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सिर्फ वोट मांगने के लिए आते हैं नेता, 50 हजार की आबादी को अब तक नहीं मिला पुल

खगड़िया चौथम प्रखंड में 50 हजार की आबादी के लिए एक पुल तक मयस्सर नहीं है. ग्रामीण नाव के जरिए आवागमन करने को मजबूर हैं.

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Published : May 9, 2019, 9:58 PM IST

नाव के जरिए आवागमन करते लोग

खगड़िया: जिले के चौथम प्रखंड में बागमती नदी के तट पर नवादा घाट है. घाट किनारे स्थित तीन पंचायत की लगभग पचास हजार की आबादी सिर्फ एक नाव के सहारे आवाजाही करने को मजबूर है.

सिर्फ वोट के लिए नेता
ग्रामीणों का आरोप है कि नेता और विधायक सिर्फ चुनाव के लिए वोट मांगने आते है. स्थानीय जनता की तकलीफों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है. 50 हजार की आबादी के लिए एक पुल तक मयस्सर नहीं. आर-पार करने के दौरान दूसरी छोर के यात्री नाव के इंतजार में काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है.

ग्रामीणों का बयान

चुनाव के बाद काम शुरू होने की उम्मीद
सरकारी उदासीनता का आलम यह है कि यहां घाट के लिए 1 साल का कॉन्ट्रैक्ट होता है. विभाग को मोटी रकम देने वाला 1 साल के लिए घाट के किनारे नाव परिचालन के लिए मनमर्जी किराया लागू करता है. वहीं इस मामले में जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि घाट पर पूल के लिए डीपीआर तैयार हो चुका है और चुनाव के बाद काम शुरू होने की उम्मीद है.

खगड़िया: जिले के चौथम प्रखंड में बागमती नदी के तट पर नवादा घाट है. घाट किनारे स्थित तीन पंचायत की लगभग पचास हजार की आबादी सिर्फ एक नाव के सहारे आवाजाही करने को मजबूर है.

सिर्फ वोट के लिए नेता
ग्रामीणों का आरोप है कि नेता और विधायक सिर्फ चुनाव के लिए वोट मांगने आते है. स्थानीय जनता की तकलीफों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है. 50 हजार की आबादी के लिए एक पुल तक मयस्सर नहीं. आर-पार करने के दौरान दूसरी छोर के यात्री नाव के इंतजार में काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है.

ग्रामीणों का बयान

चुनाव के बाद काम शुरू होने की उम्मीद
सरकारी उदासीनता का आलम यह है कि यहां घाट के लिए 1 साल का कॉन्ट्रैक्ट होता है. विभाग को मोटी रकम देने वाला 1 साल के लिए घाट के किनारे नाव परिचालन के लिए मनमर्जी किराया लागू करता है. वहीं इस मामले में जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि घाट पर पूल के लिए डीपीआर तैयार हो चुका है और चुनाव के बाद काम शुरू होने की उम्मीद है.

Intro:अगर खगड़िया जिले के लोग खुद को आज भी गुलाम कहते है तो गलत नही कहते।आज एक तरफ जंहा दुनिया चांद पर जा रही है भारत अपने आप को विकशित देश की श्रेणी में खड़ा करना चाहता है वही बिहार के खगड़िया जिला में नदी पार करने के लिए सिर्फ एक नाव का सहारा रहता है।


Body:अगर खगड़िया जिले के लोग खुद को आज भी गुलाम कहते है तो गलत नही कहते।आज एक तरफ जंहा दुनिया चांद पर जा रही है भारत अपने आप को विकशित देश की श्रेणी में खड़ा करना चाहता है वही बिहार के खगड़िया जिला में नदी पार करने के लिए सिर्फ एक नाव का सहारा रहता है।आप को बता दे कि जिले के चौथम प्रखंड में बागमती नदी है और वहां नवादा घाट है जिसके पार में तीन पंचायत की लगभग 50 हजार की आबादी बस्ती है।लेकिन फिर भी आज तक उस घाट पर एक पूल नही बन सका।लोग नाव पर अपने वाहन 2 पहिया या 4 पहिया वाहनों को लाद कर आते जाते है।चाहे बच्चे को स्कूल ही क्यों ना जाना हो ग्रामीण या कोई सरकारी कर्मचारी को कार्यालय ही क्यों ना आना हो सभी एक नाव के सहारे है। नाव उस तरफ रहती है तो इस तरफ के लोग इन्तेजार में रहते है नाव उस एक खेफ मे उस पार जाती है फिर उस पार के लोग को इस पार लाती है।घाट के 1 साल का कॉन्ट्रैक्ट होता है जो भी मोटा रकम देता है वो विभाग से 1 साल के लिए घाट को ले लेता है फिर खुद का तय किया हुआ किराया लागू करता है।
वही इस मामले में जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार का कहना है कि उस घाट पर पूल के लिए डीपीआर तैयार हो चुका है और चुनाव के बाद उम्मीद है काम शुरू हो जायेगा


Conclusion:
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