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व्यापारी नहीं मिलने से बदहाली पर लीची किसान, पशुओं को खिला रहे तैयार फल

लीची के किसानों से लीची खरीद कर बाजार पहुंचाना या अन्य जिले उसे निर्यात करने की जवाबदेही व्यापारियों और मंडी से जुड़े लोगों की होती थी. लेकिन लॉकडाउन और आर्थिक तंगी के कारण अब व्यापारी किसानों से लीची खरीदने की स्थिति में नहीं हैं.

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Published : May 26, 2020, 1:52 PM IST

बेगूसरायः बिहार में लीची उत्पादन के क्षेत्र में बेगूसराय का प्रमुख स्थान है. लेकिन अच्छे उत्पादन के बावजूद इस बार लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी है. व्यापारी किसानों से लीची खरीदने नहीं पहुंच पा रहे हैं. हालात ये हैं कि किसान दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. वहीं, फसल बर्बाद होने के कारण कई बेटियों के रिश्ते भी टूट गए हैं.

दुखों का पहाड़
कृषि प्रधान बेगूसराय के सदर, तेघरा, मझोल और बलिया अनुमंडल इलाके में व्यापक पैमाने पर लीची की पैदावार होती है. इससे जुड़े किसान साल भर में एकमात्र लीची की फसल के जरिए हुई कमाई से अपनी रोजी रोटी चलाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन से लीची किसानों के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

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लीची खाते पशु

नहीं मिल रहे खरीदार
दरअसल लीची के किसानों से लीची खरीद कर बाजार पहुंचाना या अन्य जिले उसे निर्यात करने की जवाबदेही व्यापारियों और मंडी से जुड़े लोगों की होती थी. लेकिन लॉकडाउन और आर्थिक तंगी के कारण अब व्यापारी किसानों से लीची खरीदने की स्थिति में नहीं है, हालात ये है कि अच्छी पैदावार होने के बावजूद भी किसान तैयार लीची को औने पौने दामों में बेच रहे हैं. जिसके लिए भी खरीदार बमुश्किल मिल पाते हैं.

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तैयार लीची

दाने-दाने को मोहताज
ऐसी स्थिति में हजारों क्विंटल लीची की फसल विभिन्न इलाकों में पककर बर्बाद हो गई. लीची किसान बताते हैं कि हमारे साल भर के जीविकोपार्जन का एकमात्र जरिया लीची की खेती ही होती थी. लेकिन कर्ज लेकर खेती करने के बावजूद भी ये हाल होगा तो ऐसे में किसान दाने-दाने को मोहताज तो होंगे ही.

देखें रिपोर्ट

फूड प्रोसेसिंग यूनिट
मटिहानी प्रखंड के बदल पूरा गांव के किसानों ने कहा कि अगर सरकार, स्थानीय प्रशासन और सांसद गिरिराज सिंह ने उनकी सुधि नहीं ली, तो उनके सामने आत्महत्या करने के सिवा कोई चारा नहीं बच रहा है. उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग यूनिट या लीची से संबंधित प्लांट जिले में लग जाता तो हमारी समस्याओं का स्थाई निदान हो जाता.

सरकार से मदद की उम्मीद
वहीं, महिला किसान ने बताया कि फसल बर्बाद होने से बेटी की तय शादी नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर खाने पीने तक पर इसका असर पड़ा है. जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब इन किसानों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

बेगूसरायः बिहार में लीची उत्पादन के क्षेत्र में बेगूसराय का प्रमुख स्थान है. लेकिन अच्छे उत्पादन के बावजूद इस बार लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी है. व्यापारी किसानों से लीची खरीदने नहीं पहुंच पा रहे हैं. हालात ये हैं कि किसान दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. वहीं, फसल बर्बाद होने के कारण कई बेटियों के रिश्ते भी टूट गए हैं.

दुखों का पहाड़
कृषि प्रधान बेगूसराय के सदर, तेघरा, मझोल और बलिया अनुमंडल इलाके में व्यापक पैमाने पर लीची की पैदावार होती है. इससे जुड़े किसान साल भर में एकमात्र लीची की फसल के जरिए हुई कमाई से अपनी रोजी रोटी चलाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन से लीची किसानों के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

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लीची खाते पशु

नहीं मिल रहे खरीदार
दरअसल लीची के किसानों से लीची खरीद कर बाजार पहुंचाना या अन्य जिले उसे निर्यात करने की जवाबदेही व्यापारियों और मंडी से जुड़े लोगों की होती थी. लेकिन लॉकडाउन और आर्थिक तंगी के कारण अब व्यापारी किसानों से लीची खरीदने की स्थिति में नहीं है, हालात ये है कि अच्छी पैदावार होने के बावजूद भी किसान तैयार लीची को औने पौने दामों में बेच रहे हैं. जिसके लिए भी खरीदार बमुश्किल मिल पाते हैं.

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तैयार लीची

दाने-दाने को मोहताज
ऐसी स्थिति में हजारों क्विंटल लीची की फसल विभिन्न इलाकों में पककर बर्बाद हो गई. लीची किसान बताते हैं कि हमारे साल भर के जीविकोपार्जन का एकमात्र जरिया लीची की खेती ही होती थी. लेकिन कर्ज लेकर खेती करने के बावजूद भी ये हाल होगा तो ऐसे में किसान दाने-दाने को मोहताज तो होंगे ही.

देखें रिपोर्ट

फूड प्रोसेसिंग यूनिट
मटिहानी प्रखंड के बदल पूरा गांव के किसानों ने कहा कि अगर सरकार, स्थानीय प्रशासन और सांसद गिरिराज सिंह ने उनकी सुधि नहीं ली, तो उनके सामने आत्महत्या करने के सिवा कोई चारा नहीं बच रहा है. उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग यूनिट या लीची से संबंधित प्लांट जिले में लग जाता तो हमारी समस्याओं का स्थाई निदान हो जाता.

सरकार से मदद की उम्मीद
वहीं, महिला किसान ने बताया कि फसल बर्बाद होने से बेटी की तय शादी नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर खाने पीने तक पर इसका असर पड़ा है. जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब इन किसानों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

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