ETV Bharat / technology

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने अल्जाइमर का पता लगाने वाला बेहतरीन AI टूल बनाया! - New AI tool

New AI tool : कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का AI टूल अल्जाइमर का पता लगाने में ​​परीक्षणों (Clinical tests) से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-आधारित उपकरण विकसित किया है जो शुरुआती डिमेंशिया वाले रोगियों का पता लगाने में मदद कर सकता है कि वे स्थिर रहेंगे या अल्जाइमर विकसित करेंगे.

AI tool may outperform clinical tests at detecting Alzheimer's
कृत्रिम बुद्धिमत्ता - कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)
author img

By IANS

Published : Jul 13, 2024, 1:52 PM IST

नई दिल्ली : ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-आधारित उपकरण विकसित किया है जो शुरुआती डिमेंशिया वाले रोगियों का पता लगाने में मदद कर सकता है कि वे स्थिर रहेंगे या अल्जाइमर विकसित करेंगे. Dementia एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा चुनौती है, जो 55 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है और इसकी अनुमानित वार्षिक लागत $820 बिलियन है. अगले 50 वर्षों में मामलों के लगभग तीन गुना होने की उम्मीद है.

नए AI मॉडल को विकसित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने अमेरिका में एक शोध समूह में 400 से अधिक प्रतिभागियों से नियमित रूप से एकत्रित, गैर-आक्रामक और कम लागत वाले रोगी डेटा- संज्ञानात्मक परीक्षण (Cognitive tests) और ग्रे मैटर सिकुड़न (Grey matter shrinkage) को प्रकट करने वाले संरचनात्मक MRI स्कैन - का उपयोग किया. उन्होंने इसके बाद अमेरिकी समूह में अतिरिक्त 600 प्रतिभागियों से वास्तविक दुनिया के रोगी डेटा के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर में मेमोरी क्लीनिक में 900 व्यक्तियों से अनुदैर्ध्य डेटा के साथ मॉडल का मूल्यांकन किया.

This AI tool may outperform clinical tests at detecting Alzheimer's
कृत्रिम बुद्धिमत्ता - कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

ईक्लिनिकलमेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित कहानी के अनुसार, एल्गोरिदम स्थिर हल्के संज्ञानात्मक हानि वाले व्यक्तियों और तीन साल के भीतर Alzheimer diseases विकसित करने वाले व्यक्तियों के बीच पहचान करने में सक्षम था. इसने केवल संज्ञानात्मक परीक्षणों और एमआरआई स्कैन का उपयोग करके 82 प्रतिशत मामलों में अल्जाइमर विकसित करने वालों और 81 प्रतिशत मामलों में नहीं विकसित करने वालों की सफलतापूर्वक पहचान की, जिससे उम्मीद है कि यह मॉडल सटीक हो सकता है.

Cambridge University में मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर ज़ो कोर्टज़ी ने कहा कि यह उपकरण यह अनुमान लगाने में अच्छा होगा कि कोई व्यक्ति Alzheimer की ओर बढ़ेगा या नहीं, और चूंकि इसका वास्तविक जीवन में भी परीक्षण किया गया है इसलिए सामान्यीकरण किया जा सकता है. Cambridge University के बेन अंडरवुड ने कहा कि इससे रोगियों और उनके परिवारों की कई मौजूदा चिंताओं को कम करने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें:

भारत ने इस फील्ड में विश्व स्तर पर जमाई धाक - Tech Hub Bengaluru

नई दिल्ली : ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-आधारित उपकरण विकसित किया है जो शुरुआती डिमेंशिया वाले रोगियों का पता लगाने में मदद कर सकता है कि वे स्थिर रहेंगे या अल्जाइमर विकसित करेंगे. Dementia एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा चुनौती है, जो 55 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है और इसकी अनुमानित वार्षिक लागत $820 बिलियन है. अगले 50 वर्षों में मामलों के लगभग तीन गुना होने की उम्मीद है.

नए AI मॉडल को विकसित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने अमेरिका में एक शोध समूह में 400 से अधिक प्रतिभागियों से नियमित रूप से एकत्रित, गैर-आक्रामक और कम लागत वाले रोगी डेटा- संज्ञानात्मक परीक्षण (Cognitive tests) और ग्रे मैटर सिकुड़न (Grey matter shrinkage) को प्रकट करने वाले संरचनात्मक MRI स्कैन - का उपयोग किया. उन्होंने इसके बाद अमेरिकी समूह में अतिरिक्त 600 प्रतिभागियों से वास्तविक दुनिया के रोगी डेटा के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर में मेमोरी क्लीनिक में 900 व्यक्तियों से अनुदैर्ध्य डेटा के साथ मॉडल का मूल्यांकन किया.

This AI tool may outperform clinical tests at detecting Alzheimer's
कृत्रिम बुद्धिमत्ता - कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

ईक्लिनिकलमेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित कहानी के अनुसार, एल्गोरिदम स्थिर हल्के संज्ञानात्मक हानि वाले व्यक्तियों और तीन साल के भीतर Alzheimer diseases विकसित करने वाले व्यक्तियों के बीच पहचान करने में सक्षम था. इसने केवल संज्ञानात्मक परीक्षणों और एमआरआई स्कैन का उपयोग करके 82 प्रतिशत मामलों में अल्जाइमर विकसित करने वालों और 81 प्रतिशत मामलों में नहीं विकसित करने वालों की सफलतापूर्वक पहचान की, जिससे उम्मीद है कि यह मॉडल सटीक हो सकता है.

Cambridge University में मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर ज़ो कोर्टज़ी ने कहा कि यह उपकरण यह अनुमान लगाने में अच्छा होगा कि कोई व्यक्ति Alzheimer की ओर बढ़ेगा या नहीं, और चूंकि इसका वास्तविक जीवन में भी परीक्षण किया गया है इसलिए सामान्यीकरण किया जा सकता है. Cambridge University के बेन अंडरवुड ने कहा कि इससे रोगियों और उनके परिवारों की कई मौजूदा चिंताओं को कम करने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें:

भारत ने इस फील्ड में विश्व स्तर पर जमाई धाक - Tech Hub Bengaluru

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.