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सरगुजा में सांप काटने से हर हफ्ते होती है एक मौत

snakebite cases surguja: सरगुजा और आसपास के जिलों में सांपों की संख्या अधिक है. हर साल बरसात के मौसम में यहां स्नेक बाइट के मामले बढ़ जाते हैं. स्वास्थ्य विभाग के लिये भी यह चुनौती होता है. हालांकि विभाग का दावा है कि पर्याप्त संख्या में एंटी स्नेक वेनम स्टोर कर लिए गए हैं.

snakebite cases surguja
सरगुजा में सर्पदंश के मामले
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Published : Jul 7, 2022, 9:18 PM IST

Updated : Jul 7, 2022, 10:32 PM IST

सरगुजा: नागलोक के नाम से मशहूर सरगुजा में सर्प दंश के मामले ज्यादा पाये जाते है. बारिश के मौसम में तो यह आंकड़ा और अधिक बढ़ जाता है. सर्पदंश को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारी ETV भारत से बताई. विभाग के मुताबिक 15 सौ से अधिक वायल एंटी स्नेक वेनम सरगुजा के पास है. इनमें से आवश्यकता अनुसार एंटी वेनम कोल्ड चेन वाले स्वास्थ्य केंद्रों में भेज दिया गया है. बाकी का स्टॉक सीजीएमसी के स्टॉक में रखा हुआ है. (snakebite cases surguja )

सरगुजा में सर्पदंश के मामले

सरगुजा में सर्पदंश से मौत के कारणों पर नजर डालें तो सांप काटने के बाद झाड़फूंक के चक्कर में ही ज्यादातर मौत होती है. लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं. झाड़फूंक में समय गंवाते हैं. देरी हो जाने से जहर पूरे शरीर मे फैल जाता है. और तब एंटी स्नेक वेनम से मरीज को बचा पाना संभव नहीं होता है. उप स्वास्थ्य केंद्रों में कोल्ड चैन और डॉक्टर नहीं होने की वजह से एंटी स्नेक वेनम ना तो वहां स्टोर किया जा सकता है और ना ही इस इंजेक्शन को लगाने के लिये वहां अनुभवी स्टाफ होते हैं. इसलिए सर्प दंश के मामले नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजे जाते हैं. जहां डॉक्टर अपनी निगरानी में एंटी स्नेक वेनम का डोज तय करते हैं.

डीपीएम डॉ. पुष्पेंद्र राम बताते हैं " टोटल 196 सब सेंटर हैं, 7 सीएचसी और 35 पीएचसी हैं. सभी जगह एंटी वेनम उपलब्ध है. जिले में अभी 1586 एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिए गए हैं कि वो जरूरत के अनुसार कैम्प लगाए और 108 और 102 के माध्यम से मरीज की स्थिति के आधार पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल भेजे".

कोरबा में सावधान! यहां घूमती रहती है मौत

सरगुजा में हर हफ्ते सांप काटने से होती है मौत: सर्प दंश के मामले में सरगुजा के स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी ने बताया " सरगुजा में हरियाली अधिक है. यही कारण है की यहां सांप अधिक पाए जाते हैं. यहां हर सप्ताह एक न एक मौत सर्प दंश से होती है. मौतें इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि जिले में अंधविश्वास बहुत ज्यादा है. धमना यानी की रेड स्नेक हमारे आपके सबके घर में आते हैं. जब भी मैं उसको पकड़ने जाता हूं. एक अफवाह है की धमना पूंछ से मारेगा तो बॉडी गलने लगती है. लोग सूखने लगते हैं. भारत में सबसे ज्यादा जान करैत के काटने से जाती है. भारत में हर साल 60 प्रतिशत मौत करैत के काटने से होती है. करैत के बारे में अफवाह है कि इसकी बॉडी में स्मेल रहती है. मार के पानी में भी फेंक दिए जाए तो पानी भी विषैला हो जायेगा. (surguja snake man Satyam Dwivedi )

