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Womens Day Special : माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियों को अनदेखा ना करें महिलाएं - menstrual kit

महिला होना एक 'सेलिब्रेशन' है क्योंकि हर महिला परेशानियों का सामना करते हुए सभी जिम्मेदारी बखूबी निभाती है. माहवारी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का एक खास हिस्सा हैं. बहुत सी महिलाओं को माहवारी के दौरान कई प्रकार की समस्याओं ( problems during menstruation ) का सामना करना पड़ता है.लेकिन अधिकांश महिलाएं उन समस्याओं की अनदेखी करती है. महिलायें शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रहें इसके लिए जरूरी है वे अपनी समस्याओं कि अनदेखी ना करें. महिला स्वास्थ्य : International Womens Day Special .

menstruation Problems that should not be ignored
माहवारी में समस्या
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Published : Mar 2, 2023, 12:37 AM IST

Updated : Mar 2, 2023, 6:17 AM IST

महिला होना अपने आप में एक सेलिब्रेशन है क्योंकि हर महिला अपने जीवन के हर पड़ाव पर तमाम परेशानियों का सामना करते हुए भी घर, परिवार, बच्चे, दफ्तर सभी कि जिम्मेदारी बखूबी निभाती है. एक बच्ची से युवती, युवती से मां और मां से दादी-नानी बनने का सफर आसान नहीं होता है. इस सफर में उनके शरीर में कई बदलाव आते हैं. जिसके चलते उन्हे कई बार शारीरिक व मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ जाता है.

हर महीने माहवारी के कारण होने वाली परेशानी तथा उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर हार्मोनल तथा अन्य कारणों से होने वाली समस्याओं के बावजूद महिलायें अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी करती हैं. लेकिन यह भी सही है कि अपनी जिम्मेदारियों के बंधन के बीच वे अपने स्वास्थ्य को काफी अनदेखा करती है. आमतौर पर सर्दी-बुखार या जुखाम जैसी समस्याओं के लिए चिकित्सक से परामर्श ले लेती हैं लेकिन जब बात माहवारी, प्रजनन अंगों में संक्रमण या उनसे जुड़े कुछ मुद्दों की आती हैं तो आज भी ज्यादातर महिलायें उन्हे अनदेखा करती है.

menstruation Problems that should not be ignored
बच्ची-युवती-महिला के लिए माहवारी आसान नहीं

यह सही है कि माहवारी महिलाओं में एक नियमित प्रक्रिया है और इस दौरान अधिकांश महिलाओं को पेट में दर्द या कुछ अन्य समस्याओं का सामना ( problems during menstruation ) करना पड़ता ही है. लेकिन यदि ये परेशानियां उनके स्वास्थ्य तथा दिनचर्या को प्रभावित करने लगे तो उन्हे अनदेखा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. माहवारी क्यों जरूरी है, तथा इसके दौरान होने वाली समस्याएं कब आम से गंभीर हो सकती हैं इसके बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने उत्तराखंड की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी ( Dr Vijayalakshmi Gynecologist ) से बात की .

क्यों है माहवारी जरूरी
Dr Vijayalakshmi Gynecologist बताती हैं कि ज्यादातर महिलाओं के लिए माहवारी सहज और सरल प्रक्रिया नहीं होती है. 4-5 दिन तक लगातार होते रक्तस्राव के साथ पेट में दर्द, ऐंठन तथा कभी कभी कुछ अन्य परेशानियों के चलते यह समय उनके लिए काफी असहजता भरा हो सकता है. उस पर यदि रक्तस्राव ज्यादा हो रहा हो या दर्द बहुत ज्यादा हो तो यह माहवारी के दिनों को ज्यादा कष्ट भरा ( painful menstruation ) बना सकता है.

menstrual kit
माहवारी किट

माहवारी होना प्रजनन स्वास्थ्य ( Reproductive health ) के लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि Menstruation की यह प्रक्रिया महिलाओं के प्रजनन तंत्र की अहम प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया के दौरान दरअसल महिलाओं के शरीर में ऐसे हार्मोन का निर्माण भी होता है या उनकी सक्रियता बढ़ती है जो उनके शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार करने में मदद करते हैं. यदि किसी महिला को माहवारी ना हो तो भी यह एक बड़ी समस्या होती है. क्योंकि इसके चलते प्रजनन में समस्या हो सकती हैं.

