाया था. इस सौंदर्यीकरण में राज्य सरकार ने सरोवर धरोहर योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च किया था. लेकिन आज तालाबों की स्थिति देख कर ऐसा लगता है कि पूर्वर्ती सरकार के सरोवर धरोहर योजना के तहत किए गए सौंदर्यीकरण पर जो पैसे लगाए थे, उसे उठा कर तालाब में फेंक दिया गया था. यानी पैसे की बर्बादी की गई थी. इसी योजना के तहत दीपूपारा तालाब, जोरापारा तालाब, जतिया तालाब और सरकंडा के 2 तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया था.

यहां नगर निगम ने सभी तालाबों में 8-8 करोड़ रुपए खर्च किए थे और बंधवापारा तालाब में लगभग 17 करोड़ रुपए खर्च कर सौंदर्यीकरण किया था. इसे सहेज कर रखने की बजाए ऐसे ही छोड़ दिया. जिसकी वजह से कुछ ही सालों में सौंदर्यीकरण बर्बाद हो गया. तालाब जहां एक समय पानी से लबालब रहता था वहीं अब पूरी तरह सूख गया है. उसमें गड्ढा बन कर रह गया है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तालााबों केे सौंदर्यकरण पर ध्यान नहीं दिया गया और यही कारण है कि धीरे-धीरे सौन्दर्यीकरण बर्बाद हो गया. सभी तालाब शराबखोरी का अड्डाा बन कर रह गए हैं. पूर्व में कमिश्नर प्रभाकर पांडे ने पीपीपी मॉडल में काम शुरू करने की योजना बनाई थी लेकिन उनके जाते ही ये योजना भी फेल हो गई.

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निजी कंपनी को दिया गया है सौंदर्यीकरण का काम

तालाब को नगर निगम पीपीपी मॉडल के तहत तैयार करवाने काम शुरू किया था. जिसमें इस योजना में रायपुर की एक कंपनी को तालाब के सौंदर्यीकरण का काम सौंपा गया है. कंपनी बंधवापारा के तालाब को ठेका में ली है और काम शुरू किया है. कंपनी इसमें पैसे खर्च करेगी और इस पैसे की वसूली वह अलग-अलग ढंग से करेगी. जैसे यहां तालाब में पानी भर कर फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, होटल और पार्क के अलग-अलग हिस्सों में सौंदर्यीकरण कर उसका टिकट लगा कर पैसे की वसूली करेगी.

निगम अपनी गलती सुधारने फिर से उसका सौंदर्यीकरण करने जा रहा है. यानी पहले जो पब्लिक का पैसा नगर निगम टैक्स के माध्यम से वसूल रहा था, उसे तो बर्बाद किया गया ही है, अब इसमें फिर से एक बार प्राइवेट कंपनी पैसे लगा कर फिर वसूल कर अपने खर्चे को पूरा करेगी. सरोवर धरोहर योजना के तहत शहर के लगभग 5 तालाबों का 50 करोड़ रुपए लगा कर सौंदर्यीकरण किया गया था.

लेकिन वह भी असफल रहा और वह तालाब भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. एक बार फिर नगर निगम यही गलती दोहराने जा रही है. बंधवापाराा ताला को भले ही टिकट लगा कर वहां से पैसा वसूलने की तैयारी निधि कंपनी करेगी लेकिन इसके लिए इसका तैयार होना भी जरूरी है. जो अब तक नहीं हो पाया है. यह योजना 2007 से शुरू हुई थी लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाई है.

बिलासपुरः नगर निगम (Municipal council) ने तालाबों के संरक्षण के लिए सरोवर धरोहर योजना के तहत शहर के पांच तालाबों का जीर्णोद्धार करते हुए उनका सौंदर्यीकरण किया था. इस योजना में नगर निगम ने पांचों तालाबों में लगभग 50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की राशि लगाई थी लेकिन अब तालाबों का सौंदर्यीकरण (beautification of ponds) बर्बाद तो हो ही गया है. तालाब में पानी में जलकुंभी के साथ ही गंदगी ने डेरा जमा लिया है.

