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आलू की इस किस्म से पैदावार में होगी पांच गुना वृद्धि, जानें कैसे होगी हवा में खेती - Potato cultivation in air

Aeroponic Technique: आम तौर पर आपने मिट्टी के अंदर आलू की फसल को देखा होगा. लेकिन अब बिना मिट्टी के हवा में आलू की पैदावर ली जा रही है. ये कारनामा कर दिखाया है आलू प्रौद्योगिकी संस्थान शामगढ़ करनाल ने(Potato Technology Institute Karnal). संस्थान ने एरोपॉनिक तकनीक का सहारा लेकर आलू की एक नई किस्म कुफरी उदय का ईजाद किया है. इसकी गुणवत्ता आलू की दूसरी किस्मों से काफी बेहतर है.

Aeroponic Technique
एरोपॉनिक तकनीक से आलू की खेती
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 3, 2024, 10:53 AM IST

हवा में आलू की खेती

करनाल: आलू प्रौद्योगिकी संस्थान शामगढ़ करनाल ने एरोपॉनिक तकनीक से आलू की नई किस्म कुफरी उदय के बीज को तैयार किया है. यह बीज उन्नत किस्म का है. इसके इस्तेमाल से आलू की पैदावार ज्यादा होगी और गुणवत्ता भी बेहतर होगी. जल्द ही इसके बीज किसानों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे.

बिना मिट्टी के आलू का उत्पादन: आलू प्रौद्योगिकी संस्थान शामगढ़ करनाल के वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने बताया कि संस्थान एरोपॉनिक तकनीक से आलू की नयी किस्म कुफरी उदय को तैयार कर रहा है. इस तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के आलू तैयार किया जा रहा है. अगर किसी किसान भाई के पास अपना खेत नहीं है, तो भी आलू की फसल ली जा सकती है. एरोपॉनिक विधि से संस्थान करीब 6 लाख मिनी ट्यूबर तैयार करेगा जो इस साल किसानों को बीज के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा.

क्या है एरोपॉनिक फॉर्मिंग तकनीक: एरोपॉनिक तकनीक खेती की ऐसी तकनीक है जिसमें मिट्टी के बिना हवा में पौधे उगाये जाते हैं. इसमें पौधों की रोपाई एरोपॉनिक ढांचे में की जाती है जो जमीन की सतह से उपर होती है. पौधों की जड़े हवा में ही लटकती रहती है. जड़ों के जरिए ही पोषक तत्व पहुंचाया जाता है. पोषक तत्वों का जड़ों पर स्प्रे किया जाता है. इससे पौधों को पूरा पोषण मिल जाता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो एरोपॉनिक फार्मिंग आज पारंपरिक तरीकों से अच्छे परिणाम दे रही है.

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क्या है एरोपॉनिक फॉर्मिंग तकनीक

कुफरी उदय किस्म की खासियत: कृषि वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने बताया कि एरोपॉनिक तकनीक से पहले भी संस्थान में उन्नत किस्म के बीजों को तैयार किया गया है. लेकिन कुफरी उदय अन्य सभी किस्म से काफी बेहतर है. यह पिंक कलर का होता है जिसकी बाजार में काफी डिमांड होती है. यह 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाता है और इसमें न्यूट्रिशन की मात्रा भी अन्य सभी किस्म से ज्यादा होगी. लोगों के स्वास्थ के लिहाज से भी यह काफी बेहतर होगा. इसका उत्पादन भी दूसरी किस्म से ज्यादा होगा, जिससे किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा. पैदावार में लगभग पांच गुना वृद्धि हो सकती है.

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कुफरी उदय किस्म की खासियत

दूसरे राज्यों के किसानों को भी फायदा: कृषि वैज्ञानिक डॉ. जितेंन्द्र कुमार बताते हैं यहां जो बीज तैयार किया जा रहा है वह हरियाणा सहित पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और भी कई प्रदेश के किसानों तक पहुंचाया जाता है. ताकि आलू लगाने वाले किसान इसका फायदा उठा सकें और आलू की खेती में नए कीर्तिमान स्थापित कर सके.

