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बुध प्रदोष व्रत: संतान सुख की प्राप्ति वाला देवों के देव महादेव का व्रत

आज बुध प्रदोष व्रत है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और बुधवार के दिन प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. बुध प्रदोष का महत्व और पूजा विधि जानने के लिए पढ़िये पूरी जानकारी

प्रदोष व्रत
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Published : Jul 21, 2021, 12:48 PM IST

आज प्रदोष व्रत है. भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है. आज 21 जुलाई को बुधवार के दिन प्रदोष (आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी) का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सातों वार को आने वाला प्रदोष खास होता है, लेकिन बुधवार को आने वाले बुध प्रदोष का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और यह व्रत संतान पक्ष को लाभ प्रदान करने वाला होता है.

बुधवार को प्रदोष का खास योग

प्रदोष का व्रत भगवान भोलेनाथ को विशेष प्रिय है. त्रयोदशी तिथि को प्रदोष कहा जाता है, ऐसे में हर माह दो बार प्रदोष आती है. एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की. वैसे तो सप्ताह के सातों दिन पड़ने वाली प्रदोष का अपना खास महत्व होता है लेकिन इस बार 21 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी बुधवार को है. मान्यता है कि बुधवार को आने वाली प्रदोष का व्रत करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और यह व्रत करने से संतान पक्ष को सुख प्राप्त होता है.

प्रदोष व्रत की कथा और महत्व

भगवान भोलेनाथ करेंगे दुखों का नाश

इस दिन व्रत के साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है. प्रदोष के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विधान है. आमतौर पर संध्या के समय सूर्यास्त से 45 मिनिट पहले प्रदोष काल शुरू होता है. इसी समय प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है. ज्योतिषाचार्य आचार्य पंडित विमल पारीक के अनुसार प्रदोष का व्रत करने से चंद्रग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं. चंद्रमा मन के स्वामी माने गए हैं, इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मन को शांति मिलती है. बुधवार के दिन आने वाली प्रदोष को भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से बुध ग्रह से संबंधी दोष भी दूर होते हैं. बुध को बुद्धि और विद्या का कारक माना गया है.

प्रदोष के दिन कैलाश पर आनंद तांडव करते हैं भगवान शिव

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत के रचित भवन में आनंद तांडव करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी स्तुति करते हैं. इसलिए जो भी प्रदोष के दिन व्रत रखकर प्रदोषकाल में भगवान शिव की आराधना करता है. उस पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं.

प्रदोष व्रत की पूजा की विधि

घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें. भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें. शाम को पूजा के बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें. पूजा सामग्री भगवान भोलेनाथ की पूजा में अबीर, गुलाल, चंदन, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कपूर और मोली सामान्यतः प्रयोग में ली जाती है. कोई भी मौसमी फल भी भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है

ये भी पढ़ें: साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 जुलाई) : इस सप्ताह क्या कहते हैं आपके सितारे, किसको मिलेगा भाग्य का साथ

आज प्रदोष व्रत है. भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है. आज 21 जुलाई को बुधवार के दिन प्रदोष (आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी) का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सातों वार को आने वाला प्रदोष खास होता है, लेकिन बुधवार को आने वाले बुध प्रदोष का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और यह व्रत संतान पक्ष को लाभ प्रदान करने वाला होता है.

बुधवार को प्रदोष का खास योग

प्रदोष का व्रत भगवान भोलेनाथ को विशेष प्रिय है. त्रयोदशी तिथि को प्रदोष कहा जाता है, ऐसे में हर माह दो बार प्रदोष आती है. एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की. वैसे तो सप्ताह के सातों दिन पड़ने वाली प्रदोष का अपना खास महत्व होता है लेकिन इस बार 21 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी बुधवार को है. मान्यता है कि बुधवार को आने वाली प्रदोष का व्रत करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और यह व्रत करने से संतान पक्ष को सुख प्राप्त होता है.

प्रदोष व्रत की कथा और महत्व

भगवान भोलेनाथ करेंगे दुखों का नाश

इस दिन व्रत के साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है. प्रदोष के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विधान है. आमतौर पर संध्या के समय सूर्यास्त से 45 मिनिट पहले प्रदोष काल शुरू होता है. इसी समय प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है. ज्योतिषाचार्य आचार्य पंडित विमल पारीक के अनुसार प्रदोष का व्रत करने से चंद्रग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं. चंद्रमा मन के स्वामी माने गए हैं, इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मन को शांति मिलती है. बुधवार के दिन आने वाली प्रदोष को भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से बुध ग्रह से संबंधी दोष भी दूर होते हैं. बुध को बुद्धि और विद्या का कारक माना गया है.

प्रदोष के दिन कैलाश पर आनंद तांडव करते हैं भगवान शिव

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत के रचित भवन में आनंद तांडव करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी स्तुति करते हैं. इसलिए जो भी प्रदोष के दिन व्रत रखकर प्रदोषकाल में भगवान शिव की आराधना करता है. उस पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं.

प्रदोष व्रत की पूजा की विधि

घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें. भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें. शाम को पूजा के बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें. पूजा सामग्री भगवान भोलेनाथ की पूजा में अबीर, गुलाल, चंदन, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कपूर और मोली सामान्यतः प्रयोग में ली जाती है. कोई भी मौसमी फल भी भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है

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