मोतिहारी: ड्राई स्टेट बिहार में अक्सर जहरीली शराब से लोगों की मौत की खबरें विभिन्न जिलों से आती हैं. शराबबंदी कानून के बावजूद ना तो अवैध शराब की बिक्री रुकी है और ना ही जहरीली शराब से होने वाली मौत के मामलों में ही कमी आई है. पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के हरसिद्धि थाना क्षेत्र में इस बार जहरीली शराब का तांडव देखने को मिला. जहरीली शराब से अबतक यहां 22 लोगों की संदिग्ध मौत की खबर है.
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मोतिहारी में जहरीली शराब का तांडव: गुरुवार की रात से मोतिहारी में जहरीली शराब का तांडव टूटा जो शुक्रवार तक चलता रहा. पिछले 24 घंटे से भीतर 22 लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोगों की हालत काफी चिंताजनक बनी हुई है, जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. मठ लोहियार में एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. यहां चार घंटे के अंदर पिता और पुत्र की मौत हो गई.
जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की मौत: जिन लोगों की मौत जहरीली शराब के कारण हुई हैं उनके नाम तुरकौलिया थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर गांव के रामेश्वर राम (35 वर्ष) पिता महेंद्र राम, ध्रुप पासवान (48 वर्ष), अशोक पासवान (44 वर्ष), छोटू कुमार (19 वर्ष) पिता विंदेश्वरी पासवान, जोखू सिंह (50 वर्ष) गांव गोखुला, अभिषेक यादव (22) गांव जसीन पुर, ध्रुव यादव (23 वर्ष) गांव जसिन पुर, मैनेजर सहनी (32 वर्ष), लक्ष्मण मांझी (33 वर्ष), नरेश पासवान (24 वर्ष) पिता गणेश पासवान, गांव मथुरापुर और मनोहर यादव (पिता सीता यादव) गांव माधवपुर शामिल हैं.
हरसिद्धि थाना क्षेत्र में सोना लाल पटेल 48 वर्ष, परमेंद्र दास (मठ लोहियार) नवल दास(मठ लोहियार ) की मौत हुई है. वहीं पहाड़पुर थाना के टुनटुन (बलुआ थाना), भुटन मांझीबलुआ थाना), बिट्टू राम( बलुआ थाना) मृतकों में शामिल हैं. सुगौली थाना क्षेत्र के सुदीश राम,इन्द्रशन महतो,चुलाही पासवान,कौवाह में गोविंद ठाकुर,गणेश राम(बड़ेया) की मौत हुई है.
सात लोगों के गिरफ्तारी : हालांकि कि डीआईजी बेतिया ने जहरीली शराब से छह के मरने की पुष्टि की है और नौ लोगों के बीमार होने की जानकारी दी है. डीआईजी ने बताया कि दो को पटना रेफर किया गया और तीन की स्थिति गंभीर है. तुरकौलिया का लक्ष्मीपुर हॉट स्पॉट है. पूरे मामले में सात लोगों के गिरफ्तारी की डीआईजी ने पुष्टि की है.
पीड़ित ने बतायी आप बीती: वहीं मोतिहारी सदर अस्पताल में इलाजरत उमेश राम ने बताया कि वह और उसके भाई रामेश्वर राम और एक और साथी ने गेहूं कटनी के बाद शराब पी थी. शराब पीने के बाद भाई की मौत कल ही हो गई. साथी भी नहीं बच सका.
"मेरी तबीयत बिगड़ने लगी. धुंधला दिखाई दे रहा था और बेचैनी हो रही थी. अभी सब साफ दिख रहा है. कितने लोगों ने शराब पी है, बता पाना मुश्किल है."- उमेश राम, इलाजरत
कब-कब हुई जहरीली शराब से मौतें?: जहरीली शराब से मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है. शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब का खेल जारी है. 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अबतक कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं. अगस्त 2016 में गोपालगंज में जहरीली शराब त्रासदी हुई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और छह अन्य की आंखों की रोशनी चली गई. वहीं 28 अक्टूबर, 2017 को रोहतास जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई और छह अन्य बीमार हो गए. जुलाई 2021 को पश्चिम चंपारण जिले के लौरिया और रामनगर थाना क्षेत्र में कथित जहरीली शराब के सेवन से 16 लोगों की मौत हो गई और कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई.
2022 में सबसे ज्यादा मौतें: 30 मार्च 2021 को नवादा जिले के दो गांवों में कथित तौर पर अवैध शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गयी. वहीं दिसंबर 2022 में सारण जिले के मशरख, महरौरा, ईशुआपुर, अमनौर, तरिया, बनियापुर और परसा प्रखंडों में कथित तौर पर जहरीली शराब के सेवन से 70 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी. 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद सारण में सबसे ज्यादा मौतें हुईं थीं. वहीं जनवरी 2023 को बिहार के सिवान में जहरीली शराब से कथित तौर पर पांच लोगों की मौत हो गई.
6 साल में 20 मामले.. 200 मौत: 2016 से 2021 के बीच के विश्लेषण के अनुसार, बिहार में कम से कम 20 जहरीली शराब के मामले देखे गए, जिनमें लगभग 200 लोग मारे गए और सिर्फ 2021 में नौ मामले आए जिसमें 106 लोगों की मौत हुई.
2016 से बिहार में शराबबंदी: 2016 में राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून को लागू किया था. राज्य में सभी प्रकार की शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया. महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बाद बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम लागू किया. इस नियम को लागू करने में गुजरात के बाद बिहार भारत का दूसरा ड्राई राज्य बन गया.