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भारतीय विदेश नीति के तीन सिद्धांतों से हो रही श्रीलंका की मदद: गोपाल बागले

श्रीलंका में भारत के दूत गोपाल बागले (India envoy to Sri Lanka Gopal Baglay) ने कहा कि भारतीय विदेश नीति के तीन सिद्धांत (Three Principles of Indian Foreign Policy) यानी वसुधैव कुटुम्बकम, सागर और पड़ोस नीति के आधार पर श्रीलंका की मदद की जा रही है.

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Published : Apr 8, 2022, 4:41 PM IST

नई दिल्ली: श्रीलंका में भारतीय दूत गोपाल बागले (India envoy to Sri Lanka Gopal Baglay)ने शुक्रवार को कहा कि भारत, श्रीलंका की हर संभव सहायता कर रहा है. श्रीलंका, भारतीय विदेश नीति के तीन सिद्धांतों (Three Principles of Indian Foreign Policy) यानी वसुधैव कुटुम्बकम, सागर और पड़ोस नीति के संगम पर है. उन्होंने आगे दोहराया कि भारत और श्रीलंका COVID के बाद आर्थिक सुधार के लिए भी संपर्क में रहे हैं.

डिजिटल ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए बागले ने कहा कि जब भारत को COVID-19 महामारी का सामना करना पड़ा तो श्रीलंका में लोग प्रार्थना कर रहे थे. जब श्रीलंका में इस वायरस ने हालात खराब किये तो भारत ने दवाओं व अन्य आवश्यक चीजों के साथ उनकी मदद की. हम कोविड के बाद भी आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका सरकार के साथ निकट संपर्क में हैं और चर्चा कर रहे हैं.

चीनी कर्ज पर क्या बोले: चीनी कर्ज के कारण द्वीपीय देश में समस्याएं पैदा होने के सवाल पर बागले ने कहा कि श्रीलंका के साथ अन्य देशों के संबंधों पर हम टिप्पणी नहीं कर सकते. यह श्रीलंका को यह देखना होगा कि देशों के साथ संबंधों का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है. बागले ने कहा कि भारत से चावल की पहली खेप इस सप्ताह के अंत तक श्रीलंका पहुंचेगी. पहला ऑर्डर 40000 मीट्रिक टन चावल का है और यह खेप 1 अरब डॉलर के कर्ज के तहत है.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका को दी गई ऋण-सुविधा अप्रैल अंत तक हो सकती है खत्म

श्रीलंका में भोजन और ईंधन की कमी है. देश गंभीर आर्थिक संकट का भी सामना कर रहा है. भारत अपनी पड़ोस पहले नीति के हिस्से के रूप में द्वीप राष्ट्र के बचाव में आया है. हाल ही में भारत ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद के लिए श्रीलंका को 1 बिलियन डॉलर के ऋण की घोषणा की थी. पिछले 24 घंटों में श्रीलंका को 36000 मीट्रिक टन पेट्रोल और 40000 मीट्रिक टन डीजल की खेप पहुंचाई गई है. जबकि भारतीय सहायता के तहत 270000 मीट्रिक टन से अधिक ईंधन की सप्लाई की जा चुकी है.

नई दिल्ली: श्रीलंका में भारतीय दूत गोपाल बागले (India envoy to Sri Lanka Gopal Baglay)ने शुक्रवार को कहा कि भारत, श्रीलंका की हर संभव सहायता कर रहा है. श्रीलंका, भारतीय विदेश नीति के तीन सिद्धांतों (Three Principles of Indian Foreign Policy) यानी वसुधैव कुटुम्बकम, सागर और पड़ोस नीति के संगम पर है. उन्होंने आगे दोहराया कि भारत और श्रीलंका COVID के बाद आर्थिक सुधार के लिए भी संपर्क में रहे हैं.

डिजिटल ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए बागले ने कहा कि जब भारत को COVID-19 महामारी का सामना करना पड़ा तो श्रीलंका में लोग प्रार्थना कर रहे थे. जब श्रीलंका में इस वायरस ने हालात खराब किये तो भारत ने दवाओं व अन्य आवश्यक चीजों के साथ उनकी मदद की. हम कोविड के बाद भी आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका सरकार के साथ निकट संपर्क में हैं और चर्चा कर रहे हैं.

चीनी कर्ज पर क्या बोले: चीनी कर्ज के कारण द्वीपीय देश में समस्याएं पैदा होने के सवाल पर बागले ने कहा कि श्रीलंका के साथ अन्य देशों के संबंधों पर हम टिप्पणी नहीं कर सकते. यह श्रीलंका को यह देखना होगा कि देशों के साथ संबंधों का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है. बागले ने कहा कि भारत से चावल की पहली खेप इस सप्ताह के अंत तक श्रीलंका पहुंचेगी. पहला ऑर्डर 40000 मीट्रिक टन चावल का है और यह खेप 1 अरब डॉलर के कर्ज के तहत है.

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श्रीलंका में भोजन और ईंधन की कमी है. देश गंभीर आर्थिक संकट का भी सामना कर रहा है. भारत अपनी पड़ोस पहले नीति के हिस्से के रूप में द्वीप राष्ट्र के बचाव में आया है. हाल ही में भारत ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद के लिए श्रीलंका को 1 बिलियन डॉलर के ऋण की घोषणा की थी. पिछले 24 घंटों में श्रीलंका को 36000 मीट्रिक टन पेट्रोल और 40000 मीट्रिक टन डीजल की खेप पहुंचाई गई है. जबकि भारतीय सहायता के तहत 270000 मीट्रिक टन से अधिक ईंधन की सप्लाई की जा चुकी है.

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