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कागजी चक्करों में फंसी सकरी जलाशय योजना, 26 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की है क्षमता

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना का प्रारूप तैयार किया था, जिसे अपर सकरी जलाशय योजना नाम दिया गया था.

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Published : May 26, 2019, 3:27 PM IST

जलाशय की जमीन

नवादा: जिले की सकरी नदी पर अपर सकरी जलाशय योजना दशकों से अधर में लटका हुआ है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर ने 20 अक्टूबर 1984 को इस जलाशय का शिलान्यास किया था, लेकिन आज तक इसे शुरू नहीं किया जा सका. इसके शुरू हो जाने से लगभग 26 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है. लेकिन हर बार सिर्फ डीपीआपर में बदलाव होता रहता है.

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना का प्रारूप तैयार किया था, जिसे अपर सकरी जलाशय योजना नाम दिया गया था. अपर सकरी जलाशय इसलिए नाम रखा गया क्योंकि यह योजना जिले के सकरी नदी पर क्रियान्वयन होनी थी. किसानों के प्रति विशेष लगाव होने के कारण उन्होंने अपने कार्यकाल में कई जलाशयों का निर्माण कराया जिसका फायदा लोगों ने वर्षों तक उठाया भी. मगर बाद की सरकारों का किसानों के प्रति उदासीनता ने उनके सपनों पर ग्रहण लगा दिया. जिसके फलस्वरूप आज करीब 26 हजार हेक्टेयर सिंचित भूमि पानी के लिए तरस रही है.

चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है अपर सकरी जलाशय

यूं तो चुनाव खत्म होने के साथ कुछ मुद्दे खत्म हो जाते हैं लेकिन अपर सकरी जलाशय योजना एक ऐसा मुद्दा बनकर रह गया है जिसे हर पार्टी और दल के लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं. हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव 2019 में भी उम्मीदवारों ने इसे मुद्दा बनाया था. अपर सकरी जलाशय योजना को ससमय मूर्तरूप दे दिया जाता तो शायद ही यह मुद्दा बनता. हालांकि नवादा से सांसद रहे दिवंगत भोला सिंह ने यहां की समस्या को उच्च सदन में उठाया था, लेकिन वे भी अपने पांच साल के कार्यकाल में इसे मूर्तरूप नहीं दिलवा सके.

26 हजार हेक्टेयर भूमि की हो सकती है सिंचाई

इस योजना के पूरा हो जाने और जल का संचयन सही तरीके से होने पर इससे तक़रीबन 26 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई संभव हो सकती है. जिससे सैकड़ों गांव लाभान्वित होंगे. हालांकि झारखंड राज्य द्वारा इसके लिये पानी देने से इनकार करना भी इसमें बाधक बन रहा है. पिछले साल ही सकरी जलाशय में झारखंड सरकार के पानी देने से इनकार के बाद से जलाशय में झारखंड की ओर से आनेवाली पानी बंद हो गई. झारखंड सरकार के इस फैसले से सूबे के नालंदा, नवादा, शेखपुरा के लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता वंशीधर पांडेय का कहना है कि, अपर सकरी जलाशय योजना का डीपीआर सीडब्ल्यूसी के पास जांच के लिए गया हुआ है. यह 2012 में सीडब्ल्यूसी के पास भेजी गई थी. डीपीआर में लगातार बदलावों के कारण समय लगता रहा है. इसके निर्माण में एक बाधा झारखंड सरकार का पानी देने से इनकार करना है. केंद्र सरकार कहती है कि इसमें नीचे से पानी निकालकर स्टोर किया जा सकता है. लेकिन ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र का जलस्तर काफी गिर जायेगा. इसको देखते हुए पेंच उलझ हुआ हुआ है. CWC से कुछ सुझाव आये हैं जिसका निराकरण किया जा रहा है.

नवादा: जिले की सकरी नदी पर अपर सकरी जलाशय योजना दशकों से अधर में लटका हुआ है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर ने 20 अक्टूबर 1984 को इस जलाशय का शिलान्यास किया था, लेकिन आज तक इसे शुरू नहीं किया जा सका. इसके शुरू हो जाने से लगभग 26 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है. लेकिन हर बार सिर्फ डीपीआपर में बदलाव होता रहता है.

