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नवादा: कछुआ चाल से हो रहा पुल का निर्माण, मौत को दावत देकर लोग पार कर रहे नदी

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Published : Aug 1, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 12:07 AM IST

जिले की सकरी नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहा है. 5 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक पुल के एक भी पिलर का निर्माण नहीं हो पाया है. कछुआ चाल से चल रहे पुल निर्माण के कारण यहां लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

कछुआ चाल से हो रहा पुल का निर्माण


नवादा: जिले की सकरी नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहा है. 5 महींने हो चुके हैं लेकिन अब तक पुल के एक भी पिलर का निर्माण नहीं हो पाया है. कछुआ चाल से चल रहे पुल निर्माण के कारण यहां लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

नदी के बीच में फसी बाईक
नदी के बीच में फसी बाईक

जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर गोसाई बिगहा से कुंज गाँव की ओर जाने वाले लोग मौत को दावत देकर नदी पार कर रहे हैं. गर्मी के मौसम में जो लोग बालू पर चलकर निकल जाते थे. अब वह भी भरे पानी से गुजरकर अपने रास्ते को जाने के लिए मजबूर हैं. यहां के लोग हर रोज मौत से सामना कर रहे हैं लेकिन संबधित अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हुए हैं. कछुआ चाल पर चल रहा पुल का निर्माण कार्य, समय पर काम पूरा होने को लेकर सवालिया निशान खड़े करता है.

नदी पार करते लोग
नदी पार करते लोग

डायवर्जन भी नहीं
आम तौर पर पुल निर्माण करने से पहले लोगों को परेशानी न हो. इस बात का ध्यान रखते हुए साइड से डायवर्जन बना दिया जाता है, लेकिन यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. लोग भगवान भरोसे सफर तय कर रहे हैं.

36 करोड़ की लागत से बन रहा पुल
इस पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया जा रहा है. 36 करोड़ की लागत से बन रहे, 634 मीटर लम्बे इस पुल का निर्माण कार्य सितम्बर 2020 तक पूरा होना है. निर्माण कार्य के बाद पांच वर्षीय अनुरक्षण कार्य का प्रारंभ 8 सितंबर 2020 से शुरू होगा. जिसे 7 सितंबर 2020 तक समाप्त करना है. लेकिन कार्य की लेटलतीफी के कारण तय समयसीमा में कार्य पूरा करना मुश्किल लग रहा है.

कछुआ चाल से हो रहा पुल का निर्माण

कैसे पढ़ेंगे बच्चे.?
वहीं, स्थानिय निवासी शशिकला का कहना है कि नदी पार करने में बहुत समस्या होती है. बच्चो का स्कूल और कोचिंग छूट जाती है. बच्चो को पढ़ने में काफी दिक्कते आ रही हैं. कोई भी अधिकारी देखने सुनने को तैयार नहीं है.

कामकाज हुआ ठप
ऑटो चालक गौतम का कहना है कि पानी ज्यादा होने के कारण काफी दिक्कत हो रही है. बारिश होने के कारण कामकाज सब ठप हो गया है. जब से बारिश थोड़ा कम हुई है, तब से दो-चार सवारी मिल जाती है. हम लोग रोज के खाने कमाने वाले हैं. जितनी जल्द पुल बन जाएगा, हमारी दिक्कत खत्म हो जाएगी.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
ग्रामीण कार्य विभाग रजौली कार्य प्रमंडल के अभियंता सत्येंद्र सिंह का कहना है कि, वैकल्पिक व्यवस्था पूर्व से बनी हुई है. पानी आता है, तो समस्या होती है. जब तक पुल नहीं बन जाता, तब तक कोई बड़ी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती.


