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पैतृक जमीन में भगवान शंकर मां पार्वती का नाम, जनपद सदस्य का दावा, विरोध में ग्रामीण

Unique case of land transfer in Charama Court छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के चारामा तहसील में जमीन विवाद का एक अनोखा केस चल रहा है. इस केस में जमीन भगवान शंकर और पार्वती के नाम पर है. दूसरे पक्ष ने जमीन से भगवान शंकर और पार्वती का नाम हटाने और पैतृक जमीन उनके और उनके परिवार के नाम करने के लिए केस दर्ज किया है. कोर्ट ने भगवान को भेजने वाला नोटिस गांव के ग्रामीणों को भेजा है जिसके बाद ग्रामीण भी अब विरोध पर उतर आए हैं. kanker news

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Published : Nov 4, 2022, 1:38 PM IST

land dispute in name of lord shiva and parvati
चारामा तहसील कोर्ट में जमीन नामांतरण का अनोखा केस

कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के चारामा तहसील कोर्ट में जमीन नामांतरण का एक अलग ही मामला चल रहा है. नरहरपुर जनपद सदस्य यमुना देवी सिन्हा और उनके परिवार ने पैतृक संपत्ति में भगवान शंकर और माता पार्वती का नाम गलती से दर्ज होने का आरोप लगाया है. साथ ही शंकर, पार्वती और मूर्तिकार का नाम हटाकर उनका और उनके परिवार का नाम जोड़ने का आवेदन कोर्ट में दिया है. इस मामले में दावा आपत्ति के लिए नोटिस भी जारी हुई. नियम के तहत दस्तावेज में भगवान शंकर पार्वती का नाम दर्ज होने पर उनका भी पक्ष जानना था. कोर्ट ने भगवान को भगवान ही माना और मामले में आम नोटिस जारी की.

चारामा तहसील कोर्ट में जमीन नामांतरण का अनोखा केस

जमीन पर भगवान शंकर और मां पार्वती का हक: तहसील कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद ग्रामीणों को जब पता चला कि जमीन पर संबंधित परिवार ने दावा किया है तो उन्होंने जनपद सदस्य और जिला पंचायत की पूर्व उपाध्यक्ष यमुना देवी सिन्हा के परिवार के दावे को चुनौती देते हुए जमीन पर अपना दावा ठोक दिया. साथ ही मामले में सही जांच कर जमीन को भगवान शंकर व माता पार्वती के नाम यथावत रखने की मांग लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे.

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांगा 80 साल पुराना रिकॉर्ड: ग्रामीणों का कहना है कि "पूर्वजों ने जमीन शिव पार्वती के नाम दान कर दी थी. उस जमीन को उनके वारिस निजी जमीन मानकर उसका उपयोग कर रहे हैं. तहसील कार्यालय से इश्तिहार निकला. जिसके बाद हम चाहते हैं कि जमीन को ग्राम समिति में ही देना चाहिए. जमीन का सदुपयोग करते हुए वहां शिव पार्वती की प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए."

कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने विवादित जमीन का 80 साल पुराना रिकॉर्ड मांगा है. ताकि साबित किया जा सके कि जमीन भगवान शंकर, पार्वती की है. 1939 के रिकॉर्ड में जमीन घरवासी गोंड पिता पीतांबर के नाम से दर्ज है. इसके बाद साल 1954 से जमीन शंकर पार्वती व मूर्तिकार हिंछाराम सिन्हा के नाम से दर्ज है. ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें 1941 से लेकर 1955 तक का रिकॉर्ड, नक्शा, बी-1 व नामांतरण और दान पंजी के दस्तावेज उपलब्ध कराया जाए.

GPS on Pahari Maina: छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना पर जीपीएस लगाने की तैयारी

जानिए क्या है पूरा मामला: मामला ग्राम पंचायत भानपुरी का है. खसरा नंबर 589 की कुल 10109 हेक्टेयर यानी 25 एकड़ जमीन वर्तमान में भगवान शंकर, पार्वती और जमीन की देखरेख के लिए मूर्तिकार हिंछाराम सिन्हा के नाम से दर्ज है. मूर्तिकार हिंछाराम सिन्हा के दो बेटे थे. ईश्वर व राम प्रताप सिन्हा. राम प्रताप के पांच बेटों में से भीष्म सिन्हा व नरेश सिन्हा की मृत्यु हो गई. इसके चलते भीष्म सिन्हा की पत्नी यमुना देवी सिन्हा, नरेश की पत्नी गोमती बाई के अलावा अन्य तीन पुत्र रविंद्र कुमार सिन्हा, दुलेश्वर सिन्हा व विश्व कुमार सिन्हा ने जमीन में दावा किया है. उनका कहना है कि जमीन उनकी पैतृक संपत्ति है. सिन्हा परिवार के ही उमाशंकर सिन्हा ने बताया "पहले ये जमीन घरवासी गोंड के नाम से दस्तावेज में दर्ज थी. संतान नहीं होने पर पूरी जामीन तत्कालीन मालगुजार परिवार के सबसे बड़े भाई हिंछाराम को सौंप दी थी. हिंछाराम के तीन अन्य भाई शिव प्रसाद, तुमाराम व कृपाराम थे. हिंछाराम ने जमीन को भगवान शंकर और मां पार्वती के नाम दान करते हुए उनका नाम जोड़ दिया. साथ ही उसकी देखरेख करने हिंछाराम का नाम भी सर्वकारा के रूप में जोड़ दिया.

