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Gujarat Riots : बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती - Bilkis Bano gangrape and murder case

बिलकिस बानो ने 2002 के गुजरात दंगों में सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी 11 लोगों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बानो का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले को रखा. गुप्ता ने तर्क दिया कि संभावना कम है कि न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अगुवाई वाली पीठ मामले की सुनवाई कर पाएगी, क्योंकि वह अब संविधान पीठ की सुनवाई का हिस्सा हैं.

Bilkis Bano files review petition in supreme court
दुष्कर्म, हत्या के दोषियों की रिहाई को बिल्किस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
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Published : Nov 30, 2022, 1:27 PM IST

Updated : Nov 30, 2022, 4:01 PM IST

नई दिल्ली: बिलकिस बानो ने 2002 के दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषियों को सजा में छूट देने तथा उन्हें रिहा किए जाने को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले को पेश किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने वकील शोभा गुप्ता की उन दलीलों पर गौर किया कि पीड़िता ने खुद दोषियों को सजा में छूट देने तथा उनकी रिहाई को चुनौती दी है तथा मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. उन्होंने कहा कि सजा में छूट के खिलाफ ऐसी ही अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी अब संविधान पीठ का हिस्सा हैं.

सीजेआई ने कहा, सबसे पहले पुनर्विचार याचिका की सुनवाई होगी. इसे न्यायमूर्ति रस्तोगी के समक्ष पेश करने दीजिए. जब बानो की वकील ने कहा कि मामले की सुनवाई खुली अदालत में की जानी चाहिए तो पीठ ने कहा, 'केवल संबंधित अदालत उस पर फैसला कर सकती है.' सीजेआई ने कहा कि वह इस मुद्दे पर शाम को फैसला लेंगे.

इससे पहले, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा था कि वह मामले में दोषियों को सजा में छूट देने तथा उन्हें रिहा करने को चुनौती देने वाली, महिला संगठन 'नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन' की याचिका पर सुनवाई करेगी.

इस साल मई में, शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि गुजरात सरकार क्षमा अनुरोध पर विचार कर सकती है क्योंकि अपराध गुजरात में हुआ था. इस फैसले के आधार पर, गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया. हालांकि हाई कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार को क्षमा पर विचार करना चाहिए क्योंकि मामले की सुनवाई गुजरात से स्थानांतरण के बाद वहीं हुई थी.

ये भी पढ़ें- सालेम गोकुलराज हत्या मामला : हाईकोर्ट ने स्वाति के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने का दिया आदेश

गुजरात में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान इस वारदात को अंजाम दिया गया था. दोषियों ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. मारे गए परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी. इस मामले में 11 दोषी 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा हो गए. गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत उन्हें रिहा करने की अनुमति दी थी. वे जेल में 15 साल से ज्यादा का समय पूरा कर चुके थे. (इनपुट-भाषा)

नई दिल्ली: बिलकिस बानो ने 2002 के दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषियों को सजा में छूट देने तथा उन्हें रिहा किए जाने को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले को पेश किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने वकील शोभा गुप्ता की उन दलीलों पर गौर किया कि पीड़िता ने खुद दोषियों को सजा में छूट देने तथा उनकी रिहाई को चुनौती दी है तथा मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. उन्होंने कहा कि सजा में छूट के खिलाफ ऐसी ही अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी अब संविधान पीठ का हिस्सा हैं.

सीजेआई ने कहा, सबसे पहले पुनर्विचार याचिका की सुनवाई होगी. इसे न्यायमूर्ति रस्तोगी के समक्ष पेश करने दीजिए. जब बानो की वकील ने कहा कि मामले की सुनवाई खुली अदालत में की जानी चाहिए तो पीठ ने कहा, 'केवल संबंधित अदालत उस पर फैसला कर सकती है.' सीजेआई ने कहा कि वह इस मुद्दे पर शाम को फैसला लेंगे.

इससे पहले, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा था कि वह मामले में दोषियों को सजा में छूट देने तथा उन्हें रिहा करने को चुनौती देने वाली, महिला संगठन 'नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन' की याचिका पर सुनवाई करेगी.

इस साल मई में, शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि गुजरात सरकार क्षमा अनुरोध पर विचार कर सकती है क्योंकि अपराध गुजरात में हुआ था. इस फैसले के आधार पर, गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया. हालांकि हाई कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार को क्षमा पर विचार करना चाहिए क्योंकि मामले की सुनवाई गुजरात से स्थानांतरण के बाद वहीं हुई थी.

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गुजरात में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान इस वारदात को अंजाम दिया गया था. दोषियों ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. मारे गए परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी. इस मामले में 11 दोषी 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा हो गए. गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत उन्हें रिहा करने की अनुमति दी थी. वे जेल में 15 साल से ज्यादा का समय पूरा कर चुके थे. (इनपुट-भाषा)

Last Updated : Nov 30, 2022, 4:01 PM IST
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