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अमृतसर (ईस्ट) में सिद्धू Vs मजीठिया, महामुकाबले से दिलचस्प हुआ पंजाब चुनाव

अमृतसर (ईस्ट) अब पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए सबसे हॉट सीट बन गया है. इस सीट से शिरोमणि अकाली दल ने बिक्रम सिंह मजीठिया को मैदान में उतारकर इस चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है. अब जो यहां आरोप-प्रत्यारोप के दौर चलेंगे, उससे यहां के मुद्दे गायब हो जाएंगे. शिरोमणि अकाली दल के इस पैंतरे से नवजोत सिंह सिद्धू की राह आसान नहीं रह जाएगी. यह सीट अबतक सिद्धू के लिए सबसे सेफ मानी जाती रही है.

vikram singh majithia will contest against navjot singh sidhu
vikram singh majithia will contest against navjot singh sidhu
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Published : Jan 28, 2022, 2:45 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में हर बड़े उम्मीदवार अपनी सुरक्षित सीट से ही मैदान में उतरे हैं. अमृतसर (ईस्ट) भी नवजोत सिंह सिद्धू के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है, मगर अकाली दल ने अमृतसर (ईस्ट) विधानसभा सीट से बिक्रम सिंह मजीठिया को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. अब यह पंजाब की सबसे हॉट सीट बन गई है, जहां सभी चुनावी पंडितों की नजर रहेगी. सिद्धू से टकराने के लिए मजीठिया को कैंडिडेट बनाते ही तीसरे नंबर का अकाली दल अब मजबूत स्थिति में आ गया है. बता दें कि कभी करीबी दोस्त रहे नवजोत सिद्धू और मजीठिया के बीच अब खुले तौर से राजनीतिक दुश्मनी का रिश्ता है. सिद्धू खुलेआम बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर आरोप लगाते रहे हैं. इसी बात पर विधानसभा में दोनों नेताओं के बीच झड़प भी हो चुकी है. माना जा रहा है कि अमृतसर ईस्ट अब युद्ध का मैदान बन जाएगा और चुनाव के दौरान जबानी जंग होगी. अकाली दल ने मजीठिया को नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ चुनाव में उतरने के लिए राजी कर लिया, यह अकाली दल ने चुनाव में फ्रंट फुट पर आकर बल्लेबाजी शुरू कर दी है. इसका फायदा पार्टी को दूसरी विधानसभा सीटों पर हो सकता है.

Amritsar east assembly
सिद्धू और मजीठिया की सियासी लड़ाई से पंजाब का चुनावी माहौल गरमा गया है.

फायदेमंद रहा है बड़े नेता के खिलाफ चुनाव लड़ना : 2017 के पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ लंबी से चुनाव लड़ा था. कैप्टन लंबी से चुनाव हार गए. इसी तरह सुखबीर सिह बादल के खिलाफ आप के सांसद भगवंत मान और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव लड़ा था. सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद से जीते गए. कैप्टन अमरिंदर सिंह और भगवंत मान की हार भले ही हुई हो मगर विरोधी पार्टी के नेता को तगड़ी चुनौती देने का फायदा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मिला. कांग्रेस को सत्ता मिली, आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर रही. बता दें कि इस बार भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला से चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी. मगर जब नवजोत सिंह सिद्धू सुरक्षित गढ़ अमृतसर में ही डटे रहे तो अकाली दल ने वहीं चुनौती देने की पहल की.

Amritsar east assembly
अमृतसर (ईस्ट) से भाजपा के टिकट से जीतकरविधायक रहीं हैं नवजोत कौर सिद्धू.

अमृतसर (ईस्ट) सीट पर सिद्धू रहे हैं मजबूत : अमृतसर (ईस्ट) विधानसभा सीट में पहला विधानसभा चुनाव 1951 में हुआ था. इस सीट से सरूप सिंह जीते थे. भारतीय जनसंघ के बलदेव प्रकाश 1957, 1962 और 1967 के चुनावों में इस सीट से तीन बार लगातार विधायक चुने गए थे. 1969 और 1972 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी. 2012 में नवजोत कौर सिद्धू (नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी) ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर (ईस्ट) सीट पर जीत हासिल की थी. 2017 में नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के टिकट पर 42,809 मतों के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इससे पहले नवजोत सिद्धू 2004 का अमृतसर से लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीत चुके थे. सिद्धू ने एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था और 2007 में फिर से बीजेपी के टिकट पर अमृतसर लोकसभा उपचुनाव जीता था. 2014 में अरुण जेटली को अमृतसर से उम्मीदवार बनाए जाने पर सिद्धू बीजेपी से नाराज़ हो गए. वह 2017 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. कुल मिलाकर इस सीट पर सिद्धू जीतते रहे.