नवादा: जिले की सकरी नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहा है. 5 महींने हो चुके हैं लेकिन अब तक पुल के एक भी पिलर का निर्माण नहीं हो पाया है. कछुआ चाल से चल रहे पुल निर्माण के कारण यहां लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

नदी के बीच में फसी बाईक
नदी के बीच में फसी बाईक

जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर गोसाई बिगहा से कुंज गाँव की ओर जाने वाले लोग मौत को दावत देकर नदी पार कर रहे हैं. गर्मी के मौसम में जो लोग बालू पर चलकर निकल जाते थे. अब वह भी भरे पानी से गुजरकर अपने रास्ते को जाने के लिए मजबूर हैं. यहां के लोग हर रोज मौत से सामना कर रहे हैं लेकिन संबधित अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हुए हैं. कछुआ चाल पर चल रहा पुल का निर्माण कार्य, समय पर काम पूरा होने को लेकर सवालिया निशान खड़े करता है.

नदी पार करते लोग
नदी पार करते लोग

डायवर्जन भी नहीं
आम तौर पर पुल निर्माण करने से पहले लोगों को परेशानी न हो. इस बात का ध्यान रखते हुए साइड से डायवर्जन बना दिया जाता है, लेकिन यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. लोग भगवान भरोसे सफर तय कर रहे हैं.

36 करोड़ की लागत से बन रहा पुल
इस पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया जा रहा है. 36 करोड़ की लागत से बन रहे, 634 मीटर लम्बे इस पुल का निर्माण कार्य सितम्बर 2020 तक पूरा होना है. निर्माण कार्य के बाद पांच वर्षीय अनुरक्षण कार्य का प्रारंभ 8 सितंबर 2020 से शुरू होगा. जिसे 7 सितंबर 2020 तक समाप्त करना है. लेकिन कार्य की लेटलतीफी के कारण तय समयसीमा में कार्य पूरा करना मुश्किल लग रहा है.

कछुआ चाल से हो रहा पुल का निर्माण

कैसे पढ़ेंगे बच्चे.?
वहीं, स्थानिय निवासी शशिकला का कहना है कि नदी पार करने में बहुत समस्या होती है. बच्चो का स्कूल और कोचिंग छूट जाती है. बच्चो को पढ़ने में काफी दिक्कते आ रही हैं. कोई भी अधिकारी देखने सुनने को तैयार नहीं है.

कामकाज हुआ ठप
ऑटो चालक गौतम का कहना है कि पानी ज्यादा होने के कारण काफी दिक्कत हो रही है. बारिश होने के कारण कामकाज सब ठप हो गया है. जब से बारिश थोड़ा कम हुई है, तब से दो-चार सवारी मिल जाती है. हम लोग रोज के खाने कमाने वाले हैं. जितनी जल्द पुल बन जाएगा, हमारी दिक्कत खत्म हो जाएगी.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
ग्रामीण कार्य विभाग रजौली कार्य प्रमंडल के अभियंता सत्येंद्र सिंह का कहना है कि, वैकल्पिक व्यवस्था पूर्व से बनी हुई है. पानी आता है, तो समस्या होती है. जब तक पुल नहीं बन जाता, तब तक कोई बड़ी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती.

Intro:नवादा। जिला मुख्यालय से महज 8 किमी दूर गोसाई बिगहा से कुंज गाँव की ओर जानेवाले लोगों को बहती सकरी नदी को तैर कर पार करना पड़ता है। गर्मी में तो किसी तरह बालू पर चलकर नैय्या पर लग जाता है पर बरसात के दिनों में लोगों को काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। यहां काफ़ी दिनों से लोगों के द्वारा पुल निर्माण कराने की मांग की जा रही थी पुल निमार्ण शुरू भी हो चुका है लेकिन कार्य की रफ़्तार इतनी धीमी है कि ऐसा लगता है नहीं कि वो अपने तय सीमा में कार्य पूरा कर पाएगी। जबकि अमूमन पुल निर्माण करने से पूर्व लोगों को परेशानी न हो इसके लिए साइड से डायवर्शन बना दिया जाता है लेकिन यहां कोई व्यवस्था नहीं है लोग भगवान भरोसे सफ़र तय कर रहे हैं जिसे आप ख़ुद इन तस्वीरों को देखकर अनुभव कर पाए होंगें।