झाड़फूंक से इलाज में होती है देरी: झाड़फूंक की समस्या भी बड़ी है. बीते दिनों एक शख्स की दादी को सांप ने काटा दिया था. वे कहने लगे कि पहले झाड़फूंक कराएंगे फिर शहर लेकर आयेंगे. अब सोचिए कि अगर कोई सांप काटता है तो वो गुस्से में 7-8 एम एल जहर आपके शरीर में छोड़ रहा है. ऐसे में आपके पास 45 मिनट से 2 घंटे का समय रहता है. इस समय को झाड़ फूंक में व्यर्थ करने से जिंदगी को खतरा हो सकता है.

सरगुजा स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी की सलाह: सत्यम सलाह देते है "अगर आपको सांप ने काटा है तो संभव हो तो उसकी फोटो लेकर आप एक्सपर्ट को भेज दें. क्योंकि वो फोटो देखकर समझ जाएंगे कि सांप जहरीला है या नहीं. अगर आपको पहले ही पता चल जाये की काटने वाला सांप जहरीला नहीं तो डर की वजह से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ेगा. एक और बात जब भी सांप काटता है लोग उस जगह को टाइट करके बांध देते हैं. ऐसा ना करें. बांधना ही है तो थोड़ा दूर बांधे और ज्यादा टाइट ना बांधे. अस्पताल में डॉक्टर जब उस पट्टी को खोलता है तो इकट्ठा हुआ जहर तेजी से शरीर में फैलता है. झाड़फूंक पर विश्वास मत कीजिए. अस्पताल जाकर एंटी स्नेक वेनम लगवाएं".

अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 22 मौत: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के आंकड़ों के मुताबिक सरगुजा में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक लगभग 316 लोगों सर्पदंश का शिकार हुए. इनमें से 22 लोगों की मौत हुई हैं. सर्प दंश और उससे हुई मौत के ये वो आंकड़े हैं जो अस्पताल तक लाये गये. लेकिन मौत के इससे कई ज्यादा आंकड़े हैं.क्योंकि झाड़फूंक के चक्कर में कई लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. सांपों का रेस्क्यू करने वाले सत्यम का दावा है कि हफ्ते में एक मौत सांप काटने से होती है. क्योंकि सांप काटने के मामले की जानकारी उन तक जरूर पहुंचती है.


सरगुजा: नागलोक के नाम से मशहूर सरगुजा में सर्प दंश के मामले ज्यादा पाये जाते है. बारिश के मौसम में तो यह आंकड़ा और अधिक बढ़ जाता है. सर्पदंश को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारी ETV भारत से बताई. विभाग के मुताबिक 15 सौ से अधिक वायल एंटी स्नेक वेनम सरगुजा के पास है. इनमें से आवश्यकता अनुसार एंटी वेनम कोल्ड चेन वाले स्वास्थ्य केंद्रों में भेज दिया गया है. बाकी का स्टॉक सीजीएमसी के स्टॉक में रखा हुआ है. (snakebite cases surguja )

सरगुजा में सर्पदंश के मामले

सरगुजा में सर्पदंश से मौत के कारणों पर नजर डालें तो सांप काटने के बाद झाड़फूंक के चक्कर में ही ज्यादातर मौत होती है. लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं. झाड़फूंक में समय गंवाते हैं. देरी हो जाने से जहर पूरे शरीर मे फैल जाता है. और तब एंटी स्नेक वेनम से मरीज को बचा पाना संभव नहीं होता है. उप स्वास्थ्य केंद्रों में कोल्ड चैन और डॉक्टर नहीं होने की वजह से एंटी स्नेक वेनम ना तो वहां स्टोर किया जा सकता है और ना ही इस इंजेक्शन को लगाने के लिये वहां अनुभवी स्टाफ होते हैं. इसलिए सर्प दंश के मामले नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजे जाते हैं. जहां डॉक्टर अपनी निगरानी में एंटी स्नेक वेनम का डोज तय करते हैं.

