ETV Bharat / bharat

मकर संक्रांति 15 जनवरी को, इसी दिन प्रदोष व्रत का भी संयोग - संक्रांति प्रदोष एक ही दिन

मकर संक्रांति को लेकर इस साल कई तरह की बात कही जा रही हैं. कुछ 14 जनवरी तो कुछ 15 जनवरी को मनाने की सलाह दे रहे हैं. पंडित जितेंद्र जी महराज के मुताबिक 15 जनवरी को मकर संक्राति पड़ेगी और उसी दिन प्रदोष व्रत का भी संयोग है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Pradosh Vrat on Makar Sankranti
संक्रांति प्रदोष
author img

By

Published : Jan 13, 2022, 12:40 AM IST

रांची : इस वर्ष मकर संक्रांति को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं कुछ पंडितों का एक वर्ग 14 जनवरी को मकर संक्रांति की बात कर रहा है तो कुछ लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने का सलाह दे रहे हैं. लेकिन पंचांग के अनुसार पंडितों का कहना है कि इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ेगी क्योंकि उसी दिन सूर्य शनि के घर से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ देवताओं के दिन का उदय होगा और दैत्यों के रात्रि का प्रारंभ होगा. इसी दिन प्रदोष व्रत भी पड़ेगा.

पंडित जितेंद्र जी महाराज.

इस बारे में पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन से ही देवताओं का दिन शुरू होता है और दैत्यों की रात्रि. जिस प्रकार से मनुष्य रात में सोने के बाद जल्द से जल्द सुबह होने का इंतजार करता है उसी प्रकार देवता भी 6 माह तक मकर संक्रांति का इंतजार करते हैं ताकि उनका सुबह हो और उनके जीवन में भगवान सूर्य का आशीर्वाद मिल सके. पंडित जितेंद्र के मुताबिक 14 जनवरी की शाम 08 बजकर 49 मिनट पर मकर संक्रांति प्रारंभ होगी और रात्रि होने के कारण 15 तारीख यानी दूसरे दिन पुण्य काल मनाया जाएगा. 15 जनवरी को ही सूर्योदय के बाद भगवान स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य की आराधना करें.

भगवान सूर्य की आराधना करने के बाद चुरा दही का भोजन करें एवं तिल का दान करें. तिल का लड्डू बनाकर या बाजार से खरीद कर भी भक्त गरीबों के बीच दान कर सकते हैं. इसके अलावा ब्राह्मणों एवं गरीबों को कंबल, चूल्हा, ऊनी वस्त्र दान कर भगवान सूर्य को प्रसन्न करें. पंडित जितेंद्र जीने बताया कि शनिवार का दिन होने से यह सबसे उत्तम दिन माना गया है. यह संयोग 30 वर्षों के बाद आया है. इसीलिए इस वर्ष की मकर संक्रांति पर भक्त शाम में खिचड़ी अवश्य वितरित करें इससे सभी देवता प्रसन्न होते हैं.

मकर संक्रांति के दिन ही पड़ रहा है भगवान शिव का प्रदोष व्रत

इस बार मकर संक्रांति के मौके पर शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत भी 14 जनवरी की रात 10:00 बज कर 19 मिनट से शुरू होगा जो 15 जनवरी की देर रात 12:57 तक रहेगा. इसीलिए इस वर्ष शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी 15 जनवरी को ही रखा गया है. पंडित जितेंद्र महाराज बताते हैं कि 15 जनवरी को लोग शनि प्रदोष का भी व्रत रखेंगे. शनि प्रदोष का व्रत रखने से लोगों को संपत्ति और संतान की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि यदि इस दिन शाम 5:46 से लेकर 8:28 मिनट तक प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने का सबसे अच्छा मुहूर्त है.

प्रदोष व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इस प्रकार से एक माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं. इस दिन भगवान शिव से सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए मनोकामना की जाती है.

ये भी पढ़ें - haridwar ganga snan ban : मकर संक्रांति के मौके पर पवित्र डुबकी नहीं लगा सकेंगे श्रद्धालु

इन सामानों के साथ करें पूजा

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, शमी पत्ता, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, सफेद चंदन से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें. उसके बाद भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ करें. पाठ करने के बाद भक्त भगवान शिव की आरती करें. अंत में पूजा में हुई कमी या त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना भी अवश्य करें ताकि भगवान शिव आपको मनवांछित फल दे फल दें.