करोड़ों खर्च के बाद भी बिलासपुर में तालाबों का खस्ताहाल

राज्य की पूर्वर्ती भाजपा सरकार ने सरोवर धरोहर योजना के तहत शहर के तालाबों का 2007 में सौंदर्यीकरण करवाया था. इस सौंदर्यीकरण में राज्य सरकार ने सरोवर धरोहर योजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च किया था. लेकिन आज तालाबों की स्थिति देख कर ऐसा लगता है कि पूर्वर्ती सरकार के सरोवर धरोहर योजना के तहत किए गए सौंदर्यीकरण पर जो पैसे लगाए थे, उसे उठा कर तालाब में फेंक दिया गया था. यानी पैसे की बर्बादी की गई थी. इसी योजना के तहत दीपूपारा तालाब, जोरापारा तालाब, जतिया तालाब और सरकंडा के 2 तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया था.

यहां नगर निगम ने सभी तालाबों में 8-8 करोड़ रुपए खर्च किए थे और बंधवापारा तालाब में लगभग 17 करोड़ रुपए खर्च कर सौंदर्यीकरण किया था. इसे सहेज कर रखने की बजाए ऐसे ही छोड़ दिया. जिसकी वजह से कुछ ही सालों में सौंदर्यीकरण बर्बाद हो गया. तालाब जहां एक समय पानी से लबालब रहता था वहीं अब पूरी तरह सूख गया है. उसमें गड्ढा बन कर रह गया है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तालााबों केे सौंदर्यकरण पर ध्यान नहीं दिया गया और यही कारण है कि धीरे-धीरे सौन्दर्यीकरण बर्बाद हो गया. सभी तालाब शराबखोरी का अड्डाा बन कर रह गए हैं. पूर्व में कमिश्नर प्रभाकर पांडे ने पीपीपी मॉडल में काम शुरू करने की योजना बनाई थी लेकिन उनके जाते ही ये योजना भी फेल हो गई.

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निजी कंपनी को दिया गया है सौंदर्यीकरण का काम

तालाब को नगर निगम पीपीपी मॉडल के तहत तैयार करवाने काम शुरू किया था. जिसमें इस योजना में रायपुर की एक कंपनी को तालाब के सौंदर्यीकरण का काम सौंपा गया है. कंपनी बंधवापारा के तालाब को ठेका में ली है और काम शुरू किया है. कंपनी इसमें पैसे खर्च करेगी और इस पैसे की वसूली वह अलग-अलग ढंग से करेगी. जैसे यहां तालाब में पानी भर कर फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, होटल और पार्क के अलग-अलग हिस्सों में सौंदर्यीकरण कर उसका टिकट लगा कर पैसे की वसूली करेगी.

निगम अपनी गलती सुधारने फिर से उसका सौंदर्यीकरण करने जा रहा है. यानी पहले जो पब्लिक का पैसा नगर निगम टैक्स के माध्यम से वसूल रहा था, उसे तो बर्बाद किया गया ही है, अब इसमें फिर से एक बार प्राइवेट कंपनी पैसे लगा कर फिर वसूल कर अपने खर्चे को पूरा करेगी. सरोवर धरोहर योजना के तहत शहर के लगभग 5 तालाबों का 50 करोड़ रुपए लगा कर सौंदर्यीकरण किया गया था.

लेकिन वह भी असफल रहा और वह तालाब भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. एक बार फिर नगर निगम यही गलती दोहराने जा रही है. बंधवापाराा ताला को भले ही टिकट लगा कर वहां से पैसा वसूलने की तैयारी निधि कंपनी करेगी लेकिन इसके लिए इसका तैयार होना भी जरूरी है. जो अब तक नहीं हो पाया है. यह योजना 2007 से शुरू हुई थी लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाई है.

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