पटना: राजधानी पटना में कई नामी-गिरामी डॉक्टर भरे पड़े हैं. इस महंगाई के जमाने में डॉक्टरों की फीस भी महंगी हो गई है. लेकिन आज हम एक ऐसे डॉक्टर के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो महज 25 रुपये फीस लेते हैं और मरीजों को सस्ती दवाओं के साथ इलाज करते हैं.
मरीजों के लिये मसीहा बने डॉ. अरविंद
तकरीबन 25 वर्षों से इनकी चिकित्सीय सेवा यूं ही लगातार चल रही है. राजधानी पटना के कदमकुंआ मोहल्ले में डॉ. अरविंद का क्लिनिक हैं. एक छोटे से एक कमरे में टेबल पर बैठे दवाई की पूर्जी लिखते हुए ये डॉक्टर दूर से साधारण व्यक्ति लगेंगे लेकिन साधारण दिखने वाला ये इंसान न जाने अब तक कितने लोगों के मसीहा बन चुके हैं.
दूर-दूर से लोग आते हैं इलाज कराने
आपको बता दें कि इनके द्वारा लिखी गई दवाइयां बहुत ही कारगर होती है. दूर-दूर से लोग इनके पास इलाज कराने के लिए आते हैं. तकरीबन रोजाना यहां भारी भीड़ होती हैं. डॉ. अरविंद एक जनरल फिजिशियन है.
'गरीब मरीजों की इलाज से मैं संतुष्ट'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉ.अरविंद ने कहा कि मैं गरीब मरीजों की इलाज से संतुष्ट हूं. नालंदा के चंडी ब्लॉक से उन्होनें नौकरी की शुरुआत की थी. डॉ. अरविंद ने बताया कि उस वक्त मैंने गरीबी को बहुत करीब से देखा था. पैसे का मोह उसी समय खत्म हो गया और मैंने संकल्प लिया कि गरीबों के लिए कुछ करूंगा.
PMCH में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर पढ़ाते थे डॉ. अरविंद
पटना आकर डॉ. अरविंद ने अपना क्लीनिक शुरू किया. जब वो पीएमसीएच में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर पढ़ाने लगे तब क्लिनिक पर मुश्किल से 1 घंटे का समय दे पाते थे. उस वक्त फीस भी तय नहीं थी. लोग स्वेच्छा से जो भी देते थे उसे वो रख लेते थे.
मरीजों की लगती है लंबी लाइन
शुरुआत में क्लीनिक पर बहुत कम लोग आते थे लेकिन अब लाइन इतनी लंबी हो जाती है कि सड़क पर लोग खड़े रहते हैं. फीस के सवाल पर डॉ. अरविंद ने कहा कि नि:शुल्क इलाज पर मरीज पूरी तरह भरोसा नहीं कर पाते हैं इसलिए मैंने 25 रुपये फीस रखा है. जिन मरीजों के पास पैसे नहीं होते हैं मैं उनसे मांगता नहीं हूं.
'मरीजों की संतुष्टि ही मेरी पूंजी'
कई गरीबों के इलाज का खर्च डॉ. अरविंद ने खुद उठाया है और अस्पताल में एडमिट कराया है. यहाँ से कभी कोई मरीज निराश होकर नहीं लौटता है. डॉ अरविंद कि माने तो क्लिनिक को आगे बढ़ाने का कोई प्लान नहीं है. ये मरीजों की संतुष्टि और विश्वास को ही अपनी कमाई और पूंजी मानते हैं.