Gynecologist Dr Vijayalakshmi बताती हैं कि आमतौर पर यह प्रक्रिया लड़कियों में 12 या 13 साल की उम्र में शुरू हो जाता है. कुछ लड़कियों या महिलाओं में माहवारी 3 से 5 दिनों तक चलती है, तो कुछ में 2 से 7 दिनों तक. माहवारी का यह चक्र महिलाओं में रजोनिवृत्ति तक चलता रहता है. लेकिन सामान्य अवस्था में इस पूरे काल में यह चक्र उस समय रुक जाता है जब महिला गर्भधारण करती है. हालांकि बच्चे के जन्म के कुछ समय बार यह चक्र फिर से शुरू हो जाता है. आमतौर पर महिलाओं में 45 से 50 साल के बीच रजोनिवृत्ति ( Menopause) होती है. रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाओं में प्रजनन चक्र रुक जाता है. यानी इसके बाद वे गर्भधारण नहीं कर सकती है.

माहवारी ना होना भी है एक बड़ी समस्या
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि महिलाओं में माहवारी ना होना एक बड़ी समस्या मानी जाती है. वह बताती हैं कि माहवारी ना होना जिसे एमेनोरीआ भी कहा जाता है दो प्रकार की होती है. पहली प्राइमरी एमेनोरीआ ( primary amenorrhea ) जिसमें बच्चियों में 15 या 16 की उम्र तक भी माहवारी नहीं होती हैं. और दूसरी सेकेंडरी एमेनोरीआ, यानी स्वास्थ्य या अन्य कारणों से जब नियमित रूप से आने वाली माहवारी अचानक से आना बंद हो जाती है.

Primary amenorrhea के लिए आमतौर पर क्रोमोजोम्स में असामान्यता या गड़बड़ी, अंडाशय में समस्या, प्रजनन अंगों में कोई रोग या समस्या, कोई विकार या थाइराइड जैसी समस्या जिम्मेदार हो सकती हैं. ऐसा होने पर महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. वहीं Secondary amenorrhea में गर्भधारण के चलते , गर्भाशय में रसौली-फाईब्राइड, पीसीओडी व अन्य प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी कारण के चलते तथा रजोनिवृत्ति होने के कारण, माहवारी स्थाई या अस्थाई रूप से बंद हो जाती हैं. इनमें Menopause की अवस्था को छोड़ दिया जाय तो अन्य कारणों में माहवारी दोबारा शुरू हो सकती है . जैसे प्रसव के कुछ समय बाद महिलाओं में माहवारी अपने आप शुरू हो जाती है वहीं रोग या किसी समस्या के कारण माहवारी रुकने की समस्या को सही इलाज के बाद ठीक किया जा सकता है.

माहवारी के दौरान होने वाली समस्याएं : Problems during menstruation
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि ज्यादातर महिलाओं को माहवारी के दौरान पेट में दर्द, अकड़न, ऐंठन, पेट में गैस बनने या पेट फूलने, या रक्तस्राव कम या ज्यादा होने की समस्या तथा कुछ अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कुछ में यह काफी कम या सहनीय अवस्था वाली होती हैं वहीं कुछ में यह इतनी ज्यादा हो सकती हैं की महिला की दिनचर्या तक प्रभावित होने लगती है. लेकिन ज्यादातर महिलायें माहवारी के दौरान होने वाले दर्द या परेशानियों को पीरियड का रूटीन मानकर उसकी तब तक अनदेखी करती हैं जब तक परेशानी बहुत ज्यादा ना बढ़ जाए.

