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'ट्रंप पर हम ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते' - G parthasarthy on trump and modi

भारत को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर ज्यादा यकीन नहीं करना चाहिए. उनकी अपनी घरेलू मजबूरी है. इसका हमें ध्यान रखना चाहिए. पाकिस्तान भारत पर युद्ध नहीं थोपेगा, क्योंकि उसे पता है कि इसके परिणाम क्या होंगे. पीएम मोदी की पहचान है कि वह जहां भी जाते हैं, अपनी छाप छोड़ देते हैं. भारत का झंडा ऊंचा कर देते हैं. ऐसी ही कई महत्वपूर्ण बातें पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत के साथ रखी. जानें

पार्थसारथी के साथ साक्षात्कार
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Published : Sep 21, 2019, 8:30 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 12:24 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने कहा कि हमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए. उनकी अपनी घरेलू मजबूरी है. अफगानिस्तान से वह अमेरिकी सैनिकों को वापस घर बुलाना चाहते हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में हमें उनकी नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए. पार्थसारथी ने कहा कि हमें पाकिस्तान को लेकर अपनी नीतियों पर कायम रहना चाहिए. पाक कभी भी युद्ध लड़ने की हिमाकत नहीं करेगा और ऐसा किया तो उसे भी पता है कि इसका अंजाम क्या होगा.

ईटीवी भारत ने जी पार्थसारथी के साथ अलग-अलग मुद्दों पर खास बातचीत की. आइए जानते हैं कि कश्मीर को लेकर उन्होंने क्या कहा.

पार्थसारथी के साथ साक्षात्कार.

पाक ने रूस से समर्थन मांगा, लेकिन उनके विदेश मंत्री ने साफ इनकार कर दिया.

पाक को लगा कि अमेरिका उन पर निर्भर है, खासकर अफगानिस्तान को लेकर. लेकिन इस बार अमेरिका ने भी मना कर दिया. फ्रांस और जर्मनी पहले से ही भारत की राय से सहमत थे. सिर्फ चीन का उन्हें समर्थन मिला. मानवाधिकार सम्मेलन में पाकिस्तान गया, तो वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली. यहां पर ओआईसी के देशों ने भी उनका साथ नहीं दिया.

संयुक्त राष्ट्र में पाक इसे फिर से उठाएगा, लेकिन उनका प्रयास असफल रहेगा. इमरान खान को तो झूठ बोलने की आदत रही है. वह अपने आवाम को ऐसा ही बोलेंगे कि हमने कश्मीर पर कुछ किया.

जब तक यूएन में हमारे दूत अकबरुद्दीन वहां मौजूद हैं, पाक की ओर हर समस्या का सामना करेंगे.

पाक कीचड़ उछालेगा, हमें इस पर चिंता करने की जरूरत नहीं है.
पाक अपनी इकोनोमी कैसे सुधारेगा, यह बहुत बड़ी उनकी चुनौती है. क्योंकि उनके पास सेविंग्स नहीं हैं. बहुत कम है.
जो भी देश वहां आता है, पाक हरेक से पैसे मांगता है.
जो भी पैसा उन्हें मिलता है, उनका बड़ा हिस्सा सैन्य खर्च में चला जाता है.
पाक में आर्थिक नीतियों पर बात होती है, तो उसमें सेना अध्यक्ष को शामिल कर लिया गया है.
वहां की सेना में पंजाबी प्रमुख रूप से होते हैं. बलूचों की संख्या बहुत कम है.
बलूचिस्तान और पश्चिमी सीमा पर सेना लगी हुई है.
एफएटीएफ में उनके खिलाफ कार्रवाई की बात चल रही है.

इमरान खान पख्तून हैं. पंजाब में रहे हैं. इनकी निजी पकड़ किसी एक प्रांत में नहीं है. ले. जन. हामिद गुल इनकी पार्टी को बनाने वाले हैं. इनकी पार्टी फौज से मिली हुई है. इनमें पार्टी बनाने की काबिलियत नहीं थी.

ह्युस्टन में मोदी

इंटरव्यू पार्थसारथी के साथ..

