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क्या चार राज्यों के चुनाव परिणाम का I.N.D.I.A गठबंधन पर पड़ेगा असर ?

विपक्षी एकता के नाम पर चार राज्यों में चुनाव के लिए उतरी कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक नहीं रहा है. हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में भगवा लहराया है. दक्षिण में जरूर कांग्रेस को राहत मिली है. तेलंगाना में उसे जीत हासिल हुई है. chhattisgarh election 2023 result, telangana election result 2023, MP assembly election result 2023, rajasthan assembly election result 2023, four state assembly elections 2023 result, Message for 2024 general elections.

four state assembly elections 2023
चार राज्यों के चुनाव परिणाम
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 3, 2023, 3:26 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 7:53 PM IST

हैदराबाद : चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे हैं. हिंदी हार्टलैंड के तीनों राज्यों में भाजपा, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली है. 2024 के आम चुनाव से पहले इसे सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण के अगर इन परिणामों का मूल्यांकन करें तो जाहिर तौर से I.N.D.I.A गठबंधन पर इसका पड़ता दिख सकता है.

जिस तरह के नतीजे आए हैं विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को अगले साल के आम चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति बदलकर और जोर लगाना पड़ेगा. कांग्रेस को जिस तरह से तेलंगाना में जीत मिली है, जाहिर तौर पर गठबंधन के दल अब उससे वहां 'सौदेबाजी' की स्थिति में नहीं होंगे, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस को हिंदी हार्टलैंड में हार मिली है, उसका खामियाजा उसे उठाना पड़ेगा. 2024 के लिए सीट-बंटवारे को लेकर कलह बढ़ सकती है.

four state assembly elections 2023
गठबंधन के नेता

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी दलों के कुछ नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से पहले ही आग्रह कर चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन को मजबूत करने के लिए उसे सबको साथ लेकर चलना चाहिए. वहीं, कांग्रेस नेताओं ने तर्क दिया था कि 26 दलों का विपक्षी गठबंधन (I.N.D.I.A) केवल लोकसभा चुनावों के लिए है.

four state assembly elections 2023
एक रैली के दौरान राहुल और प्रियंका

चार राज्यों में जिस तरह से गठबंधन इस बात पर जोर दे रहा था कि मोदी मैजिक फीका पड़ गया है, वैसा चुनाव परिणाम में नजर नहीं आ रहा है. कई मुद्दों पर गठबंधन को अपना दांव उल्टा पड़ गया है.

एमपी की बात करें तो गठबंधन की रणनीति उल्टी पड़ गई क्योंकि भाजपा ने पहले अपनी मुफ्त राशन योजना को अगले पांच वर्षों के लिए मजबूत किया और मध्य प्रदेश में अपनी सफल सामाजिक योजनाओं पर दांव खेला. राहुल गांधी का प्रधानमंत्री पर यह दावा करना कि उन्होंने ओबीसी को छोड़ दिया है, वह भी उल्टा पड़ गया. भाजपा ने इस बात को प्रमुखता से रखा कि प्रधानमंत्री स्वयं ओबीसी हैं.

छत्तीसगढ़ में भाजपा का भ्रष्टचार मुद्दा उठाना पड़ना भी सफल रहा है. राजस्थान की बात की जाए तो वहां जनता ने रिवाज पर फिर मुहर लगा दी है. कांग्रेस के लिए केवल तेलंगाना से अच्छी खबर रही है. अगर चार राज्यों के नतीजों की बात करें तो संदेश साफ है कि कांग्रेस समेत विपक्षी गठबंधन के लिए राह आसान नहीं है.

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हैदराबाद : चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे हैं. हिंदी हार्टलैंड के तीनों राज्यों में भाजपा, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली है. 2024 के आम चुनाव से पहले इसे सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण के अगर इन परिणामों का मूल्यांकन करें तो जाहिर तौर से I.N.D.I.A गठबंधन पर इसका पड़ता दिख सकता है.

जिस तरह के नतीजे आए हैं विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को अगले साल के आम चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति बदलकर और जोर लगाना पड़ेगा. कांग्रेस को जिस तरह से तेलंगाना में जीत मिली है, जाहिर तौर पर गठबंधन के दल अब उससे वहां 'सौदेबाजी' की स्थिति में नहीं होंगे, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस को हिंदी हार्टलैंड में हार मिली है, उसका खामियाजा उसे उठाना पड़ेगा. 2024 के लिए सीट-बंटवारे को लेकर कलह बढ़ सकती है.

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गठबंधन के नेता

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी दलों के कुछ नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से पहले ही आग्रह कर चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन को मजबूत करने के लिए उसे सबको साथ लेकर चलना चाहिए. वहीं, कांग्रेस नेताओं ने तर्क दिया था कि 26 दलों का विपक्षी गठबंधन (I.N.D.I.A) केवल लोकसभा चुनावों के लिए है.

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एक रैली के दौरान राहुल और प्रियंका

चार राज्यों में जिस तरह से गठबंधन इस बात पर जोर दे रहा था कि मोदी मैजिक फीका पड़ गया है, वैसा चुनाव परिणाम में नजर नहीं आ रहा है. कई मुद्दों पर गठबंधन को अपना दांव उल्टा पड़ गया है.

एमपी की बात करें तो गठबंधन की रणनीति उल्टी पड़ गई क्योंकि भाजपा ने पहले अपनी मुफ्त राशन योजना को अगले पांच वर्षों के लिए मजबूत किया और मध्य प्रदेश में अपनी सफल सामाजिक योजनाओं पर दांव खेला. राहुल गांधी का प्रधानमंत्री पर यह दावा करना कि उन्होंने ओबीसी को छोड़ दिया है, वह भी उल्टा पड़ गया. भाजपा ने इस बात को प्रमुखता से रखा कि प्रधानमंत्री स्वयं ओबीसी हैं.

छत्तीसगढ़ में भाजपा का भ्रष्टचार मुद्दा उठाना पड़ना भी सफल रहा है. राजस्थान की बात की जाए तो वहां जनता ने रिवाज पर फिर मुहर लगा दी है. कांग्रेस के लिए केवल तेलंगाना से अच्छी खबर रही है. अगर चार राज्यों के नतीजों की बात करें तो संदेश साफ है कि कांग्रेस समेत विपक्षी गठबंधन के लिए राह आसान नहीं है.

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Last Updated : Dec 3, 2023, 7:53 PM IST
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