ये खबर सभी के लिए जानना जरूरी है . अगर आप किसी अनजान व्यक्ति की मदद करने के लिए उसे अपना फोन दे रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ऐसा करने से एक झटके में आपका खाता खाली हो सकता है. साइबर अपराधियों के ठगने के इस नए तरीके को सुनकर साइबर एक्सपर्ट हैरान हैं. आप भी अनजान की मदद से पहले 2 बार सोचें . हाल ही में लखनऊ के एक व्यापारी के साथ हुई इसी तरह की ठगी के बाद साइबर क्राइम पुलिस जांच में जुटी हुई है. ways of cyber fraud fraud . types of online fraud . call forwarding scam .
लखनऊ के चौक इलाके के कपड़ा व्यापारी के बैंक खाते से अचानक कई बार में 35 हजार रुपए कटने के मैसेज आए थे. उन्होंने बैंक में जाकर पता किया तो उन्हें बताया गया कि पंजाब के अलग-अलग खातों में उनकी रकम जमा हुई है. उन्हें समझ में यह आ गया कि उनके साथ ठगी हुई है. वह शिकायत लेकर साइबर सेल पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि उनके साथ साइबर ठगी हुई है, जबकि उन्होंने न ही किसी के साथ ओटीपी शेयर किया और न ही कोई एप्लिकेशन डाउनलोड किया. बावजूद इसके उनके साथ ठगी हो गई. पीड़ित व्यापारी ने बताया कि साइबर सेल में पूछताछ के दौरान उन्हें यह याद आया कि उन्होंने उनकी दुकान आए एक व्यक्ति को बात करने के लिए अपना फोन दिया था, लेकिन नम्बर ऑफ था. साइबर सेल के सामने यह बात जानकारी में आने के बाद तस्वीर साफ हो गई थी कि व्यापारी कॉल फॉरवर्डिंग ठगी ( Call forwarding scam ) का शिकार हुआ है. way of online fraud .
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साइबर सेल लखनऊ प्रभारी रंजीत राय ( Ranjit Rai Cyber Cell Lucknow Incharge ) के मुताबिक, उनके पास कई ऐसे पीड़ित आते हैं, जो यह बताते हैं कि उन्होंने किसी से ओटीपी भी शेयर नहीं किया और न ही किसी के कहने पर कोई लिंक क्लिक किया उसके बाद भी उनके खातों से पैसे निकल गए हैं, हालांकि कई केस में लोगों को यह याद आ जाता है कि खाते से पैसे निकलने से कुछ देर पहले ही उन्होंने किसी व्यक्ति को बात करने के लिए अपना मोबाइल दिया था. इसी तरह पीड़ित व्यापारी को भी उस अनजान व्यक्ति की मदद करना भारी पड़ गया था. दरअसल, साइबर अपराधी लोगों से मदद के नाम पर किसी व्यक्ति से उसके किसी परिवार के सदस्य को कॉल करने के लिए फोन मांगते हैं. सामने वाला व्यक्ति दया खाकर उसे मोबाइल दे देता है. ठग उन्हीं के सामने एक ऐसा नंबर डायल करता है जो ऑफ जाता है. ठग एक बार फिर दूसरा नंबर डायल करने के लिए निवेदन करता है, जिसके बाद वह फिर से मिलाता है और वह भी नंबर ऑफ जाता है और मोबाइल वापस कर वहां से निकल जाता है. इसके बाद पीड़ित के खाते से पैसे निकलने लगते हैं.
कैसे होती है ठगी : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे (cyber expert amit dubey) बताते हैं कि इस तरह की ठगी का तरीका बिल्कुल यूनिक है. इसमें जब ठग दूसरा नम्बर मिलाता है तो वह अपने गैंग के नम्बर के आगे *21* या *401* या फिर अलग-अलग ऑपरेटर के नम्बरों को जोड़ देते हैं. इससे पीड़ित का मोबाइल नंबर ठग के नंबर पर फॉरवर्ड हो जाता है और उसमें आने वाली हर कॉल और एसएमएस ठगों के नम्बर पर चले जाते हैं, जिसके बाद वह खातों से पैसों के निकालने के साथ-साथ सोशल मीडिया अकाउंट भी ऑपरेट कर सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसी भी अंजान व्यक्ति को अपना फोन न दें और किसी जान पहचान के व्यक्ति को यदि दें भी तो खुद से नंबर डायल कर के दें.
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