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10 साल पहले बंदूक की नोक पर सेना के जवान की हुई थी शादी, पकड़ौआ विवाह पर पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 'ये मान्य नहीं है'

Pakadwa Vivah In Bihar: बिहार की पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे पूरी तरह से अमान्य करार दिया.

10 साल पहले बंदूक की नोक पर हुई थी शादी
10 साल पहले बंदूक की नोक पर हुई थी शादी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 24, 2023, 9:46 AM IST

Updated : Nov 24, 2023, 12:53 PM IST

पटनाः बिहार में पटना हाईकोर्ट ने 10 साल पहले लखीसराय में एक युवक का अपहरण कर जबरन दुल्हन की मांग में सिन्दूर लगवाने को गैर कानूनी करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि किसी महिला की मांग में जबरदस्ती सिन्दूर लगाना हिंदू कानून के तहत वैध विवाह नहीं है. एक हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है, जब तक दूल्हा दुल्हन अपनी मर्जी से पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे ना लें. कोर्ट ने इस जबरन विवाह को रद्द कर दिया है.

पटना कोर्ट ने सुनाया अहम फैसलाः कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी दुल्हन पक्ष ये साबित नहीं कर पाए कि 'सप्तपदी' का मौलिक अनुष्ठान पूरा हुआ था. कोर्ट ने ये पाया कि प्रतिवादी दुल्हन की ओर से मौखिक साक्ष्य देने वाले पुजारी को सप्तपदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही उन्होंने उस स्थान के बारे में बताया जहां दुल्हन का कथित विवाह संपन्न कराया गया था. कोर्ट ने इस कथित विवाह को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि ये कानून की नजर में अमान्य है.

2013 में हुई थी आर्मी जवान की जबरन शादीः दरअसल ये मामला 30 जून 2013 का है, जब अपीलकर्ता रविकांत सेना में एक सिग्नलमैन थे. वे लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में प्रार्थना करने गए थे. उसी दिन रविकांत का अपहरण कर लिया गया और बंदूक की नोक पर प्रतिवादी लड़की को सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया. लड़के ने जबरन शादी को रद्द करने के लिए पहले फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज कराया था. जहां से 27 जनवरी, 2020 को उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

'फैमिली कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण'- हाईकोर्टः अब इस मामले पर पटना हाईकोर्ट के जस्टिस बजंथरी ने शादी रद्द करने का फैसला सुनाते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण था. बता दें कि बिहार में कुछ साल पहले तक 'पकड़ौआ विवाह' का काफी चलन था. ग्रामीण इलाकों में अच्छे लड़के को पकड़कर उसकी शादी लड़की के घर वाले जबरन अपनी बेटी से करा देते थे. इस मुद्दे पर कई फिल्में भी बन चुकीं हैं. हालांकि हाल के वर्षों में ऐसे विवाह में कमी आई है. अब पटना हाईकोर्ट का ये फैसला ऐसी शादियों पर रोक के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

क्यों होता था पकड़ौआ विवाह: कहते हैं कि पकड़वा विवाह की शुरुआत बिहार में 70-80 के दशक में हुई थी, शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण बिहार में उस समय जन्म दर काफी ज्यादा थी. उन परिवारों में भी बच्चे अधिक होते थे, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में किसी परिवार में चार-पांच बेटियां भी हों जाती थीं, लेकिन उनके पिता के पास इतना रुपया पैसा नहीं होता था कि वह सभी की शादी भारी भरकम दहेज देकर अच्छे परिवार में कर सकें, उस दौरान दहेज लेने का रिवाज भी काफी ज्यादा था. हालांकि वो आज भी है. ऐसे में कई गांव के लोग अपनी बेटी की शादी किसी पढ़े-लिखे और अच्छे लड़के से कराने के लिए उसे जबरन उठा लेते थे और फिर उसकी जबरदस्ती शादी करा दी जाती थी.

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पटनाः बिहार में पटना हाईकोर्ट ने 10 साल पहले लखीसराय में एक युवक का अपहरण कर जबरन दुल्हन की मांग में सिन्दूर लगवाने को गैर कानूनी करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि किसी महिला की मांग में जबरदस्ती सिन्दूर लगाना हिंदू कानून के तहत वैध विवाह नहीं है. एक हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है, जब तक दूल्हा दुल्हन अपनी मर्जी से पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे ना लें. कोर्ट ने इस जबरन विवाह को रद्द कर दिया है.

पटना कोर्ट ने सुनाया अहम फैसलाः कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी दुल्हन पक्ष ये साबित नहीं कर पाए कि 'सप्तपदी' का मौलिक अनुष्ठान पूरा हुआ था. कोर्ट ने ये पाया कि प्रतिवादी दुल्हन की ओर से मौखिक साक्ष्य देने वाले पुजारी को सप्तपदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही उन्होंने उस स्थान के बारे में बताया जहां दुल्हन का कथित विवाह संपन्न कराया गया था. कोर्ट ने इस कथित विवाह को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि ये कानून की नजर में अमान्य है.

2013 में हुई थी आर्मी जवान की जबरन शादीः दरअसल ये मामला 30 जून 2013 का है, जब अपीलकर्ता रविकांत सेना में एक सिग्नलमैन थे. वे लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में प्रार्थना करने गए थे. उसी दिन रविकांत का अपहरण कर लिया गया और बंदूक की नोक पर प्रतिवादी लड़की को सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया. लड़के ने जबरन शादी को रद्द करने के लिए पहले फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज कराया था. जहां से 27 जनवरी, 2020 को उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

'फैमिली कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण'- हाईकोर्टः अब इस मामले पर पटना हाईकोर्ट के जस्टिस बजंथरी ने शादी रद्द करने का फैसला सुनाते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण था. बता दें कि बिहार में कुछ साल पहले तक 'पकड़ौआ विवाह' का काफी चलन था. ग्रामीण इलाकों में अच्छे लड़के को पकड़कर उसकी शादी लड़की के घर वाले जबरन अपनी बेटी से करा देते थे. इस मुद्दे पर कई फिल्में भी बन चुकीं हैं. हालांकि हाल के वर्षों में ऐसे विवाह में कमी आई है. अब पटना हाईकोर्ट का ये फैसला ऐसी शादियों पर रोक के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

क्यों होता था पकड़ौआ विवाह: कहते हैं कि पकड़वा विवाह की शुरुआत बिहार में 70-80 के दशक में हुई थी, शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण बिहार में उस समय जन्म दर काफी ज्यादा थी. उन परिवारों में भी बच्चे अधिक होते थे, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में किसी परिवार में चार-पांच बेटियां भी हों जाती थीं, लेकिन उनके पिता के पास इतना रुपया पैसा नहीं होता था कि वह सभी की शादी भारी भरकम दहेज देकर अच्छे परिवार में कर सकें, उस दौरान दहेज लेने का रिवाज भी काफी ज्यादा था. हालांकि वो आज भी है. ऐसे में कई गांव के लोग अपनी बेटी की शादी किसी पढ़े-लिखे और अच्छे लड़के से कराने के लिए उसे जबरन उठा लेते थे और फिर उसकी जबरदस्ती शादी करा दी जाती थी.

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Last Updated : Nov 24, 2023, 12:53 PM IST
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