वह बताती हैं कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द या डिसमेनोरिया के लिए ज्यादातर मामलों में गर्भाशय में संकुचन को जिम्मेदार माना जाता है. गर्भाशय में संकुचन कम या ज्यादा होना पेट में कम या ज्यादा दर्द व ऐंठन के लिए जिम्मेदार होता है. दरअसल गर्भाशय में संकुचन के लिए प्रोस्टाग्लैंडिन नामक हार्मोन ( Prostaglandin hormone ) को जिम्मेदार माना जाता है. जो सही पाचन तंत्र के लिए भी जरूरी होता है. ऐसे में इस हार्मोन का निर्माण या उसकी सक्रियता ना सिर्फ गर्भाशय में संकुचन की गति को प्रभावित कर सकती है बल्कि माहवारी के दौरान पाचन संबंधी समस्याओं जैसे पेट में दर्द या बलोटिंग का कारण भी बन सकती है. इसके अलावा कई बार प्रजनन अंगों में फायब्रॉइड, एंडोमेट्रिओसिस, पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, अडेनोमोसिस और सर्वाइकल स्टेनोसिस आदि कारणों के चलते भी माहवारी के दौरान पेट या पेडू में तेज दर्द या असामान्य रक्तस्राव का कारण बन सकती है.

माहवारी के दौरान बरतें सावधानी
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि चाहे शहरी हो या ग्रामीण, माहवारी के दौरान जाने-अनजाने बड़ी संख्या में महिलायें जरूरी स्वचछता का ध्यान नहीं रखती हैं. यहां यह जानना भी जरूरी है कि स्वच्छता से तात्पर्य सिर्फ सेनेटरी नैपकिन ( Sanitary napkins ) का इस्तेमाल ही नहीं है. बल्कि इनका सही इस्तेमाल जैसे निर्धारित अवधि तक उन्हे बदलना, इस दौरान योनि को साफ रखने का प्रयास करना जैसे उसे दिन में तीन से चार बार साफ पानी से धोना, साफ अंडर गारमेंट्स पहनना भी स्वच्छता बनाये रखने के लिए बेहद जरूरी है.

menstrual kit
माहवारी किट

वहीं जो महिलायें इस दौरान कपड़ा इस्तेमाल करती है उन्हे भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस्तेमाल किए जाने वाला कपड़ा हमेशा धुला हुआ और साफ हो. इसके अलावा जो महिलाएं टैम्पॉन या मैंस्ट्रुअल कप आदि ( Tampons or menstrual cups etc ) का इस्तेमाल करती हैं उन्हें ही hygiene का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वह बताती है कि आमतौर पर कोई भी दर्द या तकलीफ होने पर महिलाएं उन्हें अनदेखा करती हैं. विशेषतौर पर माहवारी के दौरान यदि रक्तस्राव ( Menstruation bleeding ) काफी ज्यादा हो रहा हो या कोई अन्य परेशानी या दर्द बहुत ज्यादा हो रहा हो तो भी वे जब तक तकलीफ बिल्कुल ही असहनीय ना हो जाए चिकित्सक के पास जाने से कतराती हैं. ऐसा सिर्फ बड़ी उम्र की या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलायें ही नहीं करती हैं बल्कि शहरों में रहने वाली व काफी पढीलिखी महिलाओं में भी यह प्रवत्ति काफी देखने में आती है.

माहवारी हो सामान्य अवस्था, किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है. खासतौर पर यदि समस्या माहवारी या प्रजनन अंगों से जुड़ी हो तो तत्काल महिलारोग विशेषज्ञ से संपर्क काफी जरूरी हो जाता हैं. अन्यथा कई बार किसी रोग या संक्रमण के सही तथा सही समय पर इलाज ना होने की अवस्था में समस्या गंभीर भी हो सकता है. हाइजीन के अलावा शरीर में जरूरी पोषण या पानी की कमी भी हार्मोन या प्रजनन तंत्र से जुड़ी प्रक्रियाओं विशेषकर माहवारी को प्रभावित कर सकती है. इसलिए अच्छी सेहत तथा happy periods के लिए सेहतमंद आहार का सेवन भी बेहद जरूरी होता है. International Womens Day. International Womens Day Special .

