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Farm Laws Repeal : राज्य सभा से भी विधेयक पारित, खड़गे बोले- चुनावी नतीजों से प्रभावित फैसला - संसद समाचार

कृषि कानूनों को निरस्त (Farm Laws Repeal) करने संबंधी विधेयक (Farm Laws Repeal Bill 2021) राज्य सभा से भी पारित हो गए. विधेयकों को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्य सभा में (Agriculture Minister Tomar Rajya Sabha) पेश किया. इस पर अपनी बात रखते हुए राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कानूनों को रद्द करने का फैसला चुनावी नतीजों से प्रभावित है.

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नरेंद्र सिंह तोमर मल्लिकार्जुन खड़गे
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Published : Nov 29, 2021, 2:18 PM IST

Updated : Nov 29, 2021, 5:33 PM IST

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के निरस्त (Farm Laws Repeal) होने का रास्ता साफ हो गया है. कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी तीनों विधेयक राज्य सभा से भी पारित हो गए हैं. विधेयकों के पेश होने के बाद कांग्रेस सांसद और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार का फैसला चुनावी नतीजों से प्रभावित है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजों को देखते हुए सरकार ने अपने पैर पीछे खींचे हैं. खड़गे ने कहा कि सदन के सदस्य निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं.

खड़गे के संबोधन के दौरान भाजपा के भूपेंद्र यादव ने हस्तक्षेप करते हुए संसदीय नियमों का हवाला देते हुए कहा कि पहले प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा जाए. उपसभापति हरिवंश ने खड़गे को अपनी बात कहने की अनुमति दी. खड़गे ने अपने संबोधन में कहा कि एक साल तीन महीने के बाद आपको ज्ञान प्राप्त हुआ और कानूनों को वापस लिया.

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन से सदन के सदस्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. खड़गे ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में बने माहौल और उपचुनाव के नतीजों के कारण पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने कानून वापस लिए. खड़गे ने कहा कि आंदोलन के दौरान 700 लोग दिल्ली की सीमा पर मर चुके हैं.

हालांकि, नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों के हित में फैसला लिया है. उन्होंने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया. राज्य सभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Tomar Rajya Sabha) ने कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को पेश किया. तोमर ने कहा कि सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद किसानों के कल्याण के लिए इन कानूनों को लेकर आई थी. उन्होंने कहा 'लेकिन दुख की बात है कि कई बार प्रयत्न करने के बावजूद वह किसानों को समझा नहीं सकी.'

कृषि कानूनों के निरसन के लिए राज्य सभा से भी विधेयक पारित

कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस पर दोहरा रूख अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल ने अपने घोषणापत्र में कृषि सुधारों का वादा किया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरू नानक जयंती पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर बड़ा दिल दिखाया और यह उनकी कथनी और करनी में एकरूपता का परिचायक है.

उन्होंने कहा कि सरकार और विपक्षी दल दोनों ही इन कानूनों की वापसी चाहते हैं इसलिए कृषि कानून निरसन विधयक पर कोई चर्चा करने की जरूरत नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.

शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कृषि कानून निरसन विधेयक पर चर्चा के लिए हंगामा करते रहे. बिना चर्चा के विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर विरोध जताते हुए तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और नदीमुल हक आसन के समक्ष आ गए. विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद उप सभापति हरिवंश ने दो बज कर दस मिनट पर बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी. लगातार व्यवधान के कारण तीन बज कर करीब बीस मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया.

इससे पहले कृषि कानूनों को निरस्त (farm law repeal) करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में विधेयक पेश किए. विपक्ष के हंगामे के बीच लोक सभा से विधेयक पारित हो गए. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दी.

यह भी पढ़ें- farm law repeal : लोक सभा में कृषि कानून निरस्त करने वाला बिल पारित

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी.

बता दें कि गत 19 नवंबर को पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का एलान किया था. उन्होंने कहा था कि शीतकालीन सत्र में कानूनों को सरकार वापस लेगी. राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. उन्होंने देशवासियों से माफी भी मांगी. पीएम ने कहा कि इस महीने के अंत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर देंगे.

इसके बाद तीन कृषि कानूनों को रद्द करने से संबंधित विधेयकों को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी थी. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से वापस लेने का निर्णय लिया गया है. अगले हफ्ते में संसद की कार्यवाही शुरू होगी, वहां पर दोनों सदनों में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- Cabinet Briefing : संसद के शीतकालीन सत्र में रद्द होंगे तीनों कृषि कानून, कैबिनेट ने लगाई मुहर

एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा कि संसद में भी इस कार्य (तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने) को प्राथमिकता के आधार पर लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के कार्य को हमने पूरा कर लिया है और संसद को जो करना है, उस दिशा में काम को हम सत्र के पहले हफ्ते और पहले दिन से ही आरंभ करेंगे.