डीपीएम डॉ. पुष्पेंद्र राम बताते हैं " टोटल 196 सब सेंटर हैं, 7 सीएचसी और 35 पीएचसी हैं. सभी जगह एंटी वेनम उपलब्ध है. जिले में अभी 1586 एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिए गए हैं कि वो जरूरत के अनुसार कैम्प लगाए और 108 और 102 के माध्यम से मरीज की स्थिति के आधार पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल भेजे".

कोरबा में सावधान! यहां घूमती रहती है मौत

सरगुजा में हर हफ्ते सांप काटने से होती है मौत: सर्प दंश के मामले में सरगुजा के स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी ने बताया " सरगुजा में हरियाली अधिक है. यही कारण है की यहां सांप अधिक पाए जाते हैं. यहां हर सप्ताह एक न एक मौत सर्प दंश से होती है. मौतें इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि जिले में अंधविश्वास बहुत ज्यादा है. धमना यानी की रेड स्नेक हमारे आपके सबके घर में आते हैं. जब भी मैं उसको पकड़ने जाता हूं. एक अफवाह है की धमना पूंछ से मारेगा तो बॉडी गलने लगती है. लोग सूखने लगते हैं. भारत में सबसे ज्यादा जान करैत के काटने से जाती है. भारत में हर साल 60 प्रतिशत मौत करैत के काटने से होती है. करैत के बारे में अफवाह है कि इसकी बॉडी में स्मेल रहती है. मार के पानी में भी फेंक दिए जाए तो पानी भी विषैला हो जायेगा. (surguja snake man Satyam Dwivedi )

झाड़फूंक से इलाज में होती है देरी: झाड़फूंक की समस्या भी बड़ी है. बीते दिनों एक शख्स की दादी को सांप ने काटा दिया था. वे कहने लगे कि पहले झाड़फूंक कराएंगे फिर शहर लेकर आयेंगे. अब सोचिए कि अगर कोई सांप काटता है तो वो गुस्से में 7-8 एम एल जहर आपके शरीर में छोड़ रहा है. ऐसे में आपके पास 45 मिनट से 2 घंटे का समय रहता है. इस समय को झाड़ फूंक में व्यर्थ करने से जिंदगी को खतरा हो सकता है.

सरगुजा स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी की सलाह: सत्यम सलाह देते है "अगर आपको सांप ने काटा है तो संभव हो तो उसकी फोटो लेकर आप एक्सपर्ट को भेज दें. क्योंकि वो फोटो देखकर समझ जाएंगे कि सांप जहरीला है या नहीं. अगर आपको पहले ही पता चल जाये की काटने वाला सांप जहरीला नहीं तो डर की वजह से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ेगा. एक और बात जब भी सांप काटता है लोग उस जगह को टाइट करके बांध देते हैं. ऐसा ना करें. बांधना ही है तो थोड़ा दूर बांधे और ज्यादा टाइट ना बांधे. अस्पताल में डॉक्टर जब उस पट्टी को खोलता है तो इकट्ठा हुआ जहर तेजी से शरीर में फैलता है. झाड़फूंक पर विश्वास मत कीजिए. अस्पताल जाकर एंटी स्नेक वेनम लगवाएं".

अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 22 मौत: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के आंकड़ों के मुताबिक सरगुजा में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक लगभग 316 लोगों सर्पदंश का शिकार हुए. इनमें से 22 लोगों की मौत हुई हैं. सर्प दंश और उससे हुई मौत के ये वो आंकड़े हैं जो अस्पताल तक लाये गये. लेकिन मौत के इससे कई ज्यादा आंकड़े हैं.क्योंकि झाड़फूंक के चक्कर में कई लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. सांपों का रेस्क्यू करने वाले सत्यम का दावा है कि हफ्ते में एक मौत सांप काटने से होती है. क्योंकि सांप काटने के मामले की जानकारी उन तक जरूर पहुंचती है.


Last Updated : Jul 7, 2022, 10:32 PM IST
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