Body:5 महीना बाद भी नहीं कम्पलीट हो सका एक भी पिलर

ठेकेदारों द्वारा काम इतने धीमे चल रहे हैं कि काम शुरू किए हुए 5 महीने गुजर चुके हैं लेकिन एक भी पिलर अभी तक पूर्ण रूप से कम्पलीट नहीं हो सका है। इसे पूर्ण निर्मित होने में अभी काफी वक्त लग सकता है तब तक लोग अपना जान जोख़िम में डालकर ऐसे ही आवागमन के लिए मजबूर होते रहेंगे।

3619.34 लाख की लागत से बन रहा पुल

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत नवादा-गोसाईं बीघा-नवादा पथ में पड़नेवाली सकरी नदी पर उच्चस्तरीय पुल का निर्माण चल रहा है जिसके लिए प्राक्कलित राशि 369।.34 लाख रखी गई है साथ ही पंचवर्षीय अनुरक्षण कार्य हेतु 22.87 लाख लागत निर्धारित की गई है लेकिन कार्य की लेटलतीफी के कारण तय सीमा में कार्य करना मुश्कील लग रहा है।

क्या कहते हैं लोग

नदी के दूसरे छोड़ पर रहनेवाले कुंज निवासी विपिन कुमार कहते हैं, हम सारा दोष सरकार को देंगें। ठेकेदार नदी का इतना बालू ले लिया कि नदी की गहराई बढ़ गई है। लोग डूबने लगते हैं। आवागमन मुश्किल हो गया है। हमलोग 20 किमी धुमकर नवादा पहुंचते हैं। रोगी को दिक्कत होता है। सिंचाई के लिए नदी का पानी हमलोग सबदिन इस्तेमाल करते थे अब गहराई के कारण खेत में पानी नहीं जा रहा है। हालहि में एक बच्चा भी यहां डूब रहा था बालबाल बचा है।

वहीं,एक राहगीर महिला का कहना है कि, पिछले दिन हम बच्चा को लेकर छाती भर पानी में लेडीज होकर तैर कर गये। हमलोग के साथ कितना मजबूरी है। जब सरकार को नहीं देखना है तो हमलोग सरकार को क्यों जिताये? वोट के समय में नरेंद्र मोदी बोलते हैं हमको वोट दीजिए हमलोग आप पर ध्यान देंगे लेकिन जनता के ऊपर उनको बिल्कुल ध्यान नहीं है।

ऑटो ड्राइवर गौतम का कहना है, हमें भी कष्ट होता है और जो पुल के उस पर हैं उन्हें भी बहुत कष्ट होता है। पानी अधिक होने के कारण हमारा सबकुछ ठप्प पड़ जाता है। अभी थोड़ा बारिश कम हुई है तो दो-चार पब्लिक आ भी जाती है। अगर इससे अधिक हुआ तो समझ जाइये उनको सबसे ज्यादा कष्ट होता है और इससे हमें भी कष्ट होता है। हमारा रोजगार खत्म हो जाता है। जितना जल्द से जल्द यह पुल बन जाएगी उतनी हमें सुविधा होगा। हमलोग कमाने खानेवाले हैं और उन पर ही निर्भर करते हैं।

वहीं, शशिकला का कहना है नदी पार करने में बहुत प्रॉब्लम होती है स्टूडेंट लोग को स्कूल और ट्यूशन छूट जाती है। जिस हिसाब से पुल निर्माण का कार्य चल रहा है उससे तो लगता नहीं की यह टाइम पर पूरी हो पाएगी।

क्या कहते हैं पदाधिकारी
ग्रामीण कार्य विभाग रजौली कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सत्येंद्र सिंह का कहना है कि, वैकल्पिक व्यवस्था पूर्व से बनी हुई है पानी आती है तो प्रॉब्लम होती है लेकिन लोग पूर्व से की गई वैकल्पिक व्यवस्था से जाते हैं थोड़ा घूमना पड़ता है । इससे कोई शॉर्टकट व्यवस्था नहीं है जब तक पूल नहीं बन जाता तब तक कोई बड़ी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती।










Conclusion:
Last Updated : Aug 2, 2019, 12:07 AM IST
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