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ढाई-ढाई साल के CM: सरगुजा के लोगों के दिल की बात, क्या महाराज को मिलेगा प्रदेश का ताज ? - टीएस सिंहदेव

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार (bhupesh government) के ढाई साल 17 जून को पूरे होने जा रहे हैं. प्रदेश एक तरफ जहां ढाई-ढाई साल सीएम फॉर्मूले के मुद्दे पर चर्चाओं का बाजार गर्म है. वहीं दूसरी ओर सरगुजा के लोगों को बेसब्री से इंतजार है कि उनके महाराज यानी टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister TS Singh Deo) राज्य के मुख्यमंत्री कब बनेंगे ? सरगुजा के लोगों के दिल को जब ETV भारत ने टटोला तो देखिए उन्होंने क्या कहा...

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ढाई ढाई साल CM सरगुजिहा सरकार
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Published : Jun 16, 2021, 10:15 PM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार (Bhupesh government) 17 जून को ढाई साल पूरे करने जा रही है. ऐसे में ढाई- ढाई साल सीएम फॉर्मूले के मुद्दे पर पर सियासत भी तेज हो गई है. इस मामले में बीजेपी जहां कांग्रेस सरकार पर जमकर चुटकी ले रही है. वहीं कांग्रेस नेता ऐसे किसी भी बदलाव को लेकर इनकार कर रहे हैं. लेकिन ढाई साल के सीएम के इंतजार में जिनका नाम है उन्होंने कभी इस संभावना से इनकार नहीं किया है. हम बात कर रहे हैं विधानसभा चुनाव के समय सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जाने वाले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister TS Singh Deo) की. सिंहदेव जब भी इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने हमेशा फैसला हाई कमान पर छोड़ने की बात कही.

ढाई-ढाई साल के CM को लेकर सरगुजा के लोगों के दिल की बात

ढाई-ढाई साल सीएम फॉर्मूले पर विरोधी भी सिंहदेव के साथ

17 जून को प्रदेश सरकार के ढाई साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में सरगुजा संभाग और सिंहदेव के अधिक प्रभाव वाले आसपास के क्षेत्रों में फिर से यह मांग उठने लगी है कि कांग्रेस अब टीएस सिंहदेव को सीएम बनाए. विधानसभा चुनाव के समय सिंहदेव के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बीजेपी समेत दूसरे दलों के नेता भी इस मुद्दे पर सिंहदेव का समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को आगे कर चुनाव लड़ा. कांग्रेस को लोगों ने बड़ा बहुमत दिया, जिसके परिणाम स्वरूप सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया. सभी प्रत्याशी बड़े अंतर से जीते. लेकिन सरकार बनने के बाद सीएम का चेहरा बदल दिया गया, जिससे सरगुजा क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है.

ढाई-ढाई साल सीएम के फॉर्मूले पर हंस पड़े बघेल- कहा 'ये क्या है, मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता'

'सरगुजिहा सरकार का नारा सिर्फ नारा ही रह गया'

क्षेत्र के मतदाताओं में कांग्रेस को सिर्फ इसलिए वोट दिया कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 'सरगुजिहा सरकार' का नारा सिर्फ नारा ही रह गया. उन दिनों कांग्रेस के प्रचार वाहनों में एक गीत बजा करता था जिसमें 'सरगुजिहा सरकार' का जिक्र किया जा रहा था. पूरे प्रचार के दौरान और उससे काफी पहले से ऐसा माहौल बनाया गया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सिंहदेव मुख्यमंत्री होंगे. हालांकि कभी उनका नाम घोषित नहीं किया गया. कांग्रेस ने बिना चेहरा प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ा.

ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को मन में नहीं रखना चाहिये, ये हाईकमान तय करेगा: सिंहदेव

