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तिरंगा यात्रा को लेकर विपक्ष ने सरकार पर किया पलटवार, RSS पर भी साधा निशाना

हर घर तिरंगा अभियान के तहत आज निकाली गई तिरंगा बाइक रैली में काफी संख्या में भाजपा के सांसद और मंत्रियों ने भाग लिया. वहीं विपक्षी सांसदों ने कार्यक्रम से न केवल किनारा किया बल्कि सरकार पर हमला करते हुए आरएसएस पर भी निशाना साधा. पढ़िए ईटीवी भारत के संवाददाता अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट...

Tiranga Rally
तिरंगा यात्रा
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Published : Aug 3, 2022, 9:56 PM IST

नई दिल्ली : आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर मोदी सरकार जहां इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का आवाह्न कर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कार्यक्रमों की होड़ में आम लोगों से जुड़े मूल मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप विपक्षी पार्टियां सरकार पर लगा रही हैं. इसी क्रम में आरएसएस भी विपक्ष के निशाने पर आ गई है. अमृत महोत्सव की कड़ी में ही प्रधानमंत्री मोदी ने देश से 'हर घर तिरंगा' का आवाह्न किया था और आज सुबह उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिल्ली के लाल किले से तिरंगा बाइक रैली को हरी झंडी दिखाई. यह तिरंगा बाइक रैली इंडिया गेट तक पहुंची जिसमें बड़ी संख्या में भाजपा के सांसद और मंत्रियों ने हिस्सा लिया.

बताया जा रहा है कि यह एक सरकार के द्वारा आयोजित कार्यक्रम था जिसके लिए सभी विपक्षी पार्टियों के सांसदों को भी आमंत्रित किया गया था. लेकिन देश की आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम से भी विपक्ष ने किनारा कर लिया. हालांकि इसके जवाब में विपक्षी पार्टी के सांसदों की अपनी दलील दी. कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसे एक राजनीतिक कार्यक्रम बताया और कहा कि बीजेपी के राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा क्यों लें.

वहीं बसपा के सांसद दानिश अली ने भाजपा की तिरंगा यात्रा की आलोचना सदन में किसी अन्य विषय पर चर्चा के दौरान ही कर दी. दानिश अली ने 'हर घर तिरंगा' और तिरंगा बाइक रैली पर कहा कि जिस आरएसएस से भाजपा की उत्पत्ति हुई उस संगठन ने 52 साल तक अपने नागपुर स्थित मुख्यालय पर कभी तिरंगा नहीं फहराया और आज उनकी सरकार लोगों ने घर-घर तिरंगा फहराने और रैली में आने की बात कर रही है.

वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी तिरंगा अभियान पर तंज कसते हुए भजपा पर तीखा हमला बोला. एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सवाल के जवाब में संजय सिंह ने कहा कि जिस पार्टी की मातृसंस्था आरएसएस ने 52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया, बेंगलुरु से किसी पार्टी के विधायक ने बयान दिया था कि देश का झंडा तिरंगा नहीं बल्कि भगवा राष्ट्रध्वज गाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तिरंगा से का कोई लेना देना नहीं है और कोई आस्था नहीं है, इनका कृत्य इसके विरोध में दिख रहा है. आम आदमी पार्टी का जन्म जिस आंदोलन की कोख से हुआ हम हाथ में तिरंगा लेकर आए थे.

आम आदमी पार्टी के ही एक अन्य राज्यसभा सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उन्हें तिरंगा बाइक रैली का आमंत्रण जरूर मिला था लेकिन मंगलवार शाम को ही उन तक आमंत्रण पहुंचा और इतने कम समय में वह निर्णय नहीं ले पाए कि इसमें किस तरह से भाग लिया जाए. उन्होंने कहा कि तिरंगा यात्रा में भाग लेने से कोई गुरेज नहीं लेकिन यदि समय से पहले सूचना मिलती तो वह जरूर अन्य सांसदों के साथ इसमें हिस्सा लेना चाहते. वहीं तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दल के सांसद पहले ही सरकार पर फ्लैग कोड में संशोधन करने के लिए हमला बोल चुके हैं. गौरतलब है कि हाल ही में फ्लैग कोड में संशोधन कर उसमें मशीन निर्मित पॉलिएस्टर कपड़ों के इस्तेमाल को जोड़ा गया था जिसका विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था.

