पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित धोबी घाट का जीर्णोद्धार (Renovation Work Of Dhobi Ghats Of Patna) 108 साल से नहीं हुआ है. इस वजह से धोबी समाज 'माननीयों' से नाराज चल रहा है. तीन साल पहले बिहार सरकार ने जीर्णोद्धार का वादा भी किया था. लेकिन अब तक धोबी घाट का कायकल्प नहीं हुआ. इस बात से नाराज धोबी समाज ने 1 मार्च से हड़ताल पर जाने की चेतावनी (Dhobi Samaj Announced Strike In Patna from March 1 ) दी है. धोबी समाज की इस चेतावनी ने नेताओं की चिंता बढ़ा दी है.
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1 मार्च से हड़ताल को घोषणा: पटना जिला धोबी संघ के द्वारा 1 मार्च से हड़ताल करने का फैसला लिया गया है. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मंत्री जी, विधायक जी और अधिकारियों के कपड़े क्या मैले रहेंगे या धोबी समाज के मांगों को पूरा किया जाएगा. दरअसल धोबी समाज के द्वारा धोबी घाट का जीर्णोद्धार और बाउंड्री करने की मांग वर्षों से उठाई जा रही है. लेकिन सरकार के आश्वसन के बाद भी आज तक धोबी घाट का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है.
धोबी घाटों का जीर्णोद्धार नहीं होने से नाराजगी: ऐसे में धोबी समाज के द्वारा बैठक कर निर्णय लिया गया है है कि सरकार अगर 28 फरवरी तक मांग नहीं मानती है तो 1 मार्च से नेताओं अधिकारियों के कपड़े नहीं धोए जाएंगे. धोबी समाज के लोग मंत्री, विधायकों के कपड़े धोने से इनकार कर रहे हैं. बता दें कि पटना जिले में छह धोबी घाट (Dhobi Ghat of Patna) हैं. सभी धोबी घाटों का हाल बेहाल है. ऐसे में धोबी समाज के लोगों को कपड़े धोने में काफी परेशानी होती है. इससे नाराज धोबियों ने अपनी मांग मनवाने के लिए माननीय के कपड़े धोने से इनकार कर दिया है. धोबी संघ के महामंत्री रामविलास का कहना है कि अगर सरकार इससे भी नहीं मानेगी तो सत्र के दौरान धोबी समाज के द्वारा विधानसभा घेराव किया जाएगा.
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कैपिटल धोबी घाट संघ (capital dhobi ghat association of patna) के महामंत्री रामविलास प्रसाद ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि वह लंबे समय से धोबीघाट के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि धोबी घाट का जीणोद्धार किया जाएगा. लेकिन आज कई साल बीत जाने के बाद भी धोबी घाटों का सौन्दर्यीकरण नहीं हो पाया है. रामविलास ने कहा कि पटना नगर निगम की 25वीं सशक्त समिति की 2018 को हुई बैठक में निर्णय किया गया था कि पटना के 6 धोबी घाटों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा.
"धोबी घाटों के जीर्णोद्धार के लिए पैसा आवंटन भी हुआ लेकिन पैसा कहां गया इसका कोई पता नहीं चला. धोबियों के द्वारा साफ किए गए कपड़े पहनकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री, विधान पार्षद सभी लोग शादी विवाह में जाते हैं, सभा में जाते हैं, सदन में जाते हैं. लेकिन धोबियों पर कोई ध्यान नहीं देता है. इससे नाराज धोबियों ने निर्णय लिया है कि अब किसी भी नेता के कपड़े को 1 मार्च से नहीं धोया जाएगा. सरकार अविलंब धोबियों के घाटों का जीर्णोद्धार कराए."- रामविलास रजक,महामंत्री, धोबी संघ
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तीन साल पहले सरकार ने किया था वादा: तीन साल पहले सरकार ने धोबी घाट के जीर्णोद्धार का वादा किया था लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. आज कई साल बीत गए लेकिन धोबी घाटों का जीर्णोद्धार और बाउंड्री नहीं हो पाई है. ऐसे में जो कपड़े सुखाने के लिए रखा जाता है उस कपड़े को भी लोग उठाकर लेकर चले जाते हैं. वहीं धोबी घाट पर कपड़ा धोने वाली रीता देवी ने कहा कि यहां पर कई मंत्री और विधायकों के कपड़े धोने के लिए हम लोग सुबह 3:00 बजे धोबी घाट पहुंचते हैं. और शाम शाम तक कपड़ों को धोकर सुखा कर चमका देते हैं. जिसके बाद मंत्री विधायक कपड़ा पहनकर चमचमाते हैं.
"धोबी किस अवस्था में धोबी घाट पर कपड़ा धोते हैं यह माननीयों को नजर नहीं आता है. धोबी घाट पूरी तरह से टूट चुका है लेकिन धोबी समाज पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में हमारे संघ के द्वारा जो निर्णय लिया गया है उसका हम लोग पालन करेंगे."- रीता देवी,कपड़ा धोने वाली महिला
हड़ताली मोड़ के पास न्यू कैपिटल धोबी घाट (New Capital Dhobi Ghat) है जिसका निर्माण अंग्रेजों के जमाने में कराया गया था. कई वर्षों से धोबी समाज के लोग नेता अधिकारियों के कपड़े धोते आ रहे हैं. आज भी यहां से ज्यादातर नेताओं के कपड़े धुल कर जाते हैं. समय के साथ बहुत कुछ बदल गया लेकिन नहीं बदली तो धोबी घाट की तकदीर. धोबी घाट का हाल बदहाल होता चला गया लेकिन किसी माननीय ने न तो धोबी घाट के जीर्णोद्धार के लिए सोचा और ना ही बाउंड्री कराने के लिए ही कोई प्रयास किया गया. ऐसे में अगर समय रहते सरकार धोबियों के हित में निर्णय नहीं लेती है तो 1 मार्च से धोबी समाज ने नेताओं के कपड़े धोने पर रोक लगाने का निर्णय लिया है.