पटना: बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसकी 70 फीसदी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है. राज्य में कुल 56.03 लाख हेक्टेयर भूमि में खेती होती है. कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए बिहार सरकार ने देश में पहली बार कृषि रोड मैप की परिपाटी शुरू की थी. साल 2008 में पहला कृषि रोड मैप आया, जिसमें कृषि के क्षेत्र में इंद्रधनुषी विकास की परिकल्पना की गई. जिसका नतीजा ये रहा कि साल 2011-12 में बिहार में कुल 81 लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन हुआ. सरकार को कृषि कर्मण अवार्ड से भी नवाजा गया था. पहले कृषि रोड मैप के दौरान बायो फार्मिंग पर जोर दिया गया था. साथ ही अत्याधुनिक कृषि यंत्र के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया गया. पहले कृषि रोड मैप का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था.
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तत्कालीन राष्ट्रपति ने किया रोड मैप का शुभारंभ: 2012 से 2017 के लिए दूसरे कृषि रोड मैप के आधारशिला रखी गई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दूसरे कृषि रोड मैप का उद्घाटन किया था. दूसरे कृषि रोड मैप के जरिए फूड ग्रेंस की सुरक्षा और न्यूट्रिशन पर ध्यान दिया गया. वहीं, तीसरे कृषि रोड मैप की आधारशिला नवंबर 2017 को रखी गई. तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीसरे रोड मैप की आधारशिला रखी थी.
'हर थाली में बिहारी व्यंजन' का लक्ष्य निर्धारित: तीसरे रोड मैप के दौरान ऑर्गेनिक खेती पर जोर दिया गया. 154000 करोड़ का बजट तीसरे रोड मैप के लिए आवंटित किया गया था. तीसरे कृषि रोड मैप के दौरान खाद्य सुरक्षा डेयरी डेवलपमेंट मत्स्य पालन और कम्युनिटी फार्मिंग पर जोर दिया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीसरे रोड मैप के दौरान ही 'हर थाली में बिहारी व्यंजन' का लक्ष्य निर्धारित किया था. तीसरे कृषि रोड मैप के दौरान 1500 मेगावाट बिजली कृषि कार्य के लिए आवंटित की गई.
द्रौपदी मुर्मू कृषि रोड मैप का शुभारंभ करेंगी: बिहार में चौथे कृषि रोड मैप की तैयारी राज्य सरकार की ओर से शुरू कर दी गई है. 2023 से 2028 तक के लिए सरकार ने चौथा कृषि रोड मैप तैयार कर लिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चौथे कृषि रोड मैप का उद्घाटन करेंगी. इस अवधि में सरकार कृषि से जुड़े विकास कार्यों पर करीब 1.62 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी.
क्या है चौथे कृषि रोड मैप का लक्ष्य?: इस चौथे कृषि मैप के जरिए टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया है. बाजार के लिए किसानों को तकनीक से जोड़ा जाना है. साथ ही पर्यावरण फ्रेंडली कृषि के अलावा कम जल में खेती कैसे हो और वाणिज्यिक खेती के लिए किसान कैसे उत्साहित हो? इसके लिए सरकार नीति बनाएगी. इसके माध्यम से बिहार में कृषि के आधुनिकीकरण के अलावे उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाएगा.
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री?: चौथे कृषि मैप को लेकर अर्थशास्त्री डॉ. वर्णा गांगुली कहती हैं कि कृषि रोड मैप में पहले हम किसी के बारे में सोचते थे लेकिन अब टेक्नोलॉजी के बारे में सोचा जा रहा है. इसके अलावा वेयरहाउस की चिंता की जा रही है. कृषि को कैसे उद्योग से जोड़ा जाए, इस योजना पर सरकार काम कर रही है. चौथे कृषि रोग मैप के जरिए कृषि के क्षेत्र में बिहार का चहुंमुखी विकास हो सकता है. वहीं अर्थशास्त्री डॉक्टर अमित बख्शी के मताबिक चौथे कृषि रोड मैप के माध्यम से किसानों को तकनीक से जोड़ा जाएगा. साथ ही उनकी आय कैसे बढ़े, इस पर सरकार काम कर रही है.
"कृषि रोड मैप के जरिए बिहार में कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में ऊंचाई हासिल की है. अब तक तीन कृषि रोड मैप में अलग-अलग प्राथमिकताएं तय की गई थी. हमने जो स्केल तय किया था, उसे हासिल भी किया है. चौथे कृषि रोड मैप में भी सरकार ने 152000 करोड़ का बजट का प्रावधान किया है. चौथे कृषि रोड मैप में किसानों को तकनीक से जोड़ा जाएगा और उनकी आय कैसे बढ़े, इस पर सरकार काम कर रही है. पशुपालन के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य योजना बनाई गई है. अब किसानों के दरवाजे पर उन्हें सुविधा मुहैया कराई जाएगी"- डॉ. अमित बख्शी, अर्थशास्त्री
चतुर्थ कृषि रोडमैप में कौन-कौन विभाग शामिल?: चौथे कृषि रोड मैप के तहत पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग प्राकृतिक वन भूमि पर 350 लाख पौधारोपण करेगा. वहीं एक लाख हेक्टेयर में मृदा जल संरक्षण और 1500 हेक्टेयर मीटर जल संचयन क्षमता की गारलैंड ट्रेंच निर्माण का लक्ष्य निर्धारित है. कृषि रोड मैप के लिए 12 विभागों को शामिल किया गया है.
तीन कृषि रोडमैप से बिहार के किसानों को कितना फायदा?: तीन कृषि रोडमैप से बिहार के किसानों को कितना फायदा?: पहले कृषि रोड मैप के कारण ही साल 2011-12 में बिहार में कुल 81 लाख मैट्रिक टन चावल का उत्पादन हुआ. इस दौरान बायो फार्मिंग पर जोर दिया गया. अत्याधुनिक कृषि यंत्र के लिए किसानों को प्रोत्साहन किया गया. दूसरे कृषि रोड में फूड ग्रेंस की सुरक्षा और न्यूट्रिशन पर जोर दिया गया. जिसका नतीजा शानदार रहा. वहीं तीसरे कृषि रोड मैप के दौरान ऑर्गेनिक खेती पर जोर दिया गया, जिससे काफी उपज बढ़ी.
चौथा कृषि रोड मैप से क्या होंगे काम?: इसके तहत जलवायु के बदलते परिवेश को ध्यान में रखकर फसलों का चयन किया जाएगा. पारंपरिक फसलों की जगह मसूर, चना, सरसों, मक्का, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा. टिशू कल्चर आधारित विभिन्न पौधों के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा. आने वाले पांच साल के दौरान विभिन्न यौजनाओं के माध्यम से अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्र के इच्छुक किसीन और जीविका दीदी के सहयोग से पौधशाला स्थापित किया जाएगा.
इससे किसानों को कितना मिलेगा लाभ?: चौथे कृषि रोड के माध्यम से कृषि के आधुनिकीकरण पर फोकस किया जाएगा. उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के साथ ही ब्रांडिंग और कृषि बाजार के विकास को लेकर योजनाबद्ध तरीके से कार्य होंगे. कृषि में तकनीक पर जोर तो रहेगा ही, बाजार के लिए किसानों को तकनीक से जोड़ने का भी लक्ष्य रखा गया है. वहीं पर्यावरण फ्रेंडली कृषि के अलावा कम जल में खेती और वाणिज्यिक खेती के लिए नीति बनेगी. चौथे रोड मैप में कृषि के सर्वांगीण विकास के साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष ध्यान रहेगा.
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