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बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत, परिजनों का आरोप- सिरप पिलाने के बाद गई जान

बक्सर के फरीदिया चाइल्ड केयर अस्पताल (Faridia Child Care Hospital) द्वारा दी गई विटामिन सिरप पिलाने के बाद बच्ची की संदिग्ध मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर ने ये सिरप दिन में दो बार पिलाने को कहा था, जिसे पीने के बाद बच्ची का शरीर 10 मिनट के अंदर काला पड़ने लगा.

बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत
बक्सर में बच्ची की संदिग्ध मौत
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Published : Oct 18, 2022, 7:14 AM IST

बक्सरः बिहार के बक्सर में पीपरपाती रोड स्थित फरीदिया चाइल्ड केयर अस्पताल में एक बच्ची की इलाज के बाद घर जाने पर मौत (Suspicious Death Of Girl Child In Buxar) हो गई. जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. परिजनों का कहना कि अस्पताल में चिकित्सक डॉ. तनवीर फरीदी द्वारा जो दवा दी गई थी, उसे बच्ची को पिलाया गया लेकिन दवा पीने के बाद बच्ची का शरीर काला पड़ गया और फिर उसने दम तोड़ दिया.



ये भी पढ़ेंः हद है..! डॉक्टर ने मृत महिला को इलाज के लिए पटना किया रेफर

गलती पर पर्दा डालने की कोशिशः घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के अनुसार बड़का सिंहनपुरा निवासी सोमनाथ ओझा अपनी एक माह की पुत्री की तबीयत खराब होने पर उसे फरीदिया चाइल्ड केयर सेंटर पहुंचे थे, जहां बच्चे को भर्ती कर उसका इलाज किया गया. बाद में अस्पताल से छुट्टी देते समय चिकित्सक द्वारा परिजनों को एक सिरप की शीशी दी गई और कहा गया इसे दिन में दो बार पिलाना है. बाद में जब परिजनों ने बच्ची को सिरप पिलाया तो पीने के साथ ही उसकी तबीयत खराब होने लगी. उसका शरीर पहले काला और फिर सफेद होने लगा. जिसके बाद परिजन उसे लेकर बाइपास रोड के मां मुंडेश्वरी अस्पताल पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई.

सिरप पीने के बाद बच्ची की मौतः मां मुंडेश्वरी अस्पताल के चिकित्सक डॉ पीके पांडेय ने बताया कि बच्ची को सडेन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम हो जाने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका है. मामले में चिकित्सक डॉ तनवीर फरीदी से बात करने पर उन्होंने बताया कि परिजनों का यह कहना है कि सिरप पीने के बाद बच्ची की मौत हुई है लेकिन, इस बात को सकारात्मक ढंग से लिया जाना चाहिए. इस मामले को लेकर जब चिकित्सक डॉक्टर तनवीर फरीदी से बात की गई तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि कोई भी डॉक्टर विटामिन की यही दवा लिखेगा. अगर इसे पीने के बाद बच्ची की मौत हो जाए, तो निश्चित रूप से वह कमजोर होगी.

बिना लाइसेंस के चलते हैं दर्जनों अस्पतालः गौरतलब है कि परिजनों के हंगामे के बाद आरोपी अस्पताल प्रबंधन के द्वारा कई निजी अस्पताल के डॉक्टरों एवं समाज सेवी को बुलाकर परिजनों के साथ समझौता कर लिया गया, लेकिन यह पहली घटना नहीं है. सिविल सर्जन के नाक के नीचे नगर परिषद क्षेत्र में दर्जनों अस्पताल बिना लाइसेंस के चलते हैं. जंहा लोगों की मौत होने के बाद सिविल सर्जन एफआईआर करने का आदेश देते हैं. लेकिन जांच टीम में शामिल कमेटी के सदस्य लेन देन कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं और परिजनों को 10 -20 हजार देकर आवेदन नहीं देने के लिए राजी कर लेते हैं.

बक्सरः बिहार के बक्सर में पीपरपाती रोड स्थित फरीदिया चाइल्ड केयर अस्पताल में एक बच्ची की इलाज के बाद घर जाने पर मौत (Suspicious Death Of Girl Child In Buxar) हो गई. जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. परिजनों का कहना कि अस्पताल में चिकित्सक डॉ. तनवीर फरीदी द्वारा जो दवा दी गई थी, उसे बच्ची को पिलाया गया लेकिन दवा पीने के बाद बच्ची का शरीर काला पड़ गया और फिर उसने दम तोड़ दिया.



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गलती पर पर्दा डालने की कोशिशः घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के अनुसार बड़का सिंहनपुरा निवासी सोमनाथ ओझा अपनी एक माह की पुत्री की तबीयत खराब होने पर उसे फरीदिया चाइल्ड केयर सेंटर पहुंचे थे, जहां बच्चे को भर्ती कर उसका इलाज किया गया. बाद में अस्पताल से छुट्टी देते समय चिकित्सक द्वारा परिजनों को एक सिरप की शीशी दी गई और कहा गया इसे दिन में दो बार पिलाना है. बाद में जब परिजनों ने बच्ची को सिरप पिलाया तो पीने के साथ ही उसकी तबीयत खराब होने लगी. उसका शरीर पहले काला और फिर सफेद होने लगा. जिसके बाद परिजन उसे लेकर बाइपास रोड के मां मुंडेश्वरी अस्पताल पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई.

सिरप पीने के बाद बच्ची की मौतः मां मुंडेश्वरी अस्पताल के चिकित्सक डॉ पीके पांडेय ने बताया कि बच्ची को सडेन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम हो जाने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका है. मामले में चिकित्सक डॉ तनवीर फरीदी से बात करने पर उन्होंने बताया कि परिजनों का यह कहना है कि सिरप पीने के बाद बच्ची की मौत हुई है लेकिन, इस बात को सकारात्मक ढंग से लिया जाना चाहिए. इस मामले को लेकर जब चिकित्सक डॉक्टर तनवीर फरीदी से बात की गई तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि कोई भी डॉक्टर विटामिन की यही दवा लिखेगा. अगर इसे पीने के बाद बच्ची की मौत हो जाए, तो निश्चित रूप से वह कमजोर होगी.

बिना लाइसेंस के चलते हैं दर्जनों अस्पतालः गौरतलब है कि परिजनों के हंगामे के बाद आरोपी अस्पताल प्रबंधन के द्वारा कई निजी अस्पताल के डॉक्टरों एवं समाज सेवी को बुलाकर परिजनों के साथ समझौता कर लिया गया, लेकिन यह पहली घटना नहीं है. सिविल सर्जन के नाक के नीचे नगर परिषद क्षेत्र में दर्जनों अस्पताल बिना लाइसेंस के चलते हैं. जंहा लोगों की मौत होने के बाद सिविल सर्जन एफआईआर करने का आदेश देते हैं. लेकिन जांच टीम में शामिल कमेटी के सदस्य लेन देन कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं और परिजनों को 10 -20 हजार देकर आवेदन नहीं देने के लिए राजी कर लेते हैं.

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