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना का प्रारूप तैयार किया था, जिसे अपर सकरी जलाशय योजना नाम दिया गया था. अपर सकरी जलाशय इसलिए नाम रखा गया क्योंकि यह योजना जिले के सकरी नदी पर क्रियान्वयन होनी थी. किसानों के प्रति विशेष लगाव होने के कारण उन्होंने अपने कार्यकाल में कई जलाशयों का निर्माण कराया जिसका फायदा लोगों ने वर्षों तक उठाया भी. मगर बाद की सरकारों का किसानों के प्रति उदासीनता ने उनके सपनों पर ग्रहण लगा दिया. जिसके फलस्वरूप आज करीब 26 हजार हेक्टेयर सिंचित भूमि पानी के लिए तरस रही है.

चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है अपर सकरी जलाशय

यूं तो चुनाव खत्म होने के साथ कुछ मुद्दे खत्म हो जाते हैं लेकिन अपर सकरी जलाशय योजना एक ऐसा मुद्दा बनकर रह गया है जिसे हर पार्टी और दल के लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं. हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव 2019 में भी उम्मीदवारों ने इसे मुद्दा बनाया था. अपर सकरी जलाशय योजना को ससमय मूर्तरूप दे दिया जाता तो शायद ही यह मुद्दा बनता. हालांकि नवादा से सांसद रहे दिवंगत भोला सिंह ने यहां की समस्या को उच्च सदन में उठाया था, लेकिन वे भी अपने पांच साल के कार्यकाल में इसे मूर्तरूप नहीं दिलवा सके.

26 हजार हेक्टेयर भूमि की हो सकती है सिंचाई

इस योजना के पूरा हो जाने और जल का संचयन सही तरीके से होने पर इससे तक़रीबन 26 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई संभव हो सकती है. जिससे सैकड़ों गांव लाभान्वित होंगे. हालांकि झारखंड राज्य द्वारा इसके लिये पानी देने से इनकार करना भी इसमें बाधक बन रहा है. पिछले साल ही सकरी जलाशय में झारखंड सरकार के पानी देने से इनकार के बाद से जलाशय में झारखंड की ओर से आनेवाली पानी बंद हो गई. झारखंड सरकार के इस फैसले से सूबे के नालंदा, नवादा, शेखपुरा के लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता वंशीधर पांडेय का कहना है कि, अपर सकरी जलाशय योजना का डीपीआर सीडब्ल्यूसी के पास जांच के लिए गया हुआ है. यह 2012 में सीडब्ल्यूसी के पास भेजी गई थी. डीपीआर में लगातार बदलावों के कारण समय लगता रहा है. इसके निर्माण में एक बाधा झारखंड सरकार का पानी देने से इनकार करना है. केंद्र सरकार कहती है कि इसमें नीचे से पानी निकालकर स्टोर किया जा सकता है. लेकिन ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र का जलस्तर काफी गिर जायेगा. इसको देखते हुए पेंच उलझ हुआ हुआ है. CWC से कुछ सुझाव आये हैं जिसका निराकरण किया जा रहा है.

Intro:नवादा। भलेहि केंद्र हो या सूबे की सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने की दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां करती है। जिले सुखाड़ का दंश झेल रहा है। किसान सिंचाई के लिए पानी को तरस रहा है लेकिन उनका सुननेवाला बचा ही कहाँ है जब किसानों का दर्द जुबां पर आता है तो समय-समय पर सरकारें पेनकिलर दवाईयां की तरह मुआवज़े बांट दी जाती। जिससे दर्द को कम पड़ जाती है लेकिन कम नहीं होता जड़ से समस्या। हालांकि बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए अपर सकरी जलाशय योजना के माध्यम से बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने कोशिश की थी लेकिन आगे की सरकार ने इस महत्वपूर्ण योजना की ओर कोई ध्यान नहीं दे सका जिसके फलस्वरूप आज करीब 26 हजार हेक्टेयर सिंचित भूमि पानी के लिए तरस रही है।




Body:श्रीकृष्ण सिंह ने तैयार किया था अपर सकरी जलाशय योजना का प्रारूप


बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना का प्रारूप तैयार किया था जिसे अपर सकरी जलाशय योजना नाम दिया गया। अपर सकरी जलाशय इसलिए नाम रखा गया क्योंकि यह योजना जिले के सकरी नदी पर क्रियान्वयन होनी थी। किसानों के प्रति विशेष लगाव होने के कारण उन्होंने अपने कार्यकाल में कई जलाशयों का निर्माण कराया जिसका फायदा लोगों ने वर्षों तक उठाया भी मगर बाद की सरकार का किसान के प्रति उदासीनता ने उनके सपनों पर ग्रहण लगा दिया।

