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नवादा: कुहिला गांव में 4 और 5 अप्रैल को मनाया जायेगा मड़ही पूजा

चैत माह की सातवीं तिथि को सैयद अब्दुल आद शाह वारसी की मजार पर सलाना उर्स धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष 4 और 5 अप्रैल को मड़ही पूजा का आयोजन.

Madhi Puja
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Published : Apr 3, 2021, 9:33 AM IST

नवादा: जिले के अकबरपुर प्रखंड के कुहिला गांव में चैत माह की सातवीं तिथि को सैयद अब्दुल आद शाह वारसी की मजार पर सलाना उर्स धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष 4 और 5 अप्रैल को मड़ही पूजा का आयोजन होगा.

मड़ही पूजा के व्यवस्थापक अशोक कुमार सिंह एवं अरुण सिंह ने बताया कि वारसी पिया के अनुयायी रहे एहराम पोश फकीर पण्डित शाम लाल मिश्र ने इसकी शुरुआत सन् 1901 ई. में कुहिला गांव में की थी.

कुहिला गांव निवासी पंडित शामलाल मिश्र देवाशरीफ के सरकार वारिस पाक के एकहराम पोश फकीर हुए. जिनकी मजार कुहिला गांव के पश्चिम में एक मैदान में है.

ये भी पढ़ें: पटना: गुड फ्राइडे पर चर्च में हुई प्रार्थना, क्रुश रास्ता को किया गया याद

पंडित शामलाल मिश्र वारसी के द्वारा स्थापित चैती मेला का आयोजन परंम्परात रूप से ग्रामीणों द्वारा आज भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि वारसी संप्रदाय एक सर्व धर्म प्रेम मार्ग है. जहां धर्म जाति का कोई बंधन नहीं है.

मेले में हर धर्म जाति के लोग आते हैं और मजार पर चादर पोशी कर मन्नतें मांगते हैं. पं. शामलाल मिश्र के द्वारा स्थापित उर्स में सैयद अब्दुल आदशाह के गद्दी पर चादर, इत्र, पुष्प हार चढ़ाकर लोग दुआएं मांगते हैं.

मेले में आये लोगों के लिए गांव वालों की ओर से रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है. दो दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के कोने- कोने से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. मेले मे देश के मशहूर कौव्वाल, भजन गायक, लोक नृत्य कलाकार पहुंचकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.

नवादा: जिले के अकबरपुर प्रखंड के कुहिला गांव में चैत माह की सातवीं तिथि को सैयद अब्दुल आद शाह वारसी की मजार पर सलाना उर्स धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष 4 और 5 अप्रैल को मड़ही पूजा का आयोजन होगा.

मड़ही पूजा के व्यवस्थापक अशोक कुमार सिंह एवं अरुण सिंह ने बताया कि वारसी पिया के अनुयायी रहे एहराम पोश फकीर पण्डित शाम लाल मिश्र ने इसकी शुरुआत सन् 1901 ई. में कुहिला गांव में की थी.

कुहिला गांव निवासी पंडित शामलाल मिश्र देवाशरीफ के सरकार वारिस पाक के एकहराम पोश फकीर हुए. जिनकी मजार कुहिला गांव के पश्चिम में एक मैदान में है.

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पंडित शामलाल मिश्र वारसी के द्वारा स्थापित चैती मेला का आयोजन परंम्परात रूप से ग्रामीणों द्वारा आज भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि वारसी संप्रदाय एक सर्व धर्म प्रेम मार्ग है. जहां धर्म जाति का कोई बंधन नहीं है.

मेले में हर धर्म जाति के लोग आते हैं और मजार पर चादर पोशी कर मन्नतें मांगते हैं. पं. शामलाल मिश्र के द्वारा स्थापित उर्स में सैयद अब्दुल आदशाह के गद्दी पर चादर, इत्र, पुष्प हार चढ़ाकर लोग दुआएं मांगते हैं.

मेले में आये लोगों के लिए गांव वालों की ओर से रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है. दो दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के कोने- कोने से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. मेले मे देश के मशहूर कौव्वाल, भजन गायक, लोक नृत्य कलाकार पहुंचकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.

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