कृषि कानूनों को वापस लेने से जुड़ी खबरें-

गौरतलब है कि तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारी किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर तीन जगहों पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे वापस नहीं जाएंगे.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के निरस्त (Farm Laws Repeal) होने का रास्ता साफ हो गया है. कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी तीनों विधेयक राज्य सभा से भी पारित हो गए हैं. विधेयकों के पेश होने के बाद कांग्रेस सांसद और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार का फैसला चुनावी नतीजों से प्रभावित है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजों को देखते हुए सरकार ने अपने पैर पीछे खींचे हैं. खड़गे ने कहा कि सदन के सदस्य निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं.

खड़गे के संबोधन के दौरान भाजपा के भूपेंद्र यादव ने हस्तक्षेप करते हुए संसदीय नियमों का हवाला देते हुए कहा कि पहले प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा जाए. उपसभापति हरिवंश ने खड़गे को अपनी बात कहने की अनुमति दी. खड़गे ने अपने संबोधन में कहा कि एक साल तीन महीने के बाद आपको ज्ञान प्राप्त हुआ और कानूनों को वापस लिया.

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन से सदन के सदस्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. खड़गे ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में बने माहौल और उपचुनाव के नतीजों के कारण पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने कानून वापस लिए. खड़गे ने कहा कि आंदोलन के दौरान 700 लोग दिल्ली की सीमा पर मर चुके हैं.

हालांकि, नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों के हित में फैसला लिया है. उन्होंने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया. राज्य सभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Tomar Rajya Sabha) ने कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को पेश किया. तोमर ने कहा कि सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद किसानों के कल्याण के लिए इन कानूनों को लेकर आई थी. उन्होंने कहा 'लेकिन दुख की बात है कि कई बार प्रयत्न करने के बावजूद वह किसानों को समझा नहीं सकी.'

कृषि कानूनों के निरसन के लिए राज्य सभा से भी विधेयक पारित

कृषि मंत्री तोमर ने कांग्रेस पर दोहरा रूख अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल ने अपने घोषणापत्र में कृषि सुधारों का वादा किया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरू नानक जयंती पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर बड़ा दिल दिखाया और यह उनकी कथनी और करनी में एकरूपता का परिचायक है.

उन्होंने कहा कि सरकार और विपक्षी दल दोनों ही इन कानूनों की वापसी चाहते हैं इसलिए कृषि कानून निरसन विधयक पर कोई चर्चा करने की जरूरत नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.

शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कृषि कानून निरसन विधेयक पर चर्चा के लिए हंगामा करते रहे. बिना चर्चा के विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर विरोध जताते हुए तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और नदीमुल हक आसन के समक्ष आ गए. विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद उप सभापति हरिवंश ने दो बज कर दस मिनट पर बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी. लगातार व्यवधान के कारण तीन बज कर करीब बीस मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया.

इससे पहले कृषि कानूनों को निरस्त (farm law repeal) करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में विधेयक पेश किए. विपक्ष के हंगामे के बीच लोक सभा से विधेयक पारित हो गए. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 (Farm Laws Repeal Bill 2021) को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दी.

यह भी पढ़ें- farm law repeal : लोक सभा में कृषि कानून निरस्त करने वाला बिल पारित

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी.

बता दें कि गत 19 नवंबर को पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का एलान किया था. उन्होंने कहा था कि शीतकालीन सत्र में कानूनों को सरकार वापस लेगी. राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. उन्होंने देशवासियों से माफी भी मांगी. पीएम ने कहा कि इस महीने के अंत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर देंगे.

इसके बाद तीन कृषि कानूनों को रद्द करने से संबंधित विधेयकों को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी थी. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से वापस लेने का निर्णय लिया गया है. अगले हफ्ते में संसद की कार्यवाही शुरू होगी, वहां पर दोनों सदनों में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- Cabinet Briefing : संसद के शीतकालीन सत्र में रद्द होंगे तीनों कृषि कानून, कैबिनेट ने लगाई मुहर

एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा कि संसद में भी इस कार्य (तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने) को प्राथमिकता के आधार पर लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के कार्य को हमने पूरा कर लिया है और संसद को जो करना है, उस दिशा में काम को हम सत्र के पहले हफ्ते और पहले दिन से ही आरंभ करेंगे.

कृषि कानूनों को वापस लेने से जुड़ी खबरें-

गौरतलब है कि तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारी किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर तीन जगहों पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे वापस नहीं जाएंगे.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Nov 29, 2021, 5:33 PM IST
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