नई दिल्ली: आखिरकार एलजेपीआर चीफ चिराग पासवान एनडीए में शामिल हो गए हैं. इसको लेकर वैसे तो चर्चा नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के साथ ही शुरू हो गई थी लेकिन पिछले दिनों जब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने उनसे उनके आवास पर भेंट की थी, तब से तय माना जा रहा था कि चिराग और बीजेपी के बीच गठबंधन की बात आखिरी दौर में पहुंच चुकी है. उसके बाद एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए जैसे ही उनको आधिकारिक रूप से निमंत्रण भेजा गया, ये साफ हो गया था कि बैठक से पहले ही घोषणा कर दी जाएगी.
जेपी नड्डा ने चिराग का गर्मजोशी से स्वागत किया: सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ चिराग पासवान की तस्वीर सामने आई, जिसमें वह नड्डा से हाथ मिलाते दिख रहे हैं. खुद बीजेपी अध्यक्ष ने अपने ट्विटर हैंडल से इसे शेयर किया और ऐलान किया कि चिराग पासवान अब एनडीए का हिस्सा हैं.
'एनडीए परिवार में आपका स्वागत करता हूं': जेपी नड्डा ने अपने ट्वीट में लिखा, 'चिराग पासवान जी से दिल्ली में भेंट हुई. उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने का निर्णय लिया है. मैं उनका एनडीए परिवार में स्वागत करता हूं.'
एनडीए की बैठक में शामिल होने का ऐलान: वहीं, चिराग पासवान ने भी जेपी नड्डा से मुलाकात की तस्वीर साझा की. अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'आज नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से मुलाकात हुई. कल होने वाली एनडीए की बैठक का आमंत्रण स्वीकार करते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) देश के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में होने वाली एनडीए की बैठक में शामिल होगी.'
अमित शाह से मिले चिराग पासवान: इससे पहले चिराग पासवान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. शाह के आवास पर करीब 15 मिनट तक दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई. माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग को लेकर दोनों के बीच बातचीत हुई. गृहमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से चिराग के साथ मुलाकात की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, 'आज चिराग पासवान जी से भेंट कर बिहार की राजनीति पर व्यापक चर्चा हुई.'
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान हुए थे एनडीए से अलग: चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग को लेकर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए नाता तोड़ा था. हालांकि उस चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार के जेडीयू के खिलाफ तो उम्मीदवार उतारा लेकिन बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा नहीं किया. वह लगातार अपने को पीएम मोदी का हनुमान बताते रहे. वहीं चुनाव के बाद उनके चाचा पशुपति पारस ने 5 सांसदों के साथ बगावत कर दी. जिस वजह से एलजेपी दो फाड़ में बंट गई. बाद में पारस मोदी सरकार में मंत्री भी बनाए गए. अब दोनों एनडीए का हिस्सा हो गए हैं.