पटना: बिहार में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर धीमी पड़ रही है. इसके साथ ही कोरोना (Corona) के शिकार हुए लोगों में पोस्ट कोविड-19 इफेक्ट के रूप में अन्य बीमारियां सामने आ रहीं हैं. यह पता चल रहा है कि कोरोना अपने शिकार के दिल पर असर डालता है. इसके चलते दिल के रोगी बढ़ गए हैं. पिछले दो माह में साइलेंट कार्डियक अरेस्ट (Silent Cardiac Arrest) के मामले बढ़ गए हैं.
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पीएमसीएच (PMCH) परिसर में स्थित इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान दिल के मरीजों के लिए पटना का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां हाल के दिनों में जितने भी हार्ट संबंधी बीमारी की शिकायत लेकर लोग पहुंचे हैं, उनमें से करीब 90 फीसदी कोरोना से कुछ दिनों पूर्व संक्रमित रह चुके हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो बताते हैं कि वे कोरोना से संक्रमित नहीं हुए हैं, मगर जांच की जा रही है तो पता चल रहा है कि वे कोरोना से माइल्ड रूप से संक्रमित हो चुके हैं.
इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉक्टर केके बरुण ने बताया कि कोरोना का साइड इफेक्ट दूसरी लहर के बाद गंभीर रूप से देखने को मिल रहा है. पिछले 2 महीने से साइलेंट कार्डियक अरेस्ट के मरीज अधिक आ रहे हैं. ये लोग पहले कोरोना संक्रमित रह चुके हैं. कई मरीज यह बताते हैं कि उन्हें कोरोना हुआ था, जबकि कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं रहती कि वे कोरोना के हल्के इंफेक्शन के शिकार हो चुके हैं. यह बात एडमिट करने के बाद जांच होने पर पता चलता है.
डॉ केके बरुण ने कहा, "यह काफी कॉमन है कि अगर चलने में सांस फूलता है और सीने में दर्द होता है तो हृदय संबंधी शरीर में कोई बीमारी है. ऐसे में मरीज को तुरंत दिल के डॉक्टर के पास पहुंचना चाहिए. फेफड़ा और हृदय शरीर में एक-दूसरे के पूरक हैं. दोनों में इस बात का अंतर है कि फेफड़ा धीरे-धीरे खराब होता है. इसका लक्षण जल्द नजर नहीं आता. वहीं, हृदय संबंधी कोई भी परेशानी शरीर में आती है तो इसका लक्षण तुरंत सामने आ जाता है."
केके बरुण ने कहा, "अभी साइलेंट कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़े हैं. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को अचानक चक्कर आने लगता है. थकावट अधिक महसूस होने लगे. पोस्ट कोविड-19 पीरियड के किसी व्यक्ति का अचानक दम फूलने लगे और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाए तो यह समझना चाहिए कि उसे हृदय संबंधी बीमारी है. ऐसे लक्षण वाले मरीजों को तुरंत डॉक्टर से दिखाना चाहिए. हृदय संबंधी बीमारी के इलाज में देर जानलेवा हो जाता है."
"कोरोना के कारण शरीर में कई बार खून का थक्का जमता है. इस वजह से कई बार मरीज के हार्ट में छोटा-मोटा ब्लॉकेज हो जाता है. इससे मरीज की परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे में जरूरी है कि पोस्ट कोविड-19 पीरियड वाले मरीज अपने स्वास्थ्य की निगरानी करते रहें. शरीर में कहीं भी जरा भी तकलीफ होती है तो तुरंत उससे संबंधित चिकित्सक से मिलें."- डॉक्टर केके बरुण, ज्वाइंट डायरेक्टर, इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान
गौरतलब है कि साइलेंट कार्डियक अरेस्ट भी एक प्रकार का दिल का दौरा (हार्ट अटैक) है. आमतौर पर हार्ट अटैक आने पर सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई होती है. साइलेंट कार्डियक अरेस्ट में सीने में दर्द नहीं होता, जिसके चलते कई बार लोग इसे हार्ट अटैक नहीं समझ पाते. इसमें मरीज को अचानक चक्कर आने लगता है. उसे बेहोशी जैसा महसूस होता है. अगर कोरोना के मरीज रहे व्यक्ति को ऐसी परेशानी है तो उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके दिल में परेशानी है. उन्हें दिल के डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए.
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