पटनाः राज्य में लगभग 60 हजार आशा कार्यकर्ताओं के 17 फरवरी से हड़ताल (Asha Workers Strike From February 17) पर जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. शिवानी कौशिक और अन्य की जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद की जाएगी.
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पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि करोना महामारी के काल में राज्य सरकार के अंतर्गत कार्य करने वाले आशा कार्यकर्ताओं ने 17 फरवरी, 2022 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. इस मामले पर कोर्ट ने प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई की. कोर्ट ने साफ कहा था कि करोना महामारी के समय हड़ताल पर जाना न सिर्फ कानून के विरुद्ध है बल्कि मानवता के भी खिलाफ है.
आशा कार्यकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को संघ के पदाधिकारियों से विचार कर कोर्ट को बताया था कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए संघ के पदाधिकारीगण हड़ताल पर जाने की घोषणा तुरंत वापस लेंगे. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आशा वर्कर द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा की. साथ ही कोर्ट ने करोना महामारी के दौरान इनके द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की.
वहीं, अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के स्टेट हेल्थ सोसाइटी के कार्यकारी निर्देशक के नेतृत्व में एक कमिटी गठित की जाएगी. इसमें संघ के नेताओं को उनकी समस्यायों और मांगों पर विचार करने के लिए बुलाया जाएगा.
आज राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दायर कर कोर्ट को स्टेट हेल्थ सोसाइटी द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा दिया गया. इसमें बताया गया कि आशा वर्कर और अन्य सबंधित संघो को उनकी समस्याओं व कठिनाई पर विचार करने के लिए 23 फरवरी, 2022 को आमंत्रित किया गया है.
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अंजनी कुमार ने बताया कि आशा वर्कर को बताया गया है कि उनकी वित्तीय व अन्य समस्यायों को सुलझाने के लिए कार्रवाई की जाएगी. अश्विन पोर्टल से आशा वर्कर को उनके पारिश्रमिक शीघ्रता और पारदर्शी तरीके से भुगतान के लिए व्यवस्था हुई है. उनके खाते में सीधे पैसा भेजने की भी कार्रवाई की जा रही है. इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
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