ये भी पढ़ें - बिना हेलमेट तिरंगा बाइक रैली में शामिल हुए मनोज तिवारी, अब भरेंगे चालान

नई दिल्ली : आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर मोदी सरकार जहां इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का आवाह्न कर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कार्यक्रमों की होड़ में आम लोगों से जुड़े मूल मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप विपक्षी पार्टियां सरकार पर लगा रही हैं. इसी क्रम में आरएसएस भी विपक्ष के निशाने पर आ गई है. अमृत महोत्सव की कड़ी में ही प्रधानमंत्री मोदी ने देश से 'हर घर तिरंगा' का आवाह्न किया था और आज सुबह उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिल्ली के लाल किले से तिरंगा बाइक रैली को हरी झंडी दिखाई. यह तिरंगा बाइक रैली इंडिया गेट तक पहुंची जिसमें बड़ी संख्या में भाजपा के सांसद और मंत्रियों ने हिस्सा लिया.

बताया जा रहा है कि यह एक सरकार के द्वारा आयोजित कार्यक्रम था जिसके लिए सभी विपक्षी पार्टियों के सांसदों को भी आमंत्रित किया गया था. लेकिन देश की आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम से भी विपक्ष ने किनारा कर लिया. हालांकि इसके जवाब में विपक्षी पार्टी के सांसदों की अपनी दलील दी. कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसे एक राजनीतिक कार्यक्रम बताया और कहा कि बीजेपी के राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा क्यों लें.

वहीं बसपा के सांसद दानिश अली ने भाजपा की तिरंगा यात्रा की आलोचना सदन में किसी अन्य विषय पर चर्चा के दौरान ही कर दी. दानिश अली ने 'हर घर तिरंगा' और तिरंगा बाइक रैली पर कहा कि जिस आरएसएस से भाजपा की उत्पत्ति हुई उस संगठन ने 52 साल तक अपने नागपुर स्थित मुख्यालय पर कभी तिरंगा नहीं फहराया और आज उनकी सरकार लोगों ने घर-घर तिरंगा फहराने और रैली में आने की बात कर रही है.

वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी तिरंगा अभियान पर तंज कसते हुए भजपा पर तीखा हमला बोला. एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सवाल के जवाब में संजय सिंह ने कहा कि जिस पार्टी की मातृसंस्था आरएसएस ने 52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया, बेंगलुरु से किसी पार्टी के विधायक ने बयान दिया था कि देश का झंडा तिरंगा नहीं बल्कि भगवा राष्ट्रध्वज गाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तिरंगा से का कोई लेना देना नहीं है और कोई आस्था नहीं है, इनका कृत्य इसके विरोध में दिख रहा है. आम आदमी पार्टी का जन्म जिस आंदोलन की कोख से हुआ हम हाथ में तिरंगा लेकर आए थे.

आम आदमी पार्टी के ही एक अन्य राज्यसभा सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उन्हें तिरंगा बाइक रैली का आमंत्रण जरूर मिला था लेकिन मंगलवार शाम को ही उन तक आमंत्रण पहुंचा और इतने कम समय में वह निर्णय नहीं ले पाए कि इसमें किस तरह से भाग लिया जाए. उन्होंने कहा कि तिरंगा यात्रा में भाग लेने से कोई गुरेज नहीं लेकिन यदि समय से पहले सूचना मिलती तो वह जरूर अन्य सांसदों के साथ इसमें हिस्सा लेना चाहते. वहीं तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दल के सांसद पहले ही सरकार पर फ्लैग कोड में संशोधन करने के लिए हमला बोल चुके हैं. गौरतलब है कि हाल ही में फ्लैग कोड में संशोधन कर उसमें मशीन निर्मित पॉलिएस्टर कपड़ों के इस्तेमाल को जोड़ा गया था जिसका विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था.

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