पूरी दुनिया को पता है कि मित्र बनाने के मामले में मोदी चतुर हैं. पुतिन, ट्रंप, चीन के साथ हर साल शिखर सम्मेलन इनके जरिए इन्होंने निजी संबंध जरूर बनाए हैं. यह उनकी सफलता है. इसके जरिए ऐसा माहौल बना सकते हैं, जिससे कि तनाव उत्पन्न ना हो.

मैं ट्रंप पर उतना भरोसा नहीं करता हूं. उनकी भारत और पाकिस्तान की नीति अफगानिस्तान को केन्द्र में रखकर बनती है. वह चाहते हैं कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक वापस लौटें.
हाउडी मोदी कार्यक्रम में ट्रंप की मौजूदगी का मतलब क्या है. पिछले चुनाव में 16 फीसदी ही भारतीय मूल के लोगों ने ट्रंप को वोट दिया था. हो सकता है राजनीतिक महत्व हो. लेकिन भारतीय आयोजकों ने विपक्षियों को भी आमंत्रित किया है. वे लोग किसी एक पार्टी पर निर्भर नहीं रहते हैं.
मोदी जहां भी जाते हैं भारत का झंडा ऊंचा लहराता है.

चीन और पाक पर

पार्थ सारथी के साथ साक्षात्कार...

भारत और अमेरिका के साथ-साथ कई अन्य देशों को मिलकर चीन के प्रति नीति बनानी होगी. यानि चीन को कैसे संतुलित कर सकें. उनका काउंटर करने के लिए नहीं .
हमानी नैसेना लगातार कई देशों के साथ सैन्य अभ्यास करती रहती है.
चीन भी समझ गया है कि अब वह मनमानी नहीं कर सकता है.

पढ़ें: उत्तराखंड : 1929 में बापू ने लगाया था ये ऐतिहासिक पीपल का पेड़, अस्तित्व के लिए कर रहा संघर्ष

शायद पाक समझ जाए कि आतंकवाद से कुछ हासिल नहीं होगा और भारत के साथ बातचीत शुरू हो जाए.

कश्मीर पर

पार्थसारथी के साथ इंटरव्यू....

कश्मीर से धारा 370 हटाना सही कदम है. पहले भी हो सकता था. कश्मीर के कुछ लोगों को कुछ ज्यादा ही छूट दे दी गई थी.

नई दिल्ली: पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने कहा कि हमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए. उनकी अपनी घरेलू मजबूरी है. अफगानिस्तान से वह अमेरिकी सैनिकों को वापस घर बुलाना चाहते हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में हमें उनकी नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए. पार्थसारथी ने कहा कि हमें पाकिस्तान को लेकर अपनी नीतियों पर कायम रहना चाहिए. पाक कभी भी युद्ध लड़ने की हिमाकत नहीं करेगा और ऐसा किया तो उसे भी पता है कि इसका अंजाम क्या होगा.

ईटीवी भारत ने जी पार्थसारथी के साथ अलग-अलग मुद्दों पर खास बातचीत की. आइए जानते हैं कि कश्मीर को लेकर उन्होंने क्या कहा.

पार्थसारथी के साथ साक्षात्कार.

पाक ने रूस से समर्थन मांगा, लेकिन उनके विदेश मंत्री ने साफ इनकार कर दिया.

पाक को लगा कि अमेरिका उन पर निर्भर है, खासकर अफगानिस्तान को लेकर. लेकिन इस बार अमेरिका ने भी मना कर दिया. फ्रांस और जर्मनी पहले से ही भारत की राय से सहमत थे. सिर्फ चीन का उन्हें समर्थन मिला. मानवाधिकार सम्मेलन में पाकिस्तान गया, तो वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली. यहां पर ओआईसी के देशों ने भी उनका साथ नहीं दिया.

संयुक्त राष्ट्र में पाक इसे फिर से उठाएगा, लेकिन उनका प्रयास असफल रहेगा. इमरान खान को तो झूठ बोलने की आदत रही है. वह अपने आवाम को ऐसा ही बोलेंगे कि हमने कश्मीर पर कुछ किया.

