पटना: बिहार में 24 घंटे के अंदर तेज बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से 32 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. हालांकि, आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के कई जिलों में वज्रपात का कहर बरपा और अब तक 9 लोगों की जान चली गई. सबसे ज्यादा 6 लोगों की मौत अकेले रोहतास में दर्ज की गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतक लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख मुआवजे का ऐलान किया है.
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बिहार में ठनका गिरने से 32 की मौत : दरअसल, वज्रपात ने बिहार में पिछले 24 घंटे में कहर बरपाया है. सूबे के 14 जिलों में 32 लोगों की जान चली गई. इसमें सबसे ज्यादा रोहतास में छह लोगों की मौत हो गई. वहीं जमुई, बांका, जहानाबाद, भागलपुर और बक्सर में 3-3 लोगों की मौत हुई है. इसके अलवा गया, सुपौल और नालंदा में 2-2 लोगों की वज्रपात के कारण मौत हो गई. वहीं औरंगाबाद, शिवहर, खगड़िया, कटिहार और कैमूर में 1-1 लोगों की आकाशीय बिजली से मौत हुई है.
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मौसम विभाग का क्या कहना है : मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार राज्य के दक्षिणी भाग में बारिश का पूर्वानुमान है. इस दौरान बारिश के साथ बादल गरजने और वज्रपात की आशंका भी जताई गई है. ऐसे में मौसम विभाग ने बारिश के दौरान सावधानी बरतने की अपील की है. खासकर वज्रपात से बचाव के लिए खुले स्थान में नहीं जाने, पेड़ों के नीचे जमा नहीं होने और बिजली के खंभों से दूरे बनाकर रखने की अपील की गई है.
क्यों बढ़ती ही जा रही है यह संख्या : बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से इतने लोगों की मौत की यह कोई पहली घटना नहीं है. हर साल दर्जनों लोगों की मौत ठनका गिरने से हो जाती है. अब सवाल यह है कि हर साल आकाशीय बिजली से लोगों की जान में इजाफा क्यों हो रहा है. दरअसल, लाइटनिंग रिसाइलेंट इंडिया कैम्पेन और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की साल 2020 में एक रिपोर्ट सामने आई थी. जिसमें दावा किया गया था कि बिहार में साल 2019 में जनवरी से सितंबर तक 2.5 लाख से ज्दाया वज्रपात की घटनाएं हुई. जानकार इसकी वजह जलवायु परिवर्तन बता रहे है.
क्या होती है आकाशीय बिजली : वज्रपात या आकाशीय बिजली को बिहार में ठनका कहा जाता है. जानकारों की माने तो आसमान में बादलों में पानी के छोटे-छोटे कण होते हैं, जो हवा की रगड़ के कारण आवेशित हो जाते हैं. ऐसे में जब पॉजिटिव चार्ज और निगेटिव चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं तो बिजली पैदा होती है और पृथ्वी तक पहुंच जाती है. इसी को आकाशीय बिजली या ठनका बोलते हैं. इस बिजली का वोल्टेज 10 करोड़ वोल्ट होता है. यही वजह है कि इस बिजली से लोगों की मौत हो जाती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : दरअसल, आकाशीय बिजली या वज्रपात से से ज्यादातर मौतें खेत में काम करने वाले यानी किसानों की होती हैं. मानसून के सीजन में ये आंकड़ा काफी बढ़ जाता है. इसके पिछे कई तर्क और तथ्य है. जैसे बांग्लादेश मॉडल और वज्रमारा मॉडल. कुछ एक्सपर्ट सरकार के दामिनी ऐप और वज्र इंद्र को कारगर मानते है. तो कुछ का कहना है कि दूर-दराज गांव में किसान और मजदूर के पास स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं है. इसलिए मौतों को रोकने के लिए सबसे पहले हमें लोगों को जागरूक करना होगा.
लाइटनिंग अरेस्टर क्या होता है? : वज्रपात से कई बार घरों को भी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में बचाव के लिए बड़े घरों की छत पर लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जाते है. यह तांबे की बनी हुई एक नुकीली रॉड होती है. इस रॉड का वजन करीब दो से तीन किलो तक होता है. इसे घर की ऊपरी छत पर लगाया जाता है. यह लाइट को अपनी ओर खिंचता है. इसकी ऊंचाई करीब 7 से 8 फीट होती है.
CM नीतीश का अधिकारियों को निर्देश: फिलहाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में काम पर ध्यान केंद्रित करें ताकि लोगों को समय पर सतर्क किया जा सके. बिजली गिरने के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए जागरूकता पैदा की जा सके, जिसके लोगों की मौतों को रोका जा सकें..
यहां रहता है खतरा, कैसे बचे? : बारिश के मौसम में जब आकाशीय बिजली गिरती है तो जानलेवा साबित होती है. वज्रपात की घटनाएं अक्सर खेतों में काम करने वाले, पेड़ के नीचे खड़े होने वाले और मोबाइल फोन पर बात करते हुए लोगों पर गिरती (मोबाइल फोन से अल्ट्रावायलेट किरणें निकलती हैं, जो आकाशीय बिजली को अपनी ओर खींचती हैं) है.
इंद्र वज्र ऐप काफी कारगर : ठनका से बचाव के लिए सरकार इंद्र वज्र ऐप मोबाइल में डाउनलोड करने की अपील करती है. यह ऐप वज्रपात से बचाव के लिए काफी हद तक कारगर है. इस ऐप के जरिए ठनका गिरने के संभावित समय और जगह का कुछ देर पहले पता चल जाता है और लोग सुरक्षित स्थान पर शरण ले लेते हैं. ऐप के जरिए ठनका गिरने से 40 से 45 मिनट पहले अलार्म टोन बजने लगता है. इससे लोगों को पता चल जाता है कि वज्रपात होने वाला है. इस ऐप का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कारगर है.