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अररिया में हेल्थ माफियाओं का बोलबाला! 2 महीने बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हुई जांच

जांच रिपोर्ट देने वाले पीएचसी प्रभारी ने दावा किया है कि प्रशासन की तरफ से फोर्स की व्यवस्था नहीं करायी गई. जिसके कारण कार्रवाई नहीं हो पाई है. जब तक सुरक्षा नहीं दी जाएगी, जांच संभव नहीं है.

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अररिया में हेल्थ माफिया का बोलबाला
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Published : Dec 11, 2019, 11:43 AM IST

अररियाः जिला मुख्यालय में दर्जनों नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटर ऐसे हैं जो अवैध तरीके से चल रहे हैं. जिसके कारण मरीजों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. मरीजों की मौत और हंगामा के बाद स्वास्थ्य माफिया मैनेज करने में जुट जाते हैं. वहीं, दो महीने बीत जाने के बाद भी एक मामले की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आ पायी है. हालांकि इसके पीछे प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है.

दरअसल 12 अक्टूबर को अररिया नर्सिंग होम में इलाज के लिए एक प्रसूता को भर्ती कराया गया था. जहां ऑपरेशन के दौरान उसकी मौत हो गई थी. हंगामा के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग होम को सील कर दिया था. जिस डॉक्टर ने पेशेंट का दोबारा इलाज किया था उस पर मुकदमा करने के बजाए नर्सिंग होम के जमीन मालिक पर किया गया था. हालांकि मामला उजागर होने के बाद आरोपी डॉ. के.एस. दास पर एफआईआर किया गया.

araria
आशुतोष कुमार

दो मामलों की जांच कर रहे हैं आशुतोष कुमार
कुछ ऐसा ही एक मामला दो दिन पहले आशा नर्सिंग होम में हुआ. जहां इलाज के दौरान प्रसूता की मौत के बाद हंगामा हुआ. इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में भी जांच के आदेश दिए हैं. दोनों नर्सिंग होम की जांच का जिम्मा पीएचसी प्रभारी आशुतोष कुमार को दिया गया है. हालांकि सिविल सर्जन मदन मोहन सिंह का कहना है कि पुराने मामले का जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आया है.

ईटीवी भारत संवाददाता कि रिपोर्ट

सुरक्षा के बिना कार्रवाई अधूरी
हालांकि आशुतोष कुमार ने मीडिया को बताया कि प्रशासन की तरफ से सुरक्षा नहीं दी गई, जिसके कारण जांच नहीं हो पाई है. जैसे ही पुलिस फोर्स की व्यवस्था होगी, कार्रवाई कर दोनों जांच रिपोर्ट सौंप दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जब तक पुलिस फोर्स नहीं उपलब्ध कराया जायेगा, तब तक कार्रवाई संभव नहीं है.

अररियाः जिला मुख्यालय में दर्जनों नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटर ऐसे हैं जो अवैध तरीके से चल रहे हैं. जिसके कारण मरीजों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. मरीजों की मौत और हंगामा के बाद स्वास्थ्य माफिया मैनेज करने में जुट जाते हैं. वहीं, दो महीने बीत जाने के बाद भी एक मामले की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आ पायी है. हालांकि इसके पीछे प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है.

दरअसल 12 अक्टूबर को अररिया नर्सिंग होम में इलाज के लिए एक प्रसूता को भर्ती कराया गया था. जहां ऑपरेशन के दौरान उसकी मौत हो गई थी. हंगामा के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग होम को सील कर दिया था. जिस डॉक्टर ने पेशेंट का दोबारा इलाज किया था उस पर मुकदमा करने के बजाए नर्सिंग होम के जमीन मालिक पर किया गया था. हालांकि मामला उजागर होने के बाद आरोपी डॉ. के.एस. दास पर एफआईआर किया गया.