जन घोषणा पत्र समिति के प्रमुख थे टीएस सिंहदेव

दरअसल, जब 2018 से पहले डॉक्टर रमन सिंह (Raman Singh) की सरकार थी, तब टीएस सिंहदेव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. अपनी शालीन और बेबाक छवि की वजह से वो काफी लोकप्रिय भी रहे. इसी बीच चुनाव की तैयारियां शुरू हुई. कांग्रेस आलाकमान ने टीएस सिंहदेव को जन घोषणा पत्र समिति का मुखिया बना दिया. उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई कि वो कांग्रेस के लिए जन घोषणा पत्र तैयार करें. जिसके बाद लगातार सिंहदेव का उड़न खटोला छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र तक पहुंचा. वे हर जिले में जाकर हर वर्ग से मिलकर लोगों की राय ले रहे थे. लोगों के सुझाव के आधार पर ही जन घोषणा पत्र तैयार किया गया. प्रदेश में लगातार दौरे और लोगों के बीच उपस्थिति ने माहौल बना दिया कि सिंहदेव ही सीएम होंगे. चुनाव प्रचार जब शुरू हुआ तब भी सिंहदेव अपनी विधानसभा में प्रचार करने कम ही आए. वे लगातार प्रदेश की हवाई यात्रा करते रहे और कांग्रेस के अन्य प्रत्यशियों के लिए चुनाव प्रचार करते रहे.

ढाई-ढाई साल का हो रहा बार-बार जिक्र, मतलब कुछ तो होने वाला है: रमन सिंह

लोगों की अभी उम्मीद, सिंहदेव बनेंगे सीएम

इधर विधानसभा चुनाव के सरगुजा में हर वर्ग के लोग कांग्रेस के साथ आ खड़े हुए. कारण सिर्फ एक था सरगुजा से मुख्यमंत्री बनाना. चुनाव संपन्न हुए और कांग्रेस ने प्रदेश में बंपर सीटें जीत दर्ज की. दिल्ली में छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री तय करने के लिए लंबी मैराथन बैठ चली. कभी चरण दास महंत तो कभी ताम्रध्वज साहू का नाम भी चर्चा में आने लगा, लेकिन अंततः कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे राजधानी रायपुर पहुंचे और उन्होंने भूपेश बघेल के नाम की घोषणा कर दी. तब से एक बात हमेशा चर्चा में रही कि दिल्ली में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच आधी-आधी पारी खेलने का समझौता हुआ है. हालांकि कभी कांग्रेस आलाकमान ने इस विषय मे कुछ नहीं कहा, लेकिन यह चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही और जैसे-जैसे समय बीत रहा है चर्चाओं का बाजार और गर्म होता जा रहा है. सरगुजा में लोग अब भी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे और सरगुजा को भी पहली बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा.

बीजेपी नेताओं ने हमेशा से कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि सरगुजा के लोगों को बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को कांग्रेस ने छला है. टीएस सिंहदेव के नाम पर वोट लिया गया और मुख्यमंत्री किसी और को बना दिया गया. इधर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने कोई छल नहीं किया है. लोगों के काम हो रहे हैं. जन घोषणा पत्र के वादे पूरे किए जा रहे हैं. उन्हें कांग्रेस आलाकमान पर पूरा भरोसा है कि उचित निर्णय लेंगे.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार (Bhupesh government) 17 जून को ढाई साल पूरे करने जा रही है. ऐसे में ढाई- ढाई साल सीएम फॉर्मूले के मुद्दे पर पर सियासत भी तेज हो गई है. इस मामले में बीजेपी जहां कांग्रेस सरकार पर जमकर चुटकी ले रही है. वहीं कांग्रेस नेता ऐसे किसी भी बदलाव को लेकर इनकार कर रहे हैं. लेकिन ढाई साल के सीएम के इंतजार में जिनका नाम है उन्होंने कभी इस संभावना से इनकार नहीं किया है. हम बात कर रहे हैं विधानसभा चुनाव के समय सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जाने वाले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Chhattisgarh Health Minister TS Singh Deo) की. सिंहदेव जब भी इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने हमेशा फैसला हाई कमान पर छोड़ने की बात कही.

ढाई-ढाई साल के CM को लेकर सरगुजा के लोगों के दिल की बात

ढाई-ढाई साल सीएम फॉर्मूले पर विरोधी भी सिंहदेव के साथ

17 जून को प्रदेश सरकार के ढाई साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में सरगुजा संभाग और सिंहदेव के अधिक प्रभाव वाले आसपास के क्षेत्रों में फिर से यह मांग उठने लगी है कि कांग्रेस अब टीएस सिंहदेव को सीएम बनाए. विधानसभा चुनाव के समय सिंहदेव के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बीजेपी समेत दूसरे दलों के नेता भी इस मुद्दे पर सिंहदेव का समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को आगे कर चुनाव लड़ा. कांग्रेस को लोगों ने बड़ा बहुमत दिया, जिसके परिणाम स्वरूप सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया. सभी प्रत्याशी बड़े अंतर से जीते. लेकिन सरकार बनने के बाद सीएम का चेहरा बदल दिया गया, जिससे सरगुजा क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है.

