पटना : नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog Report) के बाद बिहार में सियासी बवाल मचा है. इसको लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सवाल खड़े किए हैं. सीएम ने जनता दरबार के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि नीति आयोग में कौन लोग काम करते हैं और किनसे काम कराया जाता है अबकी बार जाऊंगा तो पूछूंगा.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट वास्तविक अध्ययन नहीं है. इसका उत्तर भी जाएगा और स्पष्ट तौर पर इसका अध्ययन भी करना चाहिए. कभी बैठक होगी तो दोहराकर कहेंगे.
सीएम ने सवालिया लहजे में कहा कि नीति आयोग को पता है कि हमलोग पटना के पीएमसीएच को कितना बड़ा कर रहे हैं. देश में ऐसा कोई अस्पताल नहीं है. 5,400 बेड का अस्पताल बन रहा है, इसका कार्य भी प्रारंभ हो चुका है. इसके लिए जितने डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है, हमने उसके लिए भी काम शुरू कर दिया है. यह भी तय कर दिया है कि चार साल के अंदर यह काम खत्म हो जाए. हालांकि मेरी इच्छा है कि थोड़ा और कम समय में यह पूरा हो इसके लिए हमलोग लगे हुए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे स्वास्थ्यकर्मी कितना काम करते हैं. इसको भी देखने की जरूरत हैं, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन था. उस दिन पूरे बिहार में 33 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया था. दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती को 35 लाख लक्ष्य रखा गया था. उसदिन कितनी बारिश हुई, बावजूद इसके 30 लाख से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हुआ.
इससे पहले नीतीश कुमार ने तो सीधे कह दिया था कि मुझे पता नहीं कि नीति आयोग ने क्या रिपोर्ट दी है. दो दिन पहले ही दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर पटना के गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए नीतीश कुमार से मीडियाकर्मियों ने नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर सवाल किया था, तो उन्होंने कहा था 'पता नहीं' और चलते बने थे.
यही सवाल एक अक्टूबर को पटना में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) से किया गया था. नीति आयोग ( Niti Aayog ) की रिपोर्ट पर उठे सवाल पर वे कुछ बोलना भी मुनासिब नहीं समझ रहे थे. वे चलते गए और पत्रकार सवाल पूछते रहे. चलते-चलते वे इतना जरूर कह गए, 'चलिए ना...'
हालांकि दो दिनों बाद यानि तीन अक्टूबर को मंगल पांडेय के जवाब बदल गए. किशनगंज में मंगल पांडेय ने कहा था कि नीति आयोग अपने तरीके से अपने पैमाने को सोचते हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने इस राज्य में लंबे समय तक शासन किया उन्हें जवाब देना चाहिए.
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''2005 तक इस राज्य में मात्र 8 मेडिकल कॉलेज थे. उस शासन काल में अस्पतालों में कितनी सुविधा थी, अस्पतालों में दवाइयों की क्या स्थिति थी, कितनी नर्स और डॉक्टरों की बहाली होती थी, जनता सब जानती है. उन लोगों को जवाब देना चाहिए कि क्यों राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था उस वक्त चरमराई हुई थी.''- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार
आपको बता दें कि नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में बिहार को निचले पायदान पर रखा गया है. जिला अस्पतालों पर एक रिपोर्ट पेश किया गया है. रिपोर्ट में आया है कि देश में जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख आबादी पर औसतन 24 बिस्तर हैं. पुडुचेरी में जिला अस्पतालों में सर्वाधिक (औसतन 222) बिस्तर उपलब्ध हैं. वहीं, बिहार में सबसे कम छह बिस्तर हैं. बिहार को एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में 52 अंक मिला है. बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार से ऊपर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य हैं.