ये भी पढ़ें : पीरियड में संक्रमण की समस्या से है बचना, तो जरूर बरतें ये सावधानी

महिला होना अपने आप में एक सेलिब्रेशन है क्योंकि हर महिला अपने जीवन के हर पड़ाव पर तमाम परेशानियों का सामना करते हुए भी घर, परिवार, बच्चे, दफ्तर सभी कि जिम्मेदारी बखूबी निभाती है. एक बच्ची से युवती, युवती से मां और मां से दादी-नानी बनने का सफर आसान नहीं होता है. इस सफर में उनके शरीर में कई बदलाव आते हैं. जिसके चलते उन्हे कई बार शारीरिक व मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ जाता है.

हर महीने माहवारी के कारण होने वाली परेशानी तथा उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर हार्मोनल तथा अन्य कारणों से होने वाली समस्याओं के बावजूद महिलायें अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी करती हैं. लेकिन यह भी सही है कि अपनी जिम्मेदारियों के बंधन के बीच वे अपने स्वास्थ्य को काफी अनदेखा करती है. आमतौर पर सर्दी-बुखार या जुखाम जैसी समस्याओं के लिए चिकित्सक से परामर्श ले लेती हैं लेकिन जब बात माहवारी, प्रजनन अंगों में संक्रमण या उनसे जुड़े कुछ मुद्दों की आती हैं तो आज भी ज्यादातर महिलायें उन्हे अनदेखा करती है.

menstruation Problems that should not be ignored
बच्ची-युवती-महिला के लिए माहवारी आसान नहीं

यह सही है कि माहवारी महिलाओं में एक नियमित प्रक्रिया है और इस दौरान अधिकांश महिलाओं को पेट में दर्द या कुछ अन्य समस्याओं का सामना ( problems during menstruation ) करना पड़ता ही है. लेकिन यदि ये परेशानियां उनके स्वास्थ्य तथा दिनचर्या को प्रभावित करने लगे तो उन्हे अनदेखा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. माहवारी क्यों जरूरी है, तथा इसके दौरान होने वाली समस्याएं कब आम से गंभीर हो सकती हैं इसके बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने उत्तराखंड की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी ( Dr Vijayalakshmi Gynecologist ) से बात की .

क्यों है माहवारी जरूरी
Dr Vijayalakshmi Gynecologist बताती हैं कि ज्यादातर महिलाओं के लिए माहवारी सहज और सरल प्रक्रिया नहीं होती है. 4-5 दिन तक लगातार होते रक्तस्राव के साथ पेट में दर्द, ऐंठन तथा कभी कभी कुछ अन्य परेशानियों के चलते यह समय उनके लिए काफी असहजता भरा हो सकता है. उस पर यदि रक्तस्राव ज्यादा हो रहा हो या दर्द बहुत ज्यादा हो तो यह माहवारी के दिनों को ज्यादा कष्ट भरा ( painful menstruation ) बना सकता है.

menstrual kit
माहवारी किट

माहवारी होना प्रजनन स्वास्थ्य ( Reproductive health ) के लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि Menstruation की यह प्रक्रिया महिलाओं के प्रजनन तंत्र की अहम प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया के दौरान दरअसल महिलाओं के शरीर में ऐसे हार्मोन का निर्माण भी होता है या उनकी सक्रियता बढ़ती है जो उनके शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार करने में मदद करते हैं. यदि किसी महिला को माहवारी ना हो तो भी यह एक बड़ी समस्या होती है. क्योंकि इसके चलते प्रजनन में समस्या हो सकती हैं.