कैसे मिलेगी बीज: कृषि वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि कुफरी उदय किस्म की बीज लेने के लिए संस्थान के वेबसाइट पर संपर्क किया जा सकता है. या फिर सीधे सेंटर में आकर भी ले सकते हैं. फरवरी के अंतिम दिनों में यह बीज तैयार हो जाएगा. संस्थान का मुख्य उद्देश्य है कि किसान अच्छे पैदावार और अच्छी गुणवत्ता का आलू लगाकर अच्छा मुनाफा कमाएं.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में प्राकृतिक खेती से किसान मालामाल, इजरायली तकनीक से कम लागत में मोटी कमाई

ये भी पढ़ें: पलवल के प्रगतिशील किसान बिजेन्द्र दलाल ने दिखायी किसानों को नयी राह, स्वीट कॉर्न की खेती से कमा रहे हैं लाखों रुपये

हवा में आलू की खेती

करनाल: आलू प्रौद्योगिकी संस्थान शामगढ़ करनाल ने एरोपॉनिक तकनीक से आलू की नई किस्म कुफरी उदय के बीज को तैयार किया है. यह बीज उन्नत किस्म का है. इसके इस्तेमाल से आलू की पैदावार ज्यादा होगी और गुणवत्ता भी बेहतर होगी. जल्द ही इसके बीज किसानों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे.

बिना मिट्टी के आलू का उत्पादन: आलू प्रौद्योगिकी संस्थान शामगढ़ करनाल के वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने बताया कि संस्थान एरोपॉनिक तकनीक से आलू की नयी किस्म कुफरी उदय को तैयार कर रहा है. इस तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के आलू तैयार किया जा रहा है. अगर किसी किसान भाई के पास अपना खेत नहीं है, तो भी आलू की फसल ली जा सकती है. एरोपॉनिक विधि से संस्थान करीब 6 लाख मिनी ट्यूबर तैयार करेगा जो इस साल किसानों को बीज के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा.

क्या है एरोपॉनिक फॉर्मिंग तकनीक: एरोपॉनिक तकनीक खेती की ऐसी तकनीक है जिसमें मिट्टी के बिना हवा में पौधे उगाये जाते हैं. इसमें पौधों की रोपाई एरोपॉनिक ढांचे में की जाती है जो जमीन की सतह से उपर होती है. पौधों की जड़े हवा में ही लटकती रहती है. जड़ों के जरिए ही पोषक तत्व पहुंचाया जाता है. पोषक तत्वों का जड़ों पर स्प्रे किया जाता है. इससे पौधों को पूरा पोषण मिल जाता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो एरोपॉनिक फार्मिंग आज पारंपरिक तरीकों से अच्छे परिणाम दे रही है.

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क्या है एरोपॉनिक फॉर्मिंग तकनीक

कुफरी उदय किस्म की खासियत: कृषि वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने बताया कि एरोपॉनिक तकनीक से पहले भी संस्थान में उन्नत किस्म के बीजों को तैयार किया गया है. लेकिन कुफरी उदय अन्य सभी किस्म से काफी बेहतर है. यह पिंक कलर का होता है जिसकी बाजार में काफी डिमांड होती है. यह 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाता है और इसमें न्यूट्रिशन की मात्रा भी अन्य सभी किस्म से ज्यादा होगी. लोगों के स्वास्थ के लिहाज से भी यह काफी बेहतर होगा. इसका उत्पादन भी दूसरी किस्म से ज्यादा होगा, जिससे किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा. पैदावार में लगभग पांच गुना वृद्धि हो सकती है.

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कुफरी उदय किस्म की खासियत

दूसरे राज्यों के किसानों को भी फायदा: कृषि वैज्ञानिक डॉ. जितेंन्द्र कुमार बताते हैं यहां जो बीज तैयार किया जा रहा है वह हरियाणा सहित पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और भी कई प्रदेश के किसानों तक पहुंचाया जाता है. ताकि आलू लगाने वाले किसान इसका फायदा उठा सकें और आलू की खेती में नए कीर्तिमान स्थापित कर सके.

कैसे मिलेगी बीज: कृषि वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि कुफरी उदय किस्म की बीज लेने के लिए संस्थान के वेबसाइट पर संपर्क किया जा सकता है. या फिर सीधे सेंटर में आकर भी ले सकते हैं. फरवरी के अंतिम दिनों में यह बीज तैयार हो जाएगा. संस्थान का मुख्य उद्देश्य है कि किसान अच्छे पैदावार और अच्छी गुणवत्ता का आलू लगाकर अच्छा मुनाफा कमाएं.

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