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अयोध्या विवाद मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

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Published : Oct 17, 2019, 10:12 AM IST

सत्तर साल पुराने रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 40 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सभी पक्षों ने उम्मीद जताई है कि फैसला उनके पक्ष में आएगा. उम्मीद है कि इस मामले में सीजेआई रंजन गोगोई के रिटायरमेंट से पहले फैसला आ जाएगा.

डिजाइन फोटो

नई दिल्ली : चालीस दिन की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से अति-महत्वपूर्ण 70 वर्ष पुराने अयोध्या विवाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 6 अगस्त से मामले में रोजाना सुनवाई शुरू की थी. इससे पहले अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल मामले को सुलझाने में विफल रही थी. पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश कर रहे थे.

बुधवार को अपराह्न् चार बजे, मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश राजीव धवन बहस कर रहे थे, प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई को समाप्त कर दिया और घोषणा करते हुए कहा कि अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

सुनवाई के अंतिम दिन, न्यायालय खचाखच भरा हुआ था और हिंदू व मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच काफी तीखी बहस देखने को मिली. धवन ने एक पिक्टोरियल मैप को फाड़कर अदालत को स्तब्ध कर दिया, जिसे अखिल भारतीय हिंदू महासभा के एक वरिष्ठ वकील द्वारा भगवान राम के जन्मस्थली के तौर पर दर्शाया गया था.

प्रधान न्यायाधीश ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह हरकत पीठ को पसंद नहीं आई.

दिन के पहले पहर में, हिदू पार्टियों ने बहस की और अदालत से ऐतिहासिक भूल को सही करने का आग्रह किया, जहां हिंदू द्वारा पवित्र माने जाने वाले स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था.

हिंदू पक्ष के वकील पीएन मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 40वें दिन की सुनवाई में हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की दलील का जवाब दिया. राजीव धवन के नक्शे फाड़ने को हिंदू पक्ष ने उनकी हताशा और अनुशासनहीनता बताया. उन्होंने बताया कि हिंदू पक्ष ने सालों से ढांचे में राम की पूजा होने के सबूत पेश किए.

वकील पीएन मिश्रा से बातचीत

हिंदू पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि वे कोर्ट की सुनवाई से संतुष्ट हैं और हिंदुओं के पक्ष में फैसला आएगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन कोर्ट में घिसी-पिटी बात दोहराते हैं.

महंत धर्मदास से बातचीत

हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने उम्मीद जताई कि आने वाले 23 दिनों में इस मामले का फैसला आएगा और ये सभी पक्षों को मान्य होगा.

वहीं, हिंदू पक्ष के अन्य वकील विष्णु शंकर ने कहा कि हिंदू महासभा ने अपना पक्ष रखा है और फैसला महासभा के पक्ष में आएगा.

वकील वरुण सिन्हा और वकील विष्णु शंकर से बातचीत

पढ़ें-क्या है अयोध्या टाइटल सूट विवाद, वीडियो के जरिए समझें पूरा मामला

वहीं दूसरी तरफ, धवन ने कहा कि मुस्लिम पार्टी बाबरी मस्जिद का निर्माण चाहती है जैसा कि यह 5 दिसंबर 1992 को खड़ा था.

उन्होंने कहा, 'ढहायी गई इमारत हमारी है. इसे दोबारा बनाने का अधिकार भी हमारे पास है. किसी और के पास कोई अधिकार नहीं है.'

उन्होंने हिंदू पक्ष के एक वकील के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग किया, जिसने इस्लामिक कानून पर बहस की और बताया कि बाबरी मस्जिद एक इस्लामिक संरचना नहीं था.

धवन ने अदालत के समक्ष कहा, 'सल्तनत की शुरुआत 1206 में हुई, और जाति आधारित समाज में इस्लाम लोगों के लिए काफी आकर्षक विश्वास (फेथ) था.'

पढ़ें-अयोध्या केस: पीठ के जज आज चैम्बर में बैठेंगे, किसी भी पक्ष को नहीं है जाने की इजाजत

अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों से मामले में 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' पर लिखित दलील दाखिल करने के लिए कहा.

नई दिल्ली : चालीस दिन की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से अति-महत्वपूर्ण 70 वर्ष पुराने अयोध्या विवाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 6 अगस्त से मामले में रोजाना सुनवाई शुरू की थी. इससे पहले अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल मामले को सुलझाने में विफल रही थी. पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश कर रहे थे.

बुधवार को अपराह्न् चार बजे, मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश राजीव धवन बहस कर रहे थे, प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई को समाप्त कर दिया और घोषणा करते हुए कहा कि अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

सुनवाई के अंतिम दिन, न्यायालय खचाखच भरा हुआ था और हिंदू व मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच काफी तीखी बहस देखने को मिली. धवन ने एक पिक्टोरियल मैप को फाड़कर अदालत को स्तब्ध कर दिया, जिसे अखिल भारतीय हिंदू महासभा के एक वरिष्ठ वकील द्वारा भगवान राम के जन्मस्थली के तौर पर दर्शाया गया था.

प्रधान न्यायाधीश ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह हरकत पीठ को पसंद नहीं आई.

दिन के पहले पहर में, हिदू पार्टियों ने बहस की और अदालत से ऐतिहासिक भूल को सही करने का आग्रह किया, जहां हिंदू द्वारा पवित्र माने जाने वाले स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था.

हिंदू पक्ष के वकील पीएन मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 40वें दिन की सुनवाई में हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की दलील का जवाब दिया. राजीव धवन के नक्शे फाड़ने को हिंदू पक्ष ने उनकी हताशा और अनुशासनहीनता बताया. उन्होंने बताया कि हिंदू पक्ष ने सालों से ढांचे में राम की पूजा होने के सबूत पेश किए.

वकील पीएन मिश्रा से बातचीत

हिंदू पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि वे कोर्ट की सुनवाई से संतुष्ट हैं और हिंदुओं के पक्ष में फैसला आएगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन कोर्ट में घिसी-पिटी बात दोहराते हैं.

महंत धर्मदास से बातचीत

हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने उम्मीद जताई कि आने वाले 23 दिनों में इस मामले का फैसला आएगा और ये सभी पक्षों को मान्य होगा.

वहीं, हिंदू पक्ष के अन्य वकील विष्णु शंकर ने कहा कि हिंदू महासभा ने अपना पक्ष रखा है और फैसला महासभा के पक्ष में आएगा.

वकील वरुण सिन्हा और वकील विष्णु शंकर से बातचीत

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वहीं दूसरी तरफ, धवन ने कहा कि मुस्लिम पार्टी बाबरी मस्जिद का निर्माण चाहती है जैसा कि यह 5 दिसंबर 1992 को खड़ा था.

उन्होंने कहा, 'ढहायी गई इमारत हमारी है. इसे दोबारा बनाने का अधिकार भी हमारे पास है. किसी और के पास कोई अधिकार नहीं है.'

उन्होंने हिंदू पक्ष के एक वकील के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग किया, जिसने इस्लामिक कानून पर बहस की और बताया कि बाबरी मस्जिद एक इस्लामिक संरचना नहीं था.

धवन ने अदालत के समक्ष कहा, 'सल्तनत की शुरुआत 1206 में हुई, और जाति आधारित समाज में इस्लाम लोगों के लिए काफी आकर्षक विश्वास (फेथ) था.'

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अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों से मामले में 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' पर लिखित दलील दाखिल करने के लिए कहा.

TIC TAC WITH PN MISHRA, ADVOCATE FOR ONE OF THE HINDU PARTIES
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