रायपुर: छत्तीसगढ़ में चुनावी बिसात बिछ रही है. सियासी दल चुनावी दंगल के लिए अपनी अच्छी सेना उतारना चाहते हैं. लिहाजा छत्तीसगढ़ में हर विधानसभा सीट के लिए सक्षम कैंडिडेट की तलाश चल रही है. खास बात यह है कि इस पूरी कवायद के लिए बाकायदा सर्वे का सहारा लिया जा रहा है.
जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए सर्वे : छत्तीसगढ़ में चुनाव करीब है. लिहाजा सभी दल बेहतर उम्मीदवार की तलाश में जुटे हैं. भाजपा कांग्रेस सर्वे भी करा रहे हैं. इस सर्वे में उम्मीदवार के कामकाज की लोकप्रियता, सत्ता संगठन से संबंध सहित तमाम बातों का ध्यान रखा जा रहा है. दोनों ही राजनीतिक दल अपने अपने स्तर पर सर्वे करा रहे हैं. इस सर्वे के मापदंड भी अलग-अलग हैं, लेकिन इसमें कोई भी कुछ भी खुलकर बोलना नहीं चाहता. सभी का कहना है कि चुनाव के दौरान जीतने वाले उम्मीदवार को टिकट दी जाएगी.
सर्वे के आधार पर बांटा जाएगा टिकट: छत्तीसगढ़ में उम्मीदवार की तलाश में सर्वे का यह पहला मौका नहीं है. छत्तीसगढ़ में सर्वे की परंपरा रही है. दोनों ही पार्टियां सर्वे कराती हैं, हालांकि सर्वे की बात को स्वीकारती नहीं हैं. समय समय पर यह बातें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पहुंच जाती है.
''चुनाव के पहले चार पांच सर्वे राजनीतिक दलों के द्वारा कराए जाते हैं. आखिरी सर्वे के बाद रिपोर्ट दिल्ली भेज दी जाती है. दिल्ली में बैठे नेता उस रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं और उस आधार पर टिकटों का वितरण किया जाता है.''- अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस में सर्वे के आधार पर टिकट वितरण कितना मुश्किल: सर्वे की टिकट वितरण में अहम भूमिका होती है. वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे कहते हैं, ''साल 2013 विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने एक सर्वे कराया था. वह सर्वे के आधार पर टिकट बांटना चाह रहे थे. बस्तर में एक युवा शामू कश्यप को टिकट दी थी. बाद में विरोध हुआ तो राहुल गांधी भी अपनी सोच पर कायम नहीं रह पाए. कांग्रेस में एक तरह का लोकतंत्र है. ऐसे में क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन भाजपा में यह जरूर है कि सर्वे के आधार पर नए चेहरों का चयन हो सकता है.''
13 सीटों वाली भाजपा के लिए सर्वे रिपोर्ट होगी काफी महत्वपूर्ण: अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि ''सबसे ज्यादा सर्वे की जरूरत भाजपा को है, क्योंकि वह 2018 के चुनाव में अपना जनाधार खोकर 15 सीटों पर सिमट गई. अब 13 विधायक ही भाजपा के बचे हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुत ज्यादा युवा और नए चेहरों को मौका दे सकती है. इसके लिए सर्वे रिपोर्ट महत्वपूर्ण होगी. सर्वे अभी हो रहा है और बाद में भी कुछ सर्वे होंगे उसके बाद चयन होगा कि किसे टिकट दी जाए और किसे नहीं.''
टिकट कटेगी तो किस दल को ज्यादा नुकसान: कांग्रेस के पास वर्तमान में 71 विधायक हैं. सिटिंग विधायकों की रिपोर्ट और उसके आधार पर उनका टिकट काटना कांग्रेस के लिए एक टेढ़ी खीर हो सकती है, क्योंकि इन 71 विधायकों में से किसी की रिपोर्ट अच्छी तो किसी की खराब रिपोर्ट भी होगी.
90 विधानसभा में दलीय स्थिति: छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. 71 सीटों पर कांग्रेस काबिज है. 14 सीटें भाजपा के पास थी, लेकिन भिलाई वैशाली के भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन के निधन के बाद अब महज 13 सीटें रह गई है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के पास तीन और बहुजन समाजवादी पार्टी के पास 2 सीटें हैं. वर्तमान में 1 सीट खाली है.