प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का करें उच्चारण

  • ॐ नमः शिवाय.
  • नमो नीलकण्ठाय.
  • ॐ पार्वतीपतये नमः.
  • ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय.
  • ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा.
  • ऊर्ध्व भू फट्.
  • इं क्षं मं औं अं.

रांची : इस वर्ष मकर संक्रांति को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं कुछ पंडितों का एक वर्ग 14 जनवरी को मकर संक्रांति की बात कर रहा है तो कुछ लोग 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने का सलाह दे रहे हैं. लेकिन पंचांग के अनुसार पंडितों का कहना है कि इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ेगी क्योंकि उसी दिन सूर्य शनि के घर से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ देवताओं के दिन का उदय होगा और दैत्यों के रात्रि का प्रारंभ होगा. इसी दिन प्रदोष व्रत भी पड़ेगा.

पंडित जितेंद्र जी महाराज.

इस बारे में पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन से ही देवताओं का दिन शुरू होता है और दैत्यों की रात्रि. जिस प्रकार से मनुष्य रात में सोने के बाद जल्द से जल्द सुबह होने का इंतजार करता है उसी प्रकार देवता भी 6 माह तक मकर संक्रांति का इंतजार करते हैं ताकि उनका सुबह हो और उनके जीवन में भगवान सूर्य का आशीर्वाद मिल सके. पंडित जितेंद्र के मुताबिक 14 जनवरी की शाम 08 बजकर 49 मिनट पर मकर संक्रांति प्रारंभ होगी और रात्रि होने के कारण 15 तारीख यानी दूसरे दिन पुण्य काल मनाया जाएगा. 15 जनवरी को ही सूर्योदय के बाद भगवान स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य की आराधना करें.

भगवान सूर्य की आराधना करने के बाद चुरा दही का भोजन करें एवं तिल का दान करें. तिल का लड्डू बनाकर या बाजार से खरीद कर भी भक्त गरीबों के बीच दान कर सकते हैं. इसके अलावा ब्राह्मणों एवं गरीबों को कंबल, चूल्हा, ऊनी वस्त्र दान कर भगवान सूर्य को प्रसन्न करें. पंडित जितेंद्र जीने बताया कि शनिवार का दिन होने से यह सबसे उत्तम दिन माना गया है. यह संयोग 30 वर्षों के बाद आया है. इसीलिए इस वर्ष की मकर संक्रांति पर भक्त शाम में खिचड़ी अवश्य वितरित करें इससे सभी देवता प्रसन्न होते हैं.

मकर संक्रांति के दिन ही पड़ रहा है भगवान शिव का प्रदोष व्रत

इस बार मकर संक्रांति के मौके पर शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत भी 14 जनवरी की रात 10:00 बज कर 19 मिनट से शुरू होगा जो 15 जनवरी की देर रात 12:57 तक रहेगा. इसीलिए इस वर्ष शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी 15 जनवरी को ही रखा गया है. पंडित जितेंद्र महाराज बताते हैं कि 15 जनवरी को लोग शनि प्रदोष का भी व्रत रखेंगे. शनि प्रदोष का व्रत रखने से लोगों को संपत्ति और संतान की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि यदि इस दिन शाम 5:46 से लेकर 8:28 मिनट तक प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने का सबसे अच्छा मुहूर्त है.

प्रदोष व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इस प्रकार से एक माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं. इस दिन भगवान शिव से सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए मनोकामना की जाती है.

ये भी पढ़ें - haridwar ganga snan ban : मकर संक्रांति के मौके पर पवित्र डुबकी नहीं लगा सकेंगे श्रद्धालु

इन सामानों के साथ करें पूजा

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, शमी पत्ता, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, सफेद चंदन से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें. उसके बाद भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ करें. पाठ करने के बाद भक्त भगवान शिव की आरती करें. अंत में पूजा में हुई कमी या त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना भी अवश्य करें ताकि भगवान शिव आपको मनवांछित फल दे फल दें.

प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का करें उच्चारण

  • ॐ नमः शिवाय.
  • नमो नीलकण्ठाय.
  • ॐ पार्वतीपतये नमः.
  • ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय.
  • ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा.
  • ऊर्ध्व भू फट्.
  • इं क्षं मं औं अं.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.