रायपुर : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रायपुर रेल मंडल से गुरुवार को पहली बार डब्ल्यूएजी-12 श्रेणी का विद्युत लोकोमोटिव पटरी पर उतर गया. यह इंजन भारतीय रेलवे के पास मौजूद विद्युत लोकोमोटिव इंजनों में सबसे शक्तिशाली है. इस इंजन को भारतीय रेलवे और एल्सटॉम ने संयुक्त रूप से ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अन्तर्गत विकसित किया है.
डब्ल्यूएजी-12 श्रेणी लोकोमोटिव 12000 हॉर्स पावर की शक्ति प्रदान करता है, जो वर्तमान में भारतीय रेल में काम कर रहे डब्ल्यूएजी- 9 लोकोमोटिव से दोगुना शक्तिशाली है .इस तीन फेस लोकोमोटिव के दो यूनिट हैं, जिसके सभी यूनिट में ट्विन बो-बो प्रकार की बोगियां हैं और उनमें 8 ट्रेक्शन मोटर और 8 एक्सलो पर स्थापित हैं. इस लोकोमोटिव की संरचना से न केवल समय पर कार्य निष्पादन होगा, बल्कि इसकी क्षमता अन्य लोकोमोटिव की तुलना में अत्याधिक उन्नत है. साथ ही ऊर्जा का व्यय और मेंटेनेंस का खर्च भी कम है.
डबल यूनिट की सुविधा
लोकोमोटिव की दोनों यूनिटों के अंतिम दोनों छोर पर एक एक चालक कैब स्थित है. लोको पायलेट को किसी एक छोर पर स्थित कैब से लोकोमोटिव का परिचालन करना रहता है और वे इसी कैब से लोकोमोटिव का नियंत्रण और त्रुटी निवारण दोनों ही कर सकते हैं .यदि किसी एक यूनिट में किसी प्रकार की खराबी होती है, तो उसे अलग करके भी दूसरे यूनिट के जरिए इंजन का परिचालन जारी रखा जा सकता है. लोकोमोटिव की इस विशेषता के कारण ही ट्रेन के लेट होने जैसी समस्याएं बहुत ही कम हो जाती हैं.
भारी वजन खींचने की क्षमता
यह अत्यधिक शक्तिशाली इंजन है, जो 1:150 तीव्रता वाली चढ़ाइयों में 6 हजार टन भार को खींच सकता है. इसकी इस विशेषता के कारण अत्याधिक भार वाली गाडियों के चढ़ाइयों में फंस जाने की संभावना भी कम हो जाएंगी. इसके अलावा लोकोमोटिव में 1000 लीटर क्षमता वाले दो मेन रिस्रावायर हैं जो की लॉन्ग हौल ट्रेनों को कार्य करते समय प्रेशर का स्तर बनाए रखने में बहुत ज्यादा सहायक है.
सभी मौसम में परिचालन
इस लोकोमोटिव में रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग कि सुविधा है. सभी हार्डवेयर और कंट्रोल को पारिदार्शित करने वाला ड्राइवर डिस्प्ले यूनिट है ,जिसके कारण आद्रता, धूल युक्त वातावरण और अत्याधिक गर्म वातावरण में परिचालन किया जा सकता है. इसकी अधिकतम स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा है ,जिसे 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक अपडेट किया जा सकता हैं .
लोको पायलेटों को ऑनलाइन प्रशिक्षण
लोकोमोटिव की इन विशेषताओं के कारण ट्रेनों की गति बढ़ेगी और ऊर्जा संरक्षण से निश्चय ही भारतीय रेल को कार्य पूरा करने सफलता मिलेगी. इस लोकोमोटिव इंजन को चलाने के लिए विद्युत् परिचालन विभाग के निरीक्षकों और लोको पायलेटों को लॉकडाउन की अवधि में रेलवे बोर्ड की ओर से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है. वर्त्तमान में ये कर्मी बीएमवाई में एक दिन का प्रायोगिक प्रशिक्षण कर रहें हैं. आने वाले समय में 800 लोकोमोटिव इंजन का परिचालन किया जाएगा ,जिसके लिए लोको पायलेटों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे की वे मंडल में इन लोकोमोटिव इंजन चला सकें.