शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शून्य काल यानी जीरो आवर की व्यवस्था आरंभ करने की तैयारी है. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया इस मामले में पहल कर रहे हैं. प्रस्तावित किया गया है कि शून्य काल ठीक प्रश्नकाल के बाद आरंभ होगा. अभी विधानसभा की शुरुआत पूर्वाह्न 11 बजे प्रश्नकाल से होती है. प्रश्नकाल एक घंटे तक चलता है. उसके बाद शून्य काल आरंभ करने की बात स्पीकर ने कही है. शून्य काल की अवधि आधा घंटा तय की जा सकती है.
क्यों पड़ी शून्य काल की जरूरत ?
मंगलवार को मीडिया के साथ वार्ता में स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि जनहित के ऐसे विषय, जिनका राज्य स्तरीय प्रभाव हो, उन्हें शून्य काल में उठाया जा सकेगा. कुछ विषय जो न प्रश्नकाल और न ही किसी अन्य नियम में आ पाएं, उनके लिए शून्य काल में समय मिलेगा. इस बारे में स्पीकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों से बात करेंगे. सभी की राय लेकर इस मसले पर आगे कदम बढ़ाया जाएगा.
सदन में शुरू होगा जीरो आवर !
अगर शून्य काल की व्यवस्था आरंभ हो गई तो हिमाचल विधानसभा के इतिहास में ये पहली बार होगा कि जीरो आवर में सदस्य जनता के हितों से जुड़े किसी मुद्दे को उठा सकेंगे. उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीबीएल बुटेल के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए भी शून्य काल की व्यवस्था शुरू करने की चर्चा उठी थी, लेकिन वो पहल धरातल पर नहीं उतरी थी.
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, "सदन में सेशन के दौरान सदस्य कुछ मुद्दों पर बात करने के लिए पॉइंट ऑफ ऑर्डर मांगते हैं. ये स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है कि पॉइंट ऑफ ऑर्डर कैसे दिया जाए. ये व्यवस्था अति महत्वपूर्ण विषयों के लिए होती है. इस तरह सदन की कार्यवाही के दौरान सदस्य कई बार पॉइंट ऑफ ऑर्डर की मांग करते हैं. ऐसे में विधायकों की सुविधा के लिए शून्य काल की व्यवस्था की जाएगी."