सहरसा: पूर्व सांसद आनंद मोहन ने पैरोल खत्म होने के बाद सहरसा जेल में सरेंडर कर दिया है. उनकी पैरोल की अवधि 25 अप्रैल को पूरी हो चुकी है. इसलिए अब स्थायी रिहाई के लिए उनका जेल जाना जरूरी था. सहरसा में जब वह सरेंडर करने जा रहे थे, तभी पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया. वहीं मीडिया के पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी कुछ भी नहीं कहना है. अब जो भी कहना है, रिहाई मिलने के बाद ही कहूंगा.
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"कुछ नहीं कहना चाहेंगे अब निकल कर कहेंगे. छोड़ दीाजिए अब जाने दीजिए जितना सवाल-जवाब होना था, हो चुका है. सबका जवाब दे चुके हैं, कुछ नया नहीं है. जो भी राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. सबका जवाब अब जेल से बाहर आकर ही दिया जाएगा"- पूर्व सांसद, आनंद मोहन
डीएम हत्याकांड में उम्र कैद की मिली थी सजाः आपको बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन को 2007 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद वह करीब 16 साल तक जेल में रहे. बिहार सरकार ने अब आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है. जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में खलबली मची हुई है. एक बार फिर बिहार सराकार और खासकर आरजेडी पर एमवाई समीकरण को भी साधने की कोशिश बताई गई है, क्योंकि आनंद मोहन के साथ जिन 26 लोगों को रिहाई मिली रही है, वो एमवाई समीकरण के बताए जा रहे हैं.
क्यों हुई थी डीएम की हत्याः यह घटना तब हुई जब 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया अधिकारियों की बैठक में शामिल होकर लौट रहे थे. उससे एक दिन पहले उत्तर बिहार का चर्चित गैंगस्टर छोटन शुक्ला गैंगवार में मारा गया था. शव को एनएच हाईवे पर रखकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे. तभी अचानक हाईवे-28 पर एक रेड लाइट कार गुजरती दिखाई दी. उस गाड़ी में आईएएस जी. कृष्णाय्या बैठे थे. डीएम की गाड़ी देख भीड़ आक्रोशित हो गई और वाहन पर पथराव कर दिया. ड्राइवर और बॉडीगार्ड ने डीएम को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उग्र भीड़ ने कृष्णैया को गाड़ी से खींच लिया. इसके बाद खबरा गांव के पास पीट-पीट कर मार डाला. आरोप है कि डीएम को मंदिर में गोली भी मारी गई. इस घटना के लिए आनंद मोहन को दोषी ठहराया गया था, जिसमें उसने अपनी सजा पूरी कर ली है और अब उन्हें नियम के मुताबिक बिहार सरकार द्वारा रिहाई दी जा रही है.