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बिहार में 'खेला' तय! लालू से मिले विधानसभा अध्यक्ष, क्या नए साल में नीतीश की मुश्किल बढ़ाएंगे RJD सुप्रीमो?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 1, 2024, 8:59 PM IST

बिहार में जदयू और राजद के नेता ऐसे तो लगातार कह रहे हैं कि ऑल इज वेल है. लेकिन नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली है और इंडिया गठबंधन से मोह भंग हो रहा है. खरमास के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव होने का कयास लगाये जा रहे हैं. लेकिन सब कुछ बहुमत के आंकड़े और समीकरण पर ही निर्भर करेगा कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी या फिर विधानसभा भंग होकर चुनाव होगा?

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बिहार में होगा बदलाव? समझिए सीटों का गुणा भाग

पटना : जदयू में हुए बड़े बदलाव के बाद बिहार की सियासत में हलचल शुरू है. साल के अंतिम दिन बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को लालू यादव ने अपने आवास पर बुलाया. दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई है. इसके कारण कई तरह के कयास लगने लगे हैं. बीजेपी भी कह रही है कि किसी भी समय लालू यादव सीएम नीतीश कुमार को हटाकर तेजस्वी को सीएम बना देंगे. ऐसे में जदयू में बड़ी टूट होगी.

बिहार में पार्टियों की स्थिति : जदयू और राजद के बीच दूरियां बढ़ रही हैं. ऐसे में बिहार विधानसभा में जो संख्या बल है, उसके आधार पर पार्टी के नेता, राजनीति के जानकार गुणा भाग करने और समीकरण बैठाने में लगे हैं. बिहार विधानसभा में फिलहाल आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. जनता दल के पास 79 विधायक हैं. दूसरे नंबर पर बीजेपी (78 विधायक) है. तीसरे नंबर पर जदयू (45 विधायक) है. कांग्रेस के पास 19, वाम दलों के पास 16 और जीतन राम मांझी की पार्टी के पास चार विधायक हैं. AIMIM के पास अब एक विधायक बचा है, तो वहीं एक निर्दलीय भी है.

ईटीवी भारत GFX.
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तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं लालू : यह किसी से छिपा नहीं है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. लेकिन नीतीश कुमार 2025 तक कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पिछले दिनों ललन सिंह कंट्रोवर्सी के कारण सियासी हलचल मचने लगी थी. ऐसे में नीतीश कुमार ने जदयू की कमान फिर से संभाल ली है. लेकिन उसके बाद भी कई तरह के कयास लग रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि ''बिहार में पहले भी नीतीश कुमार कभी बीजेपी के साथ, कभी राजद के साथ सरकार बनाते रहे हैं. जिस प्रकार से स्थितियां बदल रही हैं, उसके कारण ही कयास लग रहे हैं. लेकिन, सब कुछ समीकरण और बहुमत के आंकड़े के गणित पर ही निर्भर है. क्योंकि 6-7 सीटों का ही खेल है. अभी तक किसी दल को एक मुश्त 122 सीट नहीं मिली है. जो भी गठबंधन जोड़-तोड़ में सफल रहेगा, सरकार बनाने में वही आगे भी सफल रहेगा.''

महागठबंधन में ऑल इज वेल ? : जदयू और राजद के नेता भले ही कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक-ठाक है. लेकिन बीजेपी के दिल्ली से लेकर बिहार तक वरिष्ठ नेता लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार बहुत दिनों तक मुख्यमंत्री नहीं रहने वाले हैं. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि जदयू में बड़ी टूट होगी.

क्या कहता है सीटों का गणित? : जो चर्चा है उसमें लालू प्रसाद यादव की नजर जदयू के विधायकों पर लगी है. नीतीश कुमार जब 2020 में मुख्यमंत्री बने थे तो, उस समय भी लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी के कुछ विधायकों से बात की थी. जिस पर काफी हंगामा मचा था. बिहार में अभी वर्तमान सरकार को 160 विधायकों का समर्थन है. यदि जदयू सरकार से बाहर निकल जाती है तो यह संख्या घटकर 115 हो जाएगी.

