नई दिल्ली: कारखानों के नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में दिसंबर में सुधार हुआ है. इससे रोजगार के मोर्चे पर भी सुधार हुआ है. एक मासिक सर्वेक्षण में बृहस्पतिवार को यह बात कही गई है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि दिसंबर में परिचालन गतिविधियों के सुधार के बावजूद कंपनियां 2020 के वार्षिक परिदृश्य को लेकर सतर्क रुख बरत रही हैं. इससे रोजगार सृजन और निवेश पर असर पड़ सकता है.
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आईएचएस मार्किट इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) दिसंबर में बढ़कर 52.7 रहा. नवंबर में यह 51.2 पर था.
आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पोलियाना डी लीमा ने कहा , "कारखानों ने मांग में सुधार का लाभ उठाया और मई के बाद सबसे तेजी से उत्पादन को बढ़ाया है. दिसंबर में रोजगार और खरीद के मोर्चे पर भी नए सिरे से बढोतरी हई है."
सर्वेक्षण के मुताबिक, नए कारोबारी ऑर्डर विनिर्माण क्षेत्र की हालत में सुधार को दर्शाते हैं. नए कारोबार ऑर्डर जुलाई के बाद सबसे तेज गति से बढ़े हैं.
इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर अधिक मांग से कुल बिक्री बढ़ी है. नए निर्यात ऑर्डर में लगातार 26 वें महीने वृद्धि हुई है भले ही वो मामूली हो.
विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई लगातार 29वें महीने 50 अंक से ऊपर है. सूचकांक का 50 से ऊपर होना विस्तार का सूचक है जबकि 50 से नीचे का स्तर संकुचन को दर्शाता है.
हालांकि, लीमा ने कहा कि सर्वेक्षण में कारोबारी विश्वास के मोर्चे पर कुछ सतर्कता दिखाई दी है. साल 2019 के अंत में कारोबार को लेकर कंपनियों का आत्मविश्वास करीब तीन साल में सबसे निचले स्तर पर रहा. यह बाजार स्थितियों को लेकर उपजी चिंताओं को दर्शाता है. इससे 2020 के शुरू में निवेश और रोजगार सृजन में कुछ अड़चनें आ सकती हैं."
सर्वेक्षण के मुताबिक, आगामी 12 महीनों में उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है लेकिन कंपनियों का आगे के बाजार को लेकर आत्मविश्वास का स्तर कमजोर होकर 34 महीने के निम्न स्तर पर है.
इसमें कहा गया है कि मुद्रास्फीति की दर 13 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है.