तत्कालीन CM चंद्रशेखर किया था इसका शिलान्यास

श्रीबाबू अपने जीवनपर्यंत किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने के लिए लगे रहे। कई लोगों ने उनके सपना को साकार करने की कोशिश भी की लेकिन परिणाम अभी भी ढाक के तीन पात के समान बनी हुई है। इन्हीं में से एक नाम है सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर जिन्होंने 20 अक्टूबर 1984 को इसका शिलान्यास किया था जो कि आज भी उद्धारक का बाट जोह रहा है।

चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है अपर सकरी जलाशय

यूँ तो चुनाव खत्म होने के साथ कुछ मुद्दे खत्म हो जाते हैं पर अपर सकरी जलाशय योजना एक ऐसा मुद्दा बनकर रह गया है जिसे हर पार्टी और दल के लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं हालहि में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव 2019 में भी उम्मीदवारों ने इसे मुद्दा बनाया था।

कई बार लोकसभा में भी उठाये गए हैं इसकी समस्या

अपर सकरी जलाशय योजना का ससमय मूर्तरूप दे दिया जाता तो शायद ही यह मुद्दा बनती। हालांकि नवादा से सांसद रहे पूर्व दिवंगत संसद भोला सिंह ने यहां की समस्या को उच्च सदन में उठाये थे। लेकिन उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में इसे मूर्तरूप नहीं दिलवा सके।

26 हजार हेक्टेयर भूमि की हो सकती है सिंचाई

अपर सकरी जलाशय योजना पूरा हो जाएगी और जल का संचनय सही तरीके से होने लगेंगे तो इससे तक़रीबन 26 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई संभव हो सकती है। जिससे सैकड़ों गांव लाभान्वित हो सकती है।

झारखंड का पानी देने से इनकार भी बन रहा बाधक

पिछले साल सकरी जलाशय में झारखंड सरकार के पानी देने से इनकार के बाद से जलाशय में झारखंड की ओर से आनेवाली पानी बंद हो गई। झारखंड सरकार के इस फैसले से सूबे के नालंदा, नवादा, शेखपुरा के लोगों के उम्मीदों पर पानी फिर गया।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

अगर यह योजना मूर्त रूप ले लेती है तो इससे 100-200 गांवों के किसानों को लाभ मिलता उनकी जिंदगी खुशहाल हो जाएगी। लेकिन जब से हम जन्म लिए हैं तब से सिर्फ यही सुनते आ रहे हैं कि अब चालू होगा अब चालू होगा लेकिन अभी तक न इसपे किसी विधायक, सांसद और न ही सरकार की धयाने गई है।


क्या कहते हैं अधिकारी

जिला जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता वंशीधर पांडेय का कहना है कि, अपर सकरी जलाशय योजना का डीपीआर सीडब्ल्यूसी के पास जांच के लिए गई हुई है। यह 2012 में सीडब्ल्यूसी के पास भेजी गई है। डीपीआर में समय-समय पर बदलाव के कारण समय लगता रहा है। इसके निर्माण में एक बाधा झारखंड सरकार का पानी देने से इनकार करना है केंद्र सरकार कहती है कि इसमें नीचे से पानी निकालकर स्टोरेज करने के लिए लेकिन ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र के जलस्तर काफी गिर सकती है इसको देखते हुए पेंच उलझ हुआ हुआ है। CWC से कुछ सुझाव आये हैं जिसका निराकरण किया जा रहा है। डीपीआर कंसल्टेंट से बनवाया गया था उन्हीं के माध्यम से निराकरण की कोशिशें की जा रही है। अगर यह प्रोजेक्ट कम्पलीट हो जाती हैं तो इससे करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकती है।












Conclusion:अब सवाल यह है कि क्या आनेवाले दिनों में अपर सकरी जलाशय योजना पर कार्य चालू होंगें या फिर किसी ऐसे ही उद्धारक के बाट जोहेंगें जैसे पिछले दशकों से करते आ रहे हैं।
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