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जेडीयू में टूट का खतरा? : वहीं, नीतीश कुमार बीजेपी के साथ फिर से चले जाते हैं तो संख्या 128 हो जाएगी. बहुमत का यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है. लेकिन जदयू के कम से कम 7 विधायक टूट जाते हैं और उन्हें विधानसभा अलग गुट की मान्यता दे दें, क्योंकि नीतीश कुमार के बाहर निकलने के बाद महागठबंधन को कम से कम 7 विधायक सरकार बनाने के लिए चाहिए.

कैसे सीएम बनेंगे तेजस्वी? : ऐसे में 7 विधायक तोड़ लेने पर राजद की सरकार बन सकती है, या फिर 14 विधायक सस्पेंड हो जाएं, तब भी सरकार बन जाएगी. क्योंकि तब विधानसभा में 229 विधायक बच जाएंगे और महागठबंधन के पास 115 विधायक मौजूद रहेंगे. आरजेडी सबसे बड़ा दल है, इसलिए उसकी सरकार बनाने की दावेदारी होगी.

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नीतीश से सत्ता हथियाना आसान नहीं : हालांकि 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से बाहर निकले थे तो उस समय चर्चा थी कि राजद सबसे बड़ी पार्टी है. राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए पहले आरजेडी को ही बुलाना होगा, लेकिन नीतीश कुमार ने राजपाल के पास बहुमत की लिस्ट पहले भेज दिया और एनडीए की सरकार बन गई. राजद के लोग उस समय देखते रह गए.

जेडीयू फिर से तैयार : इस बार भी आसान नहीं है, क्योंकि जदयू की टूट होने या फिर विधायकों के सस्पेंड करने पर नीतीश कुमार यदि सरकार को भंग करने का फैसला ले लें और राज्यपाल को भेज दें तो फिर बिहार में समय से पहले विधानसभा चुनाव होने की संभावना बढ़ जाएगी. लेकिन यह सब तभी संभव है जब नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लें.

नीतीश के हाथ में कमान के मायने ? : यदि नीतीश कुमार फिर से NDA में आते हैं तो 128 सीट हो जाएगी, जो बहुमत के आंकड़ा 122 से अधिक है. यदि जदयू में कोई टूट हो जाती है तब मुश्किल बढ़ सकती है. क्योंकि बहुमत के आंकड़े से एनडीए के पास केवल 6 ही सीट अधिक रहेगी. ऐसे दल के विरुद्ध जाने पर विधायकों की सदस्यता जा सकती है. यदि कुछ विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने सस्पेंड कर दिया तब एनडीए के लिए सरकार बनाना संभव हो जाएगा. लेकिन उसके बावजूद नीतीश कुमार इतनी आसानी से सब कुछ होने नहीं देंगे. इसीलिए उन्होंने जदयू की कमान संभाली है.

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बिहार में पार्टियों की स्थिति : जदयू और राजद के बीच दूरियां बढ़ रही हैं. ऐसे में बिहार विधानसभा में जो संख्या बल है, उसके आधार पर पार्टी के नेता, राजनीति के जानकार गुणा भाग करने और समीकरण बैठाने में लगे हैं. बिहार विधानसभा में फिलहाल आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. जनता दल के पास 79 विधायक हैं. दूसरे नंबर पर बीजेपी (78 विधायक) है. तीसरे नंबर पर जदयू (45 विधायक) है. कांग्रेस के पास 19, वाम दलों के पास 16 और जीतन राम मांझी की पार्टी के पास चार विधायक हैं. AIMIM के पास अब एक विधायक बचा है, तो वहीं एक निर्दलीय भी है.

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तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं लालू : यह किसी से छिपा नहीं है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. लेकिन नीतीश कुमार 2025 तक कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पिछले दिनों ललन सिंह कंट्रोवर्सी के कारण सियासी हलचल मचने लगी थी. ऐसे में नीतीश कुमार ने जदयू की कमान फिर से संभाल ली है. लेकिन उसके बाद भी कई तरह के कयास लग रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि ''बिहार में पहले भी नीतीश कुमार कभी बीजेपी के साथ, कभी राजद के साथ सरकार बनाते रहे हैं. जिस प्रकार से स्थितियां बदल रही हैं, उसके कारण ही कयास लग रहे हैं. लेकिन, सब कुछ समीकरण और बहुमत के आंकड़े के गणित पर ही निर्भर है. क्योंकि 6-7 सीटों का ही खेल है. अभी तक किसी दल को एक मुश्त 122 सीट नहीं मिली है. जो भी गठबंधन जोड़-तोड़ में सफल रहेगा, सरकार बनाने में वही आगे भी सफल रहेगा.''

