नवादा: जिले के पकरीबरावां प्रखंड के धमौल गांव स्थित लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना तालाब उपेक्षित पड़ा हुआ है. पिछले दो तीन सालों से सही से बारिश नहीं होने के कारण यह तालाब पूरी तरह सूख चुका है. ग्रामीणों के द्वारा इसके जीर्णोद्धार की मांगें लागातर की जा रही है. फिर भी यहां के जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. वहीं, सरकार के द्वारा जल संरक्षण की बात कही जा रही है. इसके लिए कहीं-कहीं तालाबों का जीर्णोद्धारभी किया जा रहा है.
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यह तालाब कभी गांव में पानी के लिए सबसे बड़ा स्रोत हुआ करता था. वहीं, आज खुद पानी के लिए तरस रहा है. करीब 4 एकड़ 61 डिसमिल में फैले इस तालाब पर अब अतिक्रमणकारियों का कब्जा होने लगा है. जिसकी वजह से तालाब दिनों-दिन यह सिकुड़ते जा रहा है. पहले यहां मछली पालन भी होता था. इसका समय-समय पर उड़ाही नहीं होने के कारण पानी की समस्या बनी हुई है. साथ ही पंचायत के मुखिया और सरपंच पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सब इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि
वहीं, गांव के सरपंच उपेंद्र सिंह ने कहा कि हमलोगों ने कई प्रयास किए, अंचलाधिकारी को लिखे उनके माध्यम कार्रवाई की बात भी हुई लेकिन उसपर कोई अमल नहीं हुआ. जिसके वजह से तालाब जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़ा है. जबकि इस तालाब के सूखने से गांव में पानी का दिक्कत सामने आने लगी है. कई चापाकल सूख गये हैं.
तालाब निर्माण के ये थे प्रमुख उद्देश्य
गौरतलब है कि करीब डेढ़ सौ साल पहले जल संचयन, लोक कल्याण और धार्मिक अनुष्ठान के लिए गांव के लिए साव जी ने अपनी जमीन दान देकर इसका निर्माण कराया था. लेकिन अब न तो यहां जल संचयन किया जाता है और ना ही धार्मिक अनुष्ठानों के कार्य. वहीं, गांव में मूर्ती पूजा करने पर लोगों को मूर्ति विसर्जन के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है.