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CUET के खिलाफ तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पारित - तमिलनाडु विधानसभा में सीयूईटी के खिलाफ प्रस्ताव में भाजपा का वाकआउट

तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET-Common University Entrance Test) आयोजित करने के प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह किया.

तमिलनाडु विधानसभा ने प्रस्ताव
तमिलनाडु विधानसभा ने प्रस्ताव
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Published : Apr 11, 2022, 1:01 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने के प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह किया है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने स्वयं ही सदन में प्रस्ताव पेश किया और केंद्र सरकार से CUET वापस लेने का आग्रह किया है. साथ ही कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि NEET की तरह यह सीयूईटी देश भर में विविध स्कूली शिक्षा प्रणाली को दरकिनार कर देगा. स्कूलों में समग्र विकास-उन्मुख दीर्घकालिक शिक्षा की प्रासंगिकता को कम कर देगा. साथ ही छात्रों को अपने प्रवेश परीक्षा स्कोर में सुधार के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर बनाएगा.

"सदन को लगता है कि कोई भी प्रवेश परीक्षा जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम पर आधारित है, उन सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं करेगी, जिन्होंने देश भर में विभिन्न राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम में अध्ययन किया है. प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा ने वाकआउट किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और सत्तारूढ़ द्रमुक के सहयोगियों-कांग्रेस और वाम दलों सहित सभी ने प्रस्ताव का समर्थन किया. स्पीकर एम अप्पावु ने कहा कि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है.

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने के प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह किया है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने स्वयं ही सदन में प्रस्ताव पेश किया और केंद्र सरकार से CUET वापस लेने का आग्रह किया है. साथ ही कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि NEET की तरह यह सीयूईटी देश भर में विविध स्कूली शिक्षा प्रणाली को दरकिनार कर देगा. स्कूलों में समग्र विकास-उन्मुख दीर्घकालिक शिक्षा की प्रासंगिकता को कम कर देगा. साथ ही छात्रों को अपने प्रवेश परीक्षा स्कोर में सुधार के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर बनाएगा.

"सदन को लगता है कि कोई भी प्रवेश परीक्षा जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम पर आधारित है, उन सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं करेगी, जिन्होंने देश भर में विभिन्न राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम में अध्ययन किया है. प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा ने वाकआउट किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और सत्तारूढ़ द्रमुक के सहयोगियों-कांग्रेस और वाम दलों सहित सभी ने प्रस्ताव का समर्थन किया. स्पीकर एम अप्पावु ने कहा कि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है.

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पीटीआई

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