Gynecologist Dr Vijayalakshmi बताती हैं कि आमतौर पर यह प्रक्रिया लड़कियों में 12 या 13 साल की उम्र में शुरू हो जाता है. कुछ लड़कियों या महिलाओं में माहवारी 3 से 5 दिनों तक चलती है, तो कुछ में 2 से 7 दिनों तक. माहवारी का यह चक्र महिलाओं में रजोनिवृत्ति तक चलता रहता है. लेकिन सामान्य अवस्था में इस पूरे काल में यह चक्र उस समय रुक जाता है जब महिला गर्भधारण करती है. हालांकि बच्चे के जन्म के कुछ समय बार यह चक्र फिर से शुरू हो जाता है. आमतौर पर महिलाओं में 45 से 50 साल के बीच रजोनिवृत्ति ( Menopause) होती है. रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाओं में प्रजनन चक्र रुक जाता है. यानी इसके बाद वे गर्भधारण नहीं कर सकती है.

माहवारी ना होना भी है एक बड़ी समस्या
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि महिलाओं में माहवारी ना होना एक बड़ी समस्या मानी जाती है. वह बताती हैं कि माहवारी ना होना जिसे एमेनोरीआ भी कहा जाता है दो प्रकार की होती है. पहली प्राइमरी एमेनोरीआ ( primary amenorrhea ) जिसमें बच्चियों में 15 या 16 की उम्र तक भी माहवारी नहीं होती हैं. और दूसरी सेकेंडरी एमेनोरीआ, यानी स्वास्थ्य या अन्य कारणों से जब नियमित रूप से आने वाली माहवारी अचानक से आना बंद हो जाती है.

Primary amenorrhea के लिए आमतौर पर क्रोमोजोम्स में असामान्यता या गड़बड़ी, अंडाशय में समस्या, प्रजनन अंगों में कोई रोग या समस्या, कोई विकार या थाइराइड जैसी समस्या जिम्मेदार हो सकती हैं. ऐसा होने पर महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. वहीं Secondary amenorrhea में गर्भधारण के चलते , गर्भाशय में रसौली-फाईब्राइड, पीसीओडी व अन्य प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी कारण के चलते तथा रजोनिवृत्ति होने के कारण, माहवारी स्थाई या अस्थाई रूप से बंद हो जाती हैं. इनमें Menopause की अवस्था को छोड़ दिया जाय तो अन्य कारणों में माहवारी दोबारा शुरू हो सकती है . जैसे प्रसव के कुछ समय बाद महिलाओं में माहवारी अपने आप शुरू हो जाती है वहीं रोग या किसी समस्या के कारण माहवारी रुकने की समस्या को सही इलाज के बाद ठीक किया जा सकता है.

माहवारी के दौरान होने वाली समस्याएं : Problems during menstruation
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि ज्यादातर महिलाओं को माहवारी के दौरान पेट में दर्द, अकड़न, ऐंठन, पेट में गैस बनने या पेट फूलने, या रक्तस्राव कम या ज्यादा होने की समस्या तथा कुछ अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कुछ में यह काफी कम या सहनीय अवस्था वाली होती हैं वहीं कुछ में यह इतनी ज्यादा हो सकती हैं की महिला की दिनचर्या तक प्रभावित होने लगती है. लेकिन ज्यादातर महिलायें माहवारी के दौरान होने वाले दर्द या परेशानियों को पीरियड का रूटीन मानकर उसकी तब तक अनदेखी करती हैं जब तक परेशानी बहुत ज्यादा ना बढ़ जाए.