Amritsar east assembly
अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट

सिख बाहुल्य सीट है अमृतसर : अमृतसर (ईस्ट) सीट सिख बाहुल्य सीट माना जाता है. अमृतसर जिले में सिखों की संख्या 17,16,935 है, जो कुल आबादी का 68.94 प्रतिशत है. हिंदू समुदाय की आबादी 6,90,939 है, जो कुल आबादी का 27.74 प्रतिशत है. अमृतसर शहर में सिखों की आबादी 6,63,145 है, जो आबादी का 49.69 प्रतिशत है, जबकि शहर में हिंदुओं की आबादी 6,32,944 है, जो शहर की आबादी का 47.43 प्रतिशत है. अकाली दल और भाजपा के बीच लंबे गठबंधन के दौरान 2007 से 2017 के बीच दो बार अकाली दल-भाजपा की सरकार बनी. इस दौरान सिद्धू अकाली दल से भिड़ गए. यह मनमुटाव धीरे-धीरे बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ व्यक्तिगत टकराव में तब्दील हो गया.विधानसभा में नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रम सिंह मजीठिया के बीच कहासुनी होती रही. आरोप है कि नवजोत सिद्धू ने मजीठिया को ड्रग मामले में गिरफ्तार करने के लिए वह सारे कदम उठाए, जिस कारण कांग्रेस की आलोचना भी हुई.

Amritsar east assembly
बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की अब सिद्धू से आमने-सामने की लड़ाई होगी.

मजीठा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ेंगे मजीठिया : बिक्रम सिंह मजीठिया लोकसभा सदस्य हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं. वह मजीठा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं. इस बार भी वह मजीठिया अमृतसर पूर्व के साथ-साथ मजीठा से भी चुनाव लड़ रहे हैं. अमृतसर पूर्व से बिक्रम सिंह मजीठिया की उम्मीदवारी की घोषणा पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि नवजोत सिद्धू का अहंकार का नाश होगा. नवजोत सिद्धू के लिए भी राह आसान नहीं है. मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह चुनाव के दौरान दिख सकती है. अमृतसर से कांग्रेस नेता मनदीप सिंह मन्ना ने कहा कि नवजोत सिद्धू ने अमृतसर ईस्ट का विकास नहीं किया. अब क्षेत्र की जनता नवजोत सिद्धू को हराकर जवाब देगी. सिद्धू खुद को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी समेत तमाम पार्टियां सिद्धू का विरोध कर रही हैं. आम आदमी पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी राघव चड्ढा ने मजीठिया की उम्मीदवारी पर सीएम चन्नी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि सिद्धू के खिलाफ मजीठिया को मैदान में उतारना सीएम चन्नी का मास्टर स्ट्रोक है. मुख्यमंत्री चन्नी ने मजीठिया को गिरफ्तार करने में सहानुभूति दिखाई, अब अकाली दल इसका बदला चुकाकर अपना कर्तव्य निभा रहा है.

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में हर बड़े उम्मीदवार अपनी सुरक्षित सीट से ही मैदान में उतरे हैं. अमृतसर (ईस्ट) भी नवजोत सिंह सिद्धू के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है, मगर अकाली दल ने अमृतसर (ईस्ट) विधानसभा सीट से बिक्रम सिंह मजीठिया को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. अब यह पंजाब की सबसे हॉट सीट बन गई है, जहां सभी चुनावी पंडितों की नजर रहेगी. सिद्धू से टकराने के लिए मजीठिया को कैंडिडेट बनाते ही तीसरे नंबर का अकाली दल अब मजबूत स्थिति में आ गया है. बता दें कि कभी करीबी दोस्त रहे नवजोत सिद्धू और मजीठिया के बीच अब खुले तौर से राजनीतिक दुश्मनी का रिश्ता है. सिद्धू खुलेआम बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर आरोप लगाते रहे हैं. इसी बात पर विधानसभा में दोनों नेताओं के बीच झड़प भी हो चुकी है. माना जा रहा है कि अमृतसर ईस्ट अब युद्ध का मैदान बन जाएगा और चुनाव के दौरान जबानी जंग होगी. अकाली दल ने मजीठिया को नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ चुनाव में उतरने के लिए राजी कर लिया, यह अकाली दल ने चुनाव में फ्रंट फुट पर आकर बल्लेबाजी शुरू कर दी है. इसका फायदा पार्टी को दूसरी विधानसभा सीटों पर हो सकता है.

Amritsar east assembly
सिद्धू और मजीठिया की सियासी लड़ाई से पंजाब का चुनावी माहौल गरमा गया है.

