हैदराबाद : भारतीय महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत अखंड सुहागन बने रहने वाला माना जाता है. सुहागिन स्त्रियां अपने पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं. करवा चौथ का त्योहार इस साल चार नवंबर को पूरे देश में मनाया जाएगा.
स्त्रियां भोर में सरगी खाकर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में भगवान चंद्र को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. स्त्रियों में इस दिन के प्रति इतना अधिक श्रद्धा होती है कि वह कई दिन पूर्व से ही इस व्रत की तैयारी शुरू कर देती हैं.
यह त्योहार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. ज्योतिषाचार्य गणेश प्रसाद मिश्र कहते हैं कि इस साल करवा चौथ अच्छे संयोग लेकर आ रहा है. करवा चौथ पर बुध के साथ सूर्य ग्रह भी विद्यमान होंगे, जो बुधादित्य योग बना रहे हैं. करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय रात्रि 7:40 के बाद का है. वामन पुराण में करक चतुर्थी व्रत के नाम से इसका उल्लेख मिलता है.
वह आगे कहते हैं कि करवा (कलश) पांच तत्वों से मिलकर बनता है. जिस कारण सोना, चांदी या अन्य धातुओं के कलश की अपेक्षा पांच तत्वों से बने करवा को पूजा-पाठ में महत्व दिया जाता है. इस दिन सुबह से ही भगवान गणेश, शिवजी एवं मां पार्वती की पूजा की जाती है, जिससे अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति प्राप्त हो. शिवजी के मंत्रों तथा मां गौरी के मंत्रों का जाप-पाठ आदि करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है, जिससे पति को दीर्घायु प्राप्त होने का आशीर्वाद मिले.
भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है. करवा चौथ पति और पत्नी दोनों के लिये अपार प्रेम लेकर आता है. इस दिन नव-विवाहित स्त्रियों में करवा चौथ व्रत को लेकर खासा उत्साह रहता है. स्त्रियां पूरे दिन इस कठिन व्रत को रखती हैं और रात को चांद निकलने के बाद पूजा छलनी से पति का चेहरा देखकर पति के हाथ से ही व्रत का पारण करती हैं. इसके बाद ही उनका यह व्रत पूरा माना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि पूजा के बाद मिट्टी के करवा (पात्र) में चावल, उड़द की दाल, सुहाग सामग्री आदि भरकर अपनी सास से आशीर्वाद लेकर कलश को सास अथवा बुजुर्ग महिला या ब्राह्मण को दान करना चाहिए.
अलग राज्यों में करवा चौथ
पंजाब में करवा चौथ अलग तरीके से मनाया जाता है. जैसा की हम फिल्मों में देखते हैं. इस दिन स्त्रियां पूरे साजो श्रृंगार करके नए वस्त्र धारण करती हैं. करवा चौथ के एक दिन पहले महिलाएं खरीदारी करती हैं. सुबह से निर्जला व्रत करके शाम को चंद्रमा की पूजा करके व्रत का पारण करती हैं.
उत्तर प्रदेश में महिलाएं करवा चौथ को लेकर खासी उत्साहित रहती हैं. इस दिन गौरी पूजन का विधान है.
राजस्थान में स्त्रियां करवा चौथ पर मिट्टी का करवा बनाकर उसमें गेंहू-चावल भरकर पूजा करती हैं. हालांकि, पूरे देश में धीरे-धीरे करवा चौथ का प्रचलन बढ़ता जा रहा है.