वह बताती हैं कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द या डिसमेनोरिया के लिए ज्यादातर मामलों में गर्भाशय में संकुचन को जिम्मेदार माना जाता है. गर्भाशय में संकुचन कम या ज्यादा होना पेट में कम या ज्यादा दर्द व ऐंठन के लिए जिम्मेदार होता है. दरअसल गर्भाशय में संकुचन के लिए प्रोस्टाग्लैंडिन नामक हार्मोन ( Prostaglandin hormone ) को जिम्मेदार माना जाता है. जो सही पाचन तंत्र के लिए भी जरूरी होता है. ऐसे में इस हार्मोन का निर्माण या उसकी सक्रियता ना सिर्फ गर्भाशय में संकुचन की गति को प्रभावित कर सकती है बल्कि माहवारी के दौरान पाचन संबंधी समस्याओं जैसे पेट में दर्द या बलोटिंग का कारण भी बन सकती है. इसके अलावा कई बार प्रजनन अंगों में फायब्रॉइड, एंडोमेट्रिओसिस, पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, अडेनोमोसिस और सर्वाइकल स्टेनोसिस आदि कारणों के चलते भी माहवारी के दौरान पेट या पेडू में तेज दर्द या असामान्य रक्तस्राव का कारण बन सकती है.

माहवारी के दौरान बरतें सावधानी
डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि चाहे शहरी हो या ग्रामीण, माहवारी के दौरान जाने-अनजाने बड़ी संख्या में महिलायें जरूरी स्वचछता का ध्यान नहीं रखती हैं. यहां यह जानना भी जरूरी है कि स्वच्छता से तात्पर्य सिर्फ सेनेटरी नैपकिन ( Sanitary napkins ) का इस्तेमाल ही नहीं है. बल्कि इनका सही इस्तेमाल जैसे निर्धारित अवधि तक उन्हे बदलना, इस दौरान योनि को साफ रखने का प्रयास करना जैसे उसे दिन में तीन से चार बार साफ पानी से धोना, साफ अंडर गारमेंट्स पहनना भी स्वच्छता बनाये रखने के लिए बेहद जरूरी है.

menstrual kit
माहवारी किट

वहीं जो महिलायें इस दौरान कपड़ा इस्तेमाल करती है उन्हे भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस्तेमाल किए जाने वाला कपड़ा हमेशा धुला हुआ और साफ हो. इसके अलावा जो महिलाएं टैम्पॉन या मैंस्ट्रुअल कप आदि ( Tampons or menstrual cups etc ) का इस्तेमाल करती हैं उन्हें ही hygiene का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वह बताती है कि आमतौर पर कोई भी दर्द या तकलीफ होने पर महिलाएं उन्हें अनदेखा करती हैं. विशेषतौर पर माहवारी के दौरान यदि रक्तस्राव ( Menstruation bleeding ) काफी ज्यादा हो रहा हो या कोई अन्य परेशानी या दर्द बहुत ज्यादा हो रहा हो तो भी वे जब तक तकलीफ बिल्कुल ही असहनीय ना हो जाए चिकित्सक के पास जाने से कतराती हैं. ऐसा सिर्फ बड़ी उम्र की या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलायें ही नहीं करती हैं बल्कि शहरों में रहने वाली व काफी पढीलिखी महिलाओं में भी यह प्रवत्ति काफी देखने में आती है.

माहवारी हो सामान्य अवस्था, किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है. खासतौर पर यदि समस्या माहवारी या प्रजनन अंगों से जुड़ी हो तो तत्काल महिलारोग विशेषज्ञ से संपर्क काफी जरूरी हो जाता हैं. अन्यथा कई बार किसी रोग या संक्रमण के सही तथा सही समय पर इलाज ना होने की अवस्था में समस्या गंभीर भी हो सकता है. हाइजीन के अलावा शरीर में जरूरी पोषण या पानी की कमी भी हार्मोन या प्रजनन तंत्र से जुड़ी प्रक्रियाओं विशेषकर माहवारी को प्रभावित कर सकती है. इसलिए अच्छी सेहत तथा happy periods के लिए सेहतमंद आहार का सेवन भी बेहद जरूरी होता है. International Womens Day. International Womens Day Special .

ये भी पढ़ें : पीरियड में संक्रमण की समस्या से है बचना, तो जरूर बरतें ये सावधानी

Last Updated : Mar 2, 2023, 6:17 AM IST
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