सरगुजा: राजस्थान के कोटा से प्रदेश लौटने के बाद अब छात्र अपने-अपने घर पहुंच गए हैं. कोटा से लौटकर रायगढ़ और दुर्ग में क्वॉरेंटाइन किए गए छात्र-छात्राएं बुधवार को सरगुजा जिला मुख्यालय पहुंच गए जिसके बाद उन्हें परिजनों को सौंप दिया गया. घर पहुंचते ही परिजन और छात्र बेहद खुश नजर आए.
छात्रों को परिजन के सौंपने से पहले शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने एक एफिडेविट भरवाया है जिसके तहत छात्रों और उनके अभिभावकों को 14 दिनों के लिए होम क्वॉरेंटाइन में रहना होगा. इस दौरान उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होगी और घर के अंदर भी मास्क लगाकर सैनिटाइजर का उपयोग करते रहना होगा. घर में भी छात्र और परिजन को क्वॉरेंटाइन के सभी नियमों का पालन करना होगा. नियमों की अनदेखी करने या शहर में घूमने की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
सरकार ने सुनी छात्र और परिजनों की गुहार
राजस्थान के कोटा में प्रदेश और सरगुजा संभाग के छात्र-छात्राएं फंसे हुए थे. कोटा में फंसे छात्रों को वापस घर लाने के लिए परिजन लगातार सरकार से मांग कर रहे थे, वहीं छात्र भी अपनी ओर से गुहार लगा रहे थे. बच्चों को वापस लाने के लिए राजनैतिक दलों ने भी आवाज उठाई थी. इस बीच केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद एक सप्ताह पहले राज्य शासन ने बसें राजस्थान के कोटा के लिए रवाना की थी. छात्रों को प्रदेश में लाने के बाद जिला मुख्यालय में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने की तैयारी थी, लेकिन ऐन वक्त पर शासन ने नियमों में परिवर्तन करते हुए बच्चों को अलग-अलग जिलों में रोकने का निर्णय लिया. शासन के निर्देश के बाद सरगुजा जिले के बच्चे रायगढ़ और दुर्ग जिले में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके थे और एक सप्ताह बीतने के बाद इनमें किसी प्रकार का लक्षण नजर नहीं आने पर राज्य सरकार ने बच्चों को उनके घर भेजने का निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया.
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क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने के बाद छात्र पहुंचे घर
आदेश जारी होने के बाद मंगलवार की शाम रायगढ़ जिले से सरगुजा और बलरामपुर जिले के छात्र अपने-अपने घरों के लिए रवाना हुए. सरगुजा जिले के 19 छात्र अलग-अलग बसों से रायगढ़ से रवाना हुए. इन बच्चों को देर रात तक अपने जिला मुख्यालय पहुंचना था लेकिन रायगढ़ रोड की जर्जर स्थिति के कारण सभी बसें बुधवार की सुबह जिला मुख्यालय पहुंची. वहीं दुर्ग जिले में रखे गए 117 छात्र बुधवार की सुबह दुर्ग से निकले और देर रात करीब 11 बजे अंबिकापुर पहुंचे. गृह ग्राम पहुंचने के बाद छात्रों की खुशी देखते ही बन रही थी.