चंडीगढ़/पटना: मानवता आज भी बरकरार है. बिहार और कश्मीर के दो अलग-अलग धर्म को मानने वाले परिवारों ने इस बात को सच साबित किया है. दोनों परिवारों ने धर्म-जात की बंदिशों से उपर उठकर एक दूसरे को नई जिंदगी दी है. देशभर में नजीर बने किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट की चर्चा हर तरफ हो रही है. इस वजह से बिहार की हिंदू महिला और कश्मीर के मुस्लिम व्यक्ति को बचाया गया.
दो परिवारों ने बचाई एक-दूसरे की जान
राजधानी पटना निवासी 42 वर्षीय मंजुला देवी और पति सुजीत कुमार 46 का ब्लड ग्रुप मैच न होने के कारण किडनी ट्रांसप्लांट संभव नहीं हो पा रहा था. उसी तरह कश्मीर के बारामुला निवासी अब्दुल अजीज और उनकी पत्नी शाजिया का ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो रहा था. जिसकी वजह से किडनी नहीं मिल पा रही थी. इन दोनों परिवारों को एक आइकिडनी ऐप ने मिलवाया और इस तरह दोनों की जान बच गई.
मोबाइल ऐप 'आईकिडनी' से मिली मदद
दरअसल, डॉ. प्रियदर्शी रंजन ने मोबाइल ऐप आईकिडनी विकसित की है. इससे परिवारों के बीच किडनी के आदान-प्रदान में बहुत मदद मिलती है. डॉ. प्रियदर्शी रंजन यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी और ट्रांसप्लांट सर्जरी के कंसलटेंट भी हैं. वे इस सर्जरी में डॉक्टर्स को लीड कर रहे थे. दोनों परिवारों के बीच इस पहल के बाद अब एक भावनात्मक रिश्ता जुड़ गया है.