महागठबंधन में ऑल इज वेल ? : जदयू और राजद के नेता भले ही कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक-ठाक है. लेकिन बीजेपी के दिल्ली से लेकर बिहार तक वरिष्ठ नेता लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार बहुत दिनों तक मुख्यमंत्री नहीं रहने वाले हैं. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि जदयू में बड़ी टूट होगी.

क्या कहता है सीटों का गणित? : जो चर्चा है उसमें लालू प्रसाद यादव की नजर जदयू के विधायकों पर लगी है. नीतीश कुमार जब 2020 में मुख्यमंत्री बने थे तो, उस समय भी लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी के कुछ विधायकों से बात की थी. जिस पर काफी हंगामा मचा था. बिहार में अभी वर्तमान सरकार को 160 विधायकों का समर्थन है. यदि जदयू सरकार से बाहर निकल जाती है तो यह संख्या घटकर 115 हो जाएगी.

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जेडीयू में टूट का खतरा? : वहीं, नीतीश कुमार बीजेपी के साथ फिर से चले जाते हैं तो संख्या 128 हो जाएगी. बहुमत का यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है. लेकिन जदयू के कम से कम 7 विधायक टूट जाते हैं और उन्हें विधानसभा अलग गुट की मान्यता दे दें, क्योंकि नीतीश कुमार के बाहर निकलने के बाद महागठबंधन को कम से कम 7 विधायक सरकार बनाने के लिए चाहिए.

कैसे सीएम बनेंगे तेजस्वी? : ऐसे में 7 विधायक तोड़ लेने पर राजद की सरकार बन सकती है, या फिर 14 विधायक सस्पेंड हो जाएं, तब भी सरकार बन जाएगी. क्योंकि तब विधानसभा में 229 विधायक बच जाएंगे और महागठबंधन के पास 115 विधायक मौजूद रहेंगे. आरजेडी सबसे बड़ा दल है, इसलिए उसकी सरकार बनाने की दावेदारी होगी.

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नीतीश से सत्ता हथियाना आसान नहीं : हालांकि 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से बाहर निकले थे तो उस समय चर्चा थी कि राजद सबसे बड़ी पार्टी है. राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए पहले आरजेडी को ही बुलाना होगा, लेकिन नीतीश कुमार ने राजपाल के पास बहुमत की लिस्ट पहले भेज दिया और एनडीए की सरकार बन गई. राजद के लोग उस समय देखते रह गए.

जेडीयू फिर से तैयार : इस बार भी आसान नहीं है, क्योंकि जदयू की टूट होने या फिर विधायकों के सस्पेंड करने पर नीतीश कुमार यदि सरकार को भंग करने का फैसला ले लें और राज्यपाल को भेज दें तो फिर बिहार में समय से पहले विधानसभा चुनाव होने की संभावना बढ़ जाएगी. लेकिन यह सब तभी संभव है जब नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लें.

नीतीश के हाथ में कमान के मायने ? : यदि नीतीश कुमार फिर से NDA में आते हैं तो 128 सीट हो जाएगी, जो बहुमत के आंकड़ा 122 से अधिक है. यदि जदयू में कोई टूट हो जाती है तब मुश्किल बढ़ सकती है. क्योंकि बहुमत के आंकड़े से एनडीए के पास केवल 6 ही सीट अधिक रहेगी. ऐसे दल के विरुद्ध जाने पर विधायकों की सदस्यता जा सकती है. यदि कुछ विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने सस्पेंड कर दिया तब एनडीए के लिए सरकार बनाना संभव हो जाएगा. लेकिन उसके बावजूद नीतीश कुमार इतनी आसानी से सब कुछ होने नहीं देंगे. इसीलिए उन्होंने जदयू की कमान संभाली है.

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