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'सरगुजिहा सरकार का नारा सिर्फ नारा ही रह गया'

क्षेत्र के मतदाताओं में कांग्रेस को सिर्फ इसलिए वोट दिया कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 'सरगुजिहा सरकार' का नारा सिर्फ नारा ही रह गया. उन दिनों कांग्रेस के प्रचार वाहनों में एक गीत बजा करता था जिसमें 'सरगुजिहा सरकार' का जिक्र किया जा रहा था. पूरे प्रचार के दौरान और उससे काफी पहले से ऐसा माहौल बनाया गया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सिंहदेव मुख्यमंत्री होंगे. हालांकि कभी उनका नाम घोषित नहीं किया गया. कांग्रेस ने बिना चेहरा प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ा.

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जन घोषणा पत्र समिति के प्रमुख थे टीएस सिंहदेव

दरअसल, जब 2018 से पहले डॉक्टर रमन सिंह (Raman Singh) की सरकार थी, तब टीएस सिंहदेव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. अपनी शालीन और बेबाक छवि की वजह से वो काफी लोकप्रिय भी रहे. इसी बीच चुनाव की तैयारियां शुरू हुई. कांग्रेस आलाकमान ने टीएस सिंहदेव को जन घोषणा पत्र समिति का मुखिया बना दिया. उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई कि वो कांग्रेस के लिए जन घोषणा पत्र तैयार करें. जिसके बाद लगातार सिंहदेव का उड़न खटोला छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र तक पहुंचा. वे हर जिले में जाकर हर वर्ग से मिलकर लोगों की राय ले रहे थे. लोगों के सुझाव के आधार पर ही जन घोषणा पत्र तैयार किया गया. प्रदेश में लगातार दौरे और लोगों के बीच उपस्थिति ने माहौल बना दिया कि सिंहदेव ही सीएम होंगे. चुनाव प्रचार जब शुरू हुआ तब भी सिंहदेव अपनी विधानसभा में प्रचार करने कम ही आए. वे लगातार प्रदेश की हवाई यात्रा करते रहे और कांग्रेस के अन्य प्रत्यशियों के लिए चुनाव प्रचार करते रहे.

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लोगों की अभी उम्मीद, सिंहदेव बनेंगे सीएम

इधर विधानसभा चुनाव के सरगुजा में हर वर्ग के लोग कांग्रेस के साथ आ खड़े हुए. कारण सिर्फ एक था सरगुजा से मुख्यमंत्री बनाना. चुनाव संपन्न हुए और कांग्रेस ने प्रदेश में बंपर सीटें जीत दर्ज की. दिल्ली में छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री तय करने के लिए लंबी मैराथन बैठ चली. कभी चरण दास महंत तो कभी ताम्रध्वज साहू का नाम भी चर्चा में आने लगा, लेकिन अंततः कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे राजधानी रायपुर पहुंचे और उन्होंने भूपेश बघेल के नाम की घोषणा कर दी. तब से एक बात हमेशा चर्चा में रही कि दिल्ली में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच आधी-आधी पारी खेलने का समझौता हुआ है. हालांकि कभी कांग्रेस आलाकमान ने इस विषय मे कुछ नहीं कहा, लेकिन यह चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही और जैसे-जैसे समय बीत रहा है चर्चाओं का बाजार और गर्म होता जा रहा है. सरगुजा में लोग अब भी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे और सरगुजा को भी पहली बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा.

बीजेपी नेताओं ने हमेशा से कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि सरगुजा के लोगों को बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को कांग्रेस ने छला है. टीएस सिंहदेव के नाम पर वोट लिया गया और मुख्यमंत्री किसी और को बना दिया गया. इधर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने कोई छल नहीं किया है. लोगों के काम हो रहे हैं. जन घोषणा पत्र के वादे पूरे किए जा रहे हैं. उन्हें कांग्रेस आलाकमान पर पूरा भरोसा है कि उचित निर्णय लेंगे.

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