फायदेमंद रहा है बड़े नेता के खिलाफ चुनाव लड़ना : 2017 के पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ लंबी से चुनाव लड़ा था. कैप्टन लंबी से चुनाव हार गए. इसी तरह सुखबीर सिह बादल के खिलाफ आप के सांसद भगवंत मान और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव लड़ा था. सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद से जीते गए. कैप्टन अमरिंदर सिंह और भगवंत मान की हार भले ही हुई हो मगर विरोधी पार्टी के नेता को तगड़ी चुनौती देने का फायदा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मिला. कांग्रेस को सत्ता मिली, आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर रही. बता दें कि इस बार भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला से चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी. मगर जब नवजोत सिंह सिद्धू सुरक्षित गढ़ अमृतसर में ही डटे रहे तो अकाली दल ने वहीं चुनौती देने की पहल की.

Amritsar east assembly
अमृतसर (ईस्ट) से भाजपा के टिकट से जीतकरविधायक रहीं हैं नवजोत कौर सिद्धू.

अमृतसर (ईस्ट) सीट पर सिद्धू रहे हैं मजबूत : अमृतसर (ईस्ट) विधानसभा सीट में पहला विधानसभा चुनाव 1951 में हुआ था. इस सीट से सरूप सिंह जीते थे. भारतीय जनसंघ के बलदेव प्रकाश 1957, 1962 और 1967 के चुनावों में इस सीट से तीन बार लगातार विधायक चुने गए थे. 1969 और 1972 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी. 2012 में नवजोत कौर सिद्धू (नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी) ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर (ईस्ट) सीट पर जीत हासिल की थी. 2017 में नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के टिकट पर 42,809 मतों के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इससे पहले नवजोत सिद्धू 2004 का अमृतसर से लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीत चुके थे. सिद्धू ने एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था और 2007 में फिर से बीजेपी के टिकट पर अमृतसर लोकसभा उपचुनाव जीता था. 2014 में अरुण जेटली को अमृतसर से उम्मीदवार बनाए जाने पर सिद्धू बीजेपी से नाराज़ हो गए. वह 2017 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. कुल मिलाकर इस सीट पर सिद्धू जीतते रहे.

Amritsar east assembly
अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट

सिख बाहुल्य सीट है अमृतसर : अमृतसर (ईस्ट) सीट सिख बाहुल्य सीट माना जाता है. अमृतसर जिले में सिखों की संख्या 17,16,935 है, जो कुल आबादी का 68.94 प्रतिशत है. हिंदू समुदाय की आबादी 6,90,939 है, जो कुल आबादी का 27.74 प्रतिशत है. अमृतसर शहर में सिखों की आबादी 6,63,145 है, जो आबादी का 49.69 प्रतिशत है, जबकि शहर में हिंदुओं की आबादी 6,32,944 है, जो शहर की आबादी का 47.43 प्रतिशत है. अकाली दल और भाजपा के बीच लंबे गठबंधन के दौरान 2007 से 2017 के बीच दो बार अकाली दल-भाजपा की सरकार बनी. इस दौरान सिद्धू अकाली दल से भिड़ गए. यह मनमुटाव धीरे-धीरे बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ व्यक्तिगत टकराव में तब्दील हो गया.विधानसभा में नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रम सिंह मजीठिया के बीच कहासुनी होती रही. आरोप है कि नवजोत सिद्धू ने मजीठिया को ड्रग मामले में गिरफ्तार करने के लिए वह सारे कदम उठाए, जिस कारण कांग्रेस की आलोचना भी हुई.

Amritsar east assembly
बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की अब सिद्धू से आमने-सामने की लड़ाई होगी.

मजीठा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ेंगे मजीठिया : बिक्रम सिंह मजीठिया लोकसभा सदस्य हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं. वह मजीठा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं. इस बार भी वह मजीठिया अमृतसर पूर्व के साथ-साथ मजीठा से भी चुनाव लड़ रहे हैं. अमृतसर पूर्व से बिक्रम सिंह मजीठिया की उम्मीदवारी की घोषणा पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि नवजोत सिद्धू का अहंकार का नाश होगा. नवजोत सिद्धू के लिए भी राह आसान नहीं है. मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह चुनाव के दौरान दिख सकती है. अमृतसर से कांग्रेस नेता मनदीप सिंह मन्ना ने कहा कि नवजोत सिद्धू ने अमृतसर ईस्ट का विकास नहीं किया. अब क्षेत्र की जनता नवजोत सिद्धू को हराकर जवाब देगी. सिद्धू खुद को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी समेत तमाम पार्टियां सिद्धू का विरोध कर रही हैं. आम आदमी पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी राघव चड्ढा ने मजीठिया की उम्मीदवारी पर सीएम चन्नी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि सिद्धू के खिलाफ मजीठिया को मैदान में उतारना सीएम चन्नी का मास्टर स्ट्रोक है. मुख्यमंत्री चन्नी ने मजीठिया को गिरफ्तार करने में सहानुभूति दिखाई, अब अकाली दल इसका बदला चुकाकर अपना कर्तव्य निभा रहा है.

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