भगवान को जारी नहीं कर सकते नोटिस: तहसीलदार चारामा एचआर नायक ने कहा "भगवान को हमेशा सजीव माना गया है लेकिन वे भगवान हैं उन्हें नोटिस जारी नहीं किया जा सकता. इसलिए आम जनता को दावा आपत्ति का नोटिस जारी किया गया है. कुछ ग्रामीणों ने इसमें दावा आपत्ति किया है. जिनके बयान दर्ज हो रहे हैं.

कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के चारामा तहसील कोर्ट में जमीन नामांतरण का एक अलग ही मामला चल रहा है. नरहरपुर जनपद सदस्य यमुना देवी सिन्हा और उनके परिवार ने पैतृक संपत्ति में भगवान शंकर और माता पार्वती का नाम गलती से दर्ज होने का आरोप लगाया है. साथ ही शंकर, पार्वती और मूर्तिकार का नाम हटाकर उनका और उनके परिवार का नाम जोड़ने का आवेदन कोर्ट में दिया है. इस मामले में दावा आपत्ति के लिए नोटिस भी जारी हुई. नियम के तहत दस्तावेज में भगवान शंकर पार्वती का नाम दर्ज होने पर उनका भी पक्ष जानना था. कोर्ट ने भगवान को भगवान ही माना और मामले में आम नोटिस जारी की.

चारामा तहसील कोर्ट में जमीन नामांतरण का अनोखा केस

जमीन पर भगवान शंकर और मां पार्वती का हक: तहसील कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद ग्रामीणों को जब पता चला कि जमीन पर संबंधित परिवार ने दावा किया है तो उन्होंने जनपद सदस्य और जिला पंचायत की पूर्व उपाध्यक्ष यमुना देवी सिन्हा के परिवार के दावे को चुनौती देते हुए जमीन पर अपना दावा ठोक दिया. साथ ही मामले में सही जांच कर जमीन को भगवान शंकर व माता पार्वती के नाम यथावत रखने की मांग लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे.

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांगा 80 साल पुराना रिकॉर्ड: ग्रामीणों का कहना है कि "पूर्वजों ने जमीन शिव पार्वती के नाम दान कर दी थी. उस जमीन को उनके वारिस निजी जमीन मानकर उसका उपयोग कर रहे हैं. तहसील कार्यालय से इश्तिहार निकला. जिसके बाद हम चाहते हैं कि जमीन को ग्राम समिति में ही देना चाहिए. जमीन का सदुपयोग करते हुए वहां शिव पार्वती की प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए."

कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने विवादित जमीन का 80 साल पुराना रिकॉर्ड मांगा है. ताकि साबित किया जा सके कि जमीन भगवान शंकर, पार्वती की है. 1939 के रिकॉर्ड में जमीन घरवासी गोंड पिता पीतांबर के नाम से दर्ज है. इसके बाद साल 1954 से जमीन शंकर पार्वती व मूर्तिकार हिंछाराम सिन्हा के नाम से दर्ज है. ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें 1941 से लेकर 1955 तक का रिकॉर्ड, नक्शा, बी-1 व नामांतरण और दान पंजी के दस्तावेज उपलब्ध कराया जाए.

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जानिए क्या है पूरा मामला: मामला ग्राम पंचायत भानपुरी का है. खसरा नंबर 589 की कुल 10109 हेक्टेयर यानी 25 एकड़ जमीन वर्तमान में भगवान शंकर, पार्वती और जमीन की देखरेख के लिए मूर्तिकार हिंछाराम सिन्हा के नाम से दर्ज है. मूर्तिकार हिंछाराम सिन्हा के दो बेटे थे. ईश्वर व राम प्रताप सिन्हा. राम प्रताप के पांच बेटों में से भीष्म सिन्हा व नरेश सिन्हा की मृत्यु हो गई. इसके चलते भीष्म सिन्हा की पत्नी यमुना देवी सिन्हा, नरेश की पत्नी गोमती बाई के अलावा अन्य तीन पुत्र रविंद्र कुमार सिन्हा, दुलेश्वर सिन्हा व विश्व कुमार सिन्हा ने जमीन में दावा किया है. उनका कहना है कि जमीन उनकी पैतृक संपत्ति है. सिन्हा परिवार के ही उमाशंकर सिन्हा ने बताया "पहले ये जमीन घरवासी गोंड के नाम से दस्तावेज में दर्ज थी. संतान नहीं होने पर पूरी जामीन तत्कालीन मालगुजार परिवार के सबसे बड़े भाई हिंछाराम को सौंप दी थी. हिंछाराम के तीन अन्य भाई शिव प्रसाद, तुमाराम व कृपाराम थे. हिंछाराम ने जमीन को भगवान शंकर और मां पार्वती के नाम दान करते हुए उनका नाम जोड़ दिया. साथ ही उसकी देखरेख करने हिंछाराम का नाम भी सर्वकारा के रूप में जोड़ दिया.

भगवान को जारी नहीं कर सकते नोटिस: तहसीलदार चारामा एचआर नायक ने कहा "भगवान को हमेशा सजीव माना गया है लेकिन वे भगवान हैं उन्हें नोटिस जारी नहीं किया जा सकता. इसलिए आम जनता को दावा आपत्ति का नोटिस जारी किया गया है. कुछ ग्रामीणों ने इसमें दावा आपत्ति किया है. जिनके बयान दर्ज हो रहे हैं.

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