अम्बिकापुर: सरगुजा जिला मुख्यालय में पशु चिकित्सालय की हालात गंभीर हैं. यहां मवेशियों के इलाज के लिए सही व्यवस्था नहीं होने से कहीं मवेशियों की लाश पड़ी है, तो कहीं वे गंभीर हालत में हैं.
शहर की सड़कों पर आए दिन हादसों के शिकार मवेशियों को समय पर इलाज नहीं मिलता, जिससे उनकी मौत हो जाती है. मौत के बाद मवेशियों को दफनाने की जगह उन्हें खुले में फेंक दिया जाता है, जिसकी वजह से इलाके में बीमारी फैलने का खतरा है.
कंपाउंडर कर रहे इलाज
दरअसल, चांदनी चौक में बीती रात को सड़क हादसे में घायल गाय को गौ सेवक मंडल सरगुजा के सदस्यों ने इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन पशु अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं होने से कंपाउंडर ने गाय का इलाज किया, लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो गई.
गौ सेवक मंडल ने लगाया आरोप
- नगर निगम की ओर से गौ पलकों पर कोई कार्रवाई नहीं करती, जिसके कारण सड़कों पर खुलेआम मवेशियों का जमावड़ा रहता है.
- जिससे आए दिन पशुओं की मौत होती रहती है. रात में ड्यूटी पर कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं होते हैं.
- हर बार अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों का मोबाइल नंबर लेकर उनसे संपर्क करने पर फोन नहीं उठाया जाता है.
- प्रयास करने के बाद भी फोन नहीं उठाने पर कंपाउंडर की ओर से गाय का इलाज किया जाता है.
- वहीं मवेशियों की मौत हो जाने पर उन्हें दफनाने की कोई व्यवस्था नहीं होने पर मवेशियों के शव को निगम की ओर से खुले में फेंक दिया जाता है.
अधिकारियों के मुताबिक
अस्पताल के उपसंचालक का कहना है कि दौरे में बाहर जाने की वजह से उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि पशु अस्पताल रात 8 बजे के बाद बंद हो जाता है. अगर घटना की सूचना दी जाती, तो डॉक्टर आकर घायल पशु का इलाज करते हैं.