जब तक यूएन में हमारे दूत अकबरुद्दीन वहां मौजूद हैं, पाक की ओर हर समस्या का सामना करेंगे.

पाक कीचड़ उछालेगा, हमें इस पर चिंता करने की जरूरत नहीं है.
पाक अपनी इकोनोमी कैसे सुधारेगा, यह बहुत बड़ी उनकी चुनौती है. क्योंकि उनके पास सेविंग्स नहीं हैं. बहुत कम है.
जो भी देश वहां आता है, पाक हरेक से पैसे मांगता है.
जो भी पैसा उन्हें मिलता है, उनका बड़ा हिस्सा सैन्य खर्च में चला जाता है.
पाक में आर्थिक नीतियों पर बात होती है, तो उसमें सेना अध्यक्ष को शामिल कर लिया गया है.
वहां की सेना में पंजाबी प्रमुख रूप से होते हैं. बलूचों की संख्या बहुत कम है.
बलूचिस्तान और पश्चिमी सीमा पर सेना लगी हुई है.
एफएटीएफ में उनके खिलाफ कार्रवाई की बात चल रही है.

इमरान खान पख्तून हैं. पंजाब में रहे हैं. इनकी निजी पकड़ किसी एक प्रांत में नहीं है. ले. जन. हामिद गुल इनकी पार्टी को बनाने वाले हैं. इनकी पार्टी फौज से मिली हुई है. इनमें पार्टी बनाने की काबिलियत नहीं थी.

ह्युस्टन में मोदी

इंटरव्यू पार्थसारथी के साथ..

पूरी दुनिया को पता है कि मित्र बनाने के मामले में मोदी चतुर हैं. पुतिन, ट्रंप, चीन के साथ हर साल शिखर सम्मेलन इनके जरिए इन्होंने निजी संबंध जरूर बनाए हैं. यह उनकी सफलता है. इसके जरिए ऐसा माहौल बना सकते हैं, जिससे कि तनाव उत्पन्न ना हो.

मैं ट्रंप पर उतना भरोसा नहीं करता हूं. उनकी भारत और पाकिस्तान की नीति अफगानिस्तान को केन्द्र में रखकर बनती है. वह चाहते हैं कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक वापस लौटें.
हाउडी मोदी कार्यक्रम में ट्रंप की मौजूदगी का मतलब क्या है. पिछले चुनाव में 16 फीसदी ही भारतीय मूल के लोगों ने ट्रंप को वोट दिया था. हो सकता है राजनीतिक महत्व हो. लेकिन भारतीय आयोजकों ने विपक्षियों को भी आमंत्रित किया है. वे लोग किसी एक पार्टी पर निर्भर नहीं रहते हैं.
मोदी जहां भी जाते हैं भारत का झंडा ऊंचा लहराता है.

चीन और पाक पर

पार्थ सारथी के साथ साक्षात्कार...

भारत और अमेरिका के साथ-साथ कई अन्य देशों को मिलकर चीन के प्रति नीति बनानी होगी. यानि चीन को कैसे संतुलित कर सकें. उनका काउंटर करने के लिए नहीं .
हमानी नैसेना लगातार कई देशों के साथ सैन्य अभ्यास करती रहती है.
चीन भी समझ गया है कि अब वह मनमानी नहीं कर सकता है.

पढ़ें: उत्तराखंड : 1929 में बापू ने लगाया था ये ऐतिहासिक पीपल का पेड़, अस्तित्व के लिए कर रहा संघर्ष

शायद पाक समझ जाए कि आतंकवाद से कुछ हासिल नहीं होगा और भारत के साथ बातचीत शुरू हो जाए.

कश्मीर पर

पार्थसारथी के साथ इंटरव्यू....

कश्मीर से धारा 370 हटाना सही कदम है. पहले भी हो सकता था. कश्मीर के कुछ लोगों को कुछ ज्यादा ही छूट दे दी गई थी.

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Last Updated : Oct 1, 2019, 12:24 PM IST
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