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आशुतोष कुमार

दो मामलों की जांच कर रहे हैं आशुतोष कुमार
कुछ ऐसा ही एक मामला दो दिन पहले आशा नर्सिंग होम में हुआ. जहां इलाज के दौरान प्रसूता की मौत के बाद हंगामा हुआ. इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में भी जांच के आदेश दिए हैं. दोनों नर्सिंग होम की जांच का जिम्मा पीएचसी प्रभारी आशुतोष कुमार को दिया गया है. हालांकि सिविल सर्जन मदन मोहन सिंह का कहना है कि पुराने मामले का जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आया है.

ईटीवी भारत संवाददाता कि रिपोर्ट

सुरक्षा के बिना कार्रवाई अधूरी
हालांकि आशुतोष कुमार ने मीडिया को बताया कि प्रशासन की तरफ से सुरक्षा नहीं दी गई, जिसके कारण जांच नहीं हो पाई है. जैसे ही पुलिस फोर्स की व्यवस्था होगी, कार्रवाई कर दोनों जांच रिपोर्ट सौंप दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जब तक पुलिस फोर्स नहीं उपलब्ध कराया जायेगा, तब तक कार्रवाई संभव नहीं है.

Intro:हेल्थ माफियाओं के सामने नतमस्तक स्वास्थ विभाग, लगातार निजी नर्सिंग होम में मरीज़ों के मौत का सिलसिला जारी, जांच के नाम पर सिर्फ़ ज़िला प्रशासन के दुवारा खानापूर्ति किया जा रहा है। दो महीने बीत चुके उसके बाद भी एक किलोमीटर की दूरी पर सीएस कार्यालय तक नहीं पहुंच सका जांच रिपोर्ट, सीएस ने कहा अभी तक नहीं आया है मेरे पास रिपोर्ट।


Body:अररिया में दर्जनों ऐसे नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटर अवैध तरीके से चल रहा है जहां आए दिन मरीज़ों के मौत का सिलसिला जारी है पर जब यहां डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज़ की मौत होती है तो परिजनों के दुवारा हंगामा किया जाता है साथ ही घटना के बाद स्वास्थ माफिया उसे मैनेज करने जुट जाते हैं। ऐसे में क्या जांच के नाम पर खानापूर्ति किया जाता है या जितने भी अवैध नर्सिंग होम या पैथोलॉजी चल रहा है क्या उसमें किसी सफेदपोश का शह है या जिलाप्रशासन की नाकामी का नतीजा जिससे रोक पाना काफ़ी मुश्किल हो चुका है। बता दें कि 12 अक्टूबर को अररिया नर्सिंग होम में इलाज के लिए प्रसूता को आशा के दुवारा इलाज के लिए लाया गया था जिसकी ऑपरेशन के बाद मौत हो गई थी उस मामले में ख़बर चलने के बाद स्वास्थ विभाग हरक़त में आई और उसे सील कर दिया पर हैरत की बात यह हुई कि जिस डॉक्टर के दुवारा पेशेंट का इलाज किया गया उस डॉक्टर पर मुक़दमा न होकर नर्सिंग होम के ज़मीन मालिक पर किया गया था बाद में मीडिया में मामला उजागर होने के बाद डॉ. के एस दास पर मुक़दमा दायर हुआ है उसका जांच रिपोर्ट सीएस के पास अब तक नहीं पहुंच पाया है। कुछ ऐसा ही एक मामला अभी दो दिन पहले आशा नर्सिंग होम में हुआ जहां इलाज के दौरान प्रसूता की मौत के बाद हंगामा हुआ और मामले को दबाने की पूरी कोशिश हुई पर उसमें भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। दोनों नर्सिंग होम के जांच का आदेश पीएचसी प्रभारी आशुतोष कुमार को दिया गया है। हालांकि यहां जांच के नाम पर सिर्फ़ खानापूर्ति किया जा रहा है जिससे हेल्थ माफियाओं का दबदबा कायम है।


Conclusion:संबंधित विसुअल
बाइट सीएस मदन मोहन सिंह अररिया
बाइट पीएचसी प्रभारी